आकाशवाणी और सायरनों से गूंजते शहर, मॉक ड्रिल के कितने दिनों बाद 1971 में शुरू हुआ था युद्ध?
22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर तनाव चरम पर है. इसी बीच भारत सरकार ने देशभर में युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल शुरू करने का निर्देश दिया है. यह स्थिति 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले की तैयारियों की याद दिलाती है, जब नवंबर के अंत में पूरे देश में ब्लैकआउट, बंकर निर्माण और सायरन अभ्यास जैसे सिविल डिफेंस अभियान चलाए गए थे.;
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए भयावह हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के पहले से ही तनावपूर्ण संबंध एक बार फिर खुले टकराव के बेहद करीब पहुंच गए हैं. जैसे-जैसे उपमहाद्वीप में युद्ध की आशंका गहराने लगी है, सरकार ने बुधवार 7 मई को देशभर के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को व्यापक मॉक ड्रिल शुरू करने का निर्देश जारी किया है, ताकि संभावित युद्ध की स्थिति के लिए तैयारी की जा सके.
पिछले 54 वर्षों बाद देखी गई ये मॉक ड्रिल युद्ध कालीन प्रक्रियाओं की याद दिलाती हैं, 1971 के बाद पहली बार पूरे देश में सिविल डिफेंस की इस तरह की व्यापक तैनाती को चिह्नित करती हैं. वह युद्ध न केवल दक्षिण एशिया का नक्शा बदल गया था, बल्कि पाकिस्तानी सेना की हार के बाद पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ था.
मॉक ड्रिल्स के कितने दिनों बाद 1971 में युद्ध
1971 में मॉक ड्रिल्स की शुरुआत नवंबर के अंत में हुई थी, ठीक कुछ दिन पहले जब 3 दिसंबर को औपचारिक रूप से युद्ध शुरू हुआ था. उस दौर की रिपोर्टों-जिनमें टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे प्रमुख राष्ट्रीय अखबार भी शामिल थे. जिसमें बताया कि पूरे देश में हवाई हमलों से बचाव की तैयारियां की जारी है, रात्रिकालीन ब्लैकआउट, और निकासी अभ्यास जैसी गतिविधियां सिविल डिफेंस अभियान का हिस्सा थीं.
आकाशवाणी और सायरनों की आवाज
ये ड्रिल्स आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) पर प्रसारित की जाती थीं. सायरनों की गूंज से शहर गूंज उठते थे, नागरिकों से आग्रह किया जाता था कि वे शरण लें और घरों की सारी लाइटें बंद कर दें. ये उपाय दुश्मन के विमान भ्रमित करने और हवाई हमलों में होने वाली जन हानि को कम करने के लिए अपनाए जाते थे.
इंदिरा गांधी के दौर में युद्ध जैसी तैयारी
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में, गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को कठोर तैयारी करने का निर्देश दिया था. बनावटी परिदृश्यों में नागरिकों को बंकरों तक ले जाना, हवाई हमले के सायरनों का जवाब देना, और पूरे शहर का ब्लैकआउट अभ्यास शामिल था. विशेष रूप से सघन अभ्यास सीमावर्ती राज्यों जैसे पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल, और दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे महानगरों में किए गए थे.
वर्तमान निर्देश फिर से उसी स्तर की सतर्कता का संकेत देता है. गृह मंत्रालय (MHA) ने कथित रूप से 'युद्धकालीन आपात स्थिति' के लिए तैयार रहने पर जोर दिया है. हालाँकि अब तक कोई आधिकारिक बयान इन ड्रिल्स को तत्काल सैन्य योजना से जोड़ता नहीं है, विशेषज्ञ इस कदम को घरेलू जनता और सीमा पार प्रतिद्वंद्वियों-दोनों को एक रणनीतिक संदेश. के रूप में देख रहे हैं.