भारत ने बना ली दुनिया की 'बेस्ट' तोप, नई ATAGS से दहशत में चीन और पाकिस्तान; रेंज इतनी कि...
भारत ने स्वदेशी एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) विकसित कर इतिहास रच दिया है. 155mm/52 कैलिबर कैटेगरी की यह हाई-टेक तोप मात्र 80 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खासियत शूट एंड स्कूट स्ट्रैटेजी, ऑटोमैटिक गन अलाइनमेंट, डिजिटल फायर कंट्रोल और GPS टारगेटिंग सिस्टम है. यह उपलब्धि भारत की युद्धक क्षमता को नई ऊंचाई पर ले गई है, जिससे पाकिस्तान और चीन दोनों की बेचैनी बढ़ गई है.;
भारत ने अपने रक्षा तंत्र में एक और क्रांतिकारी हथियार जोड़ लिया है, जिसने न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन में भी खलबली मचा दी है. एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) भारत की पहली स्वदेशी हाई-टेक तोप है, जो महज 80 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार हो जाती है और 48 किमी दूर तक सटीक निशाना लगा सकती है. यह रेंज इतनी जबरदस्त है कि अमृतसर से लाहौर तक सिर्फ 80 सेकंड में गोलाबारी की जा सकती है.
यह तोप भारत के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन और आत्मनिर्भर रक्षा रणनीति की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इसे DRDO ने भारतीय निजी कंपनियों - भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ मिलकर विकसित किया है. पाकिस्तान और चीन के लिए यह सिर्फ एक तोप नहीं, बल्कि भारत की युद्धक क्षमता में आए बदलाव का संकेत है.
इस तोप के आने के बाद भारत की वेस्टर्न और नॉर्दर्न बॉर्डर पर रणनीतिक ताकत कई गुना बढ़ गई है. पाकिस्तान को समझ में आ गया है कि उसकी सीमा के भीतर कोई भी संवेदनशील ठिकाना अब सुरक्षित नहीं है. वहीं चीन के लिए यह एक चेतावनी है कि गलवान जैसी हरकत करने की कीमत उसे भारी पड़ सकती है.
ATAGS: क्यों खास है ये तोप?
एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम को 155mm/52 कैलिबर कैटेगरी में दुनिया की सबसे बेहतरीन तोप माना जा रहा है. यह तोप Bofors का अपग्रेडेड और आधुनिक संस्करण है, जिसने कारगिल युद्ध में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी.
- रेंज: 48 किमी (भविष्य में 80-90 किमी तक बढ़ाई जाएगी)
- तैयारी का समय: महज 80 सेकंड
- फायरिंग रेट: 2.5 मिनट में 10 शेल्स, 60 सेकंड में 5 शेल्स
- मोबिलिटी: 8x8 हाई मोबिलिटी ट्रक, 90 किमी/घंटा तक गति
- इंडिजिनस कंटेंट: 85% से अधिक स्वदेशी
- लागत: विदेशी तोपों की तुलना में आधी (₹15 करोड़ बनाम ₹35-40 करोड़)
पाकिस्तान क्यों डरा हुआ है?
अमृतसर से लाहौर की दूरी मात्र 50 किमी है, यानी भारतीय सेना बिना सीमा पार किए पाकिस्तान के रणनीतिक ठिकानों को मिनटों में ध्वस्त कर सकती है. इस रेंज के साथ भारत को भारी-भरकम बैलिस्टिक मिसाइलों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. पाकिस्तान की सैन्य छावनियां, हवाई अड्डे, और कमांड सेंटर अब ATAGS के निशाने पर होंगे. यह तोप शूट एंड स्कूट स्ट्रैटेजी पर काम करती है, यानी फायरिंग के तुरंत बाद अपनी पोजीशन बदल देती है, जिससे दुश्मन के काउंटर-अटैक का खतरा बेहद कम हो जाता है.
Image Source: ANI
चीन की बेचैनी का कारण
चीन के पास आधुनिक लंबी दूरी की तोपें और हाइपरसोनिक हथियार जरूर हैं, लेकिन भारत की ATAGS किफायती, तेज और पूरी तरह से स्वदेशी है. इसका मतलब यह है कि भारत को सप्लाई चेन में किसी विदेशी दबाव का सामना नहीं करना पड़ेगा. गलवान जैसी घटनाओं के बाद चीन ने लद्दाख और तिब्बत में भारी हथियार तैनात किए हैं. ऐसे में, ATAGS भारत को हाई एल्टीट्यूड इलाकों में भी बढ़त दिला सकती है, क्योंकि इसे रेगिस्तान से लेकर सियाचिन तक हर जगह टेस्ट किया जा चुका है.
कैसे बनी ये तोप?
- 2012: DRDO ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया
- भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स को मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर बनाया गया
- 2023 तक इसका फील्ड ट्रायल पूरा हो चुका था
- 2025: भारत सरकार ने ₹6,900 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी दी, जिसके तहत 307 ATAGS गन सिस्टम खरीदे जाएंगे
- पहला रेजीमेंट (18 गन) फरवरी 2027 तक भारतीय सेना को सौंपा जाएगा.
दुनिया के सबसे एडवांस्ड फीचर्स
- ऑटोमैटिक गन अलाइनमेंट और लोडिंग सिस्टम
- डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम
- मजबूत हाइड्रोलिक सपोर्ट और बैलिस्टिक कंप्यूटर
- GPS आधारित नेविगेशन और टारगेटिंग
इन खूबियों के कारण यह तोप किसी भी आधुनिक युद्ध क्षेत्र में फिट बैठती है.
आगे क्या? भारत की रणनीति
- DRDO इस तोप की क्षमता को और बढ़ाने पर काम कर रहा है.
- रेंज बढ़ाकर 80-90 किमी करना
- GPS-गाइडेड और रैमजेट शेल्स का इस्तेमाल
- समय के साथ सेल्फ-प्रोपेल्ड और माउंटेड वर्जन विकसित करना
इन अपग्रेड्स के बाद यह तोप भारत की सबसे बड़ी आर्टिलरी स्ट्राइक कैपेबिलिटी बन जाएगी.