भारत-चीन रिश्तों में नरमी के संकेत, दोनों देशों के नागरिकों के लिए फिर से शुरू होगा टूरिस्ट वीजा, 10 प्वाइंट्स में जानें सब कुछ
India China Relation: भारत और चीन के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण चल रहे संबंधों में एक नया मोड़ आया है. लंबे अरसे बाद दोनों देशों ने नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा फिर से बहाल करने का संकेत दिए हैं. भारत 24 जुलाई से चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना फिर से शुरू करेगा, जिसे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.;
भारत चीन सीमा से लगे गलवान घाटी में संघर्ष के बाद दोनों पक्षों की ओर से कई जवानों के मारे जाने के बाद से संबंध तनाव भरे रहे. अब दोनों देशों के बीच फिर से संबंधों में नरमी आने के संकेत हैं. दोनों देशों ने अपने नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन क्या ये सिर्फ 'टूरिज्म' है या किसी बड़े राजनयिक पहल के संकेत हैं. 10 प्वाइंट में जानिए बीजिंग की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आई और इसका कूटनीतिक अर्थ क्या हो सकता है?
चीन स्थित भारतीय दूतावास के हवाले से बताया गया था कि भारत इस साल 24 जुलाई से चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना फिर से शुरू करने के लिए तैयार है. चीन के विदेश मंत्रालय (एमएफए) ने इस कदम को "सकारात्मक" बताया था. साथ ही कहा था कि इससे सीमा पार यात्रा आसान हो जाएगी.
भारत-चीन के रिश्तों में मिले नरमी के संकेत ये हैं 10 प्वाइंट
1. साल 2020 में गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में ठंडापन आ गया था और टूरिस्ट वीजा भी बंद कर दिए गए थे. अब यह फैसला नई शुरुआत की ओर इशारा कर रहा है.
2. भारत सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह जल्द ही चीन के नागरिकों के लिए 24 जुलाई से टूरिस्ट वीजा की प्रक्रिया को फिर से शुरू करेगा.
3. बीजिंग ने भारत के इस पहल का स्वागत किया है और कहा है कि यह दोनों देशों के बीच ‘पीपल टू पीपल कनेक्ट’ को मजबूत करेगा. चीन ने भारत से भी वैसा ही कदम उठाने की अपील की है.
4. चीन ने पहले ही कई देशों के लिए वीजा नियमों को आसान किया है और अब भारत को भी शामिल करने की तैयारी है.
5. जून 2020 की झड़प के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों को वीजा देने पर रोक लगा दी थी.
इसके बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार में भारी वृद्धि हुई. अब वीजा बहाली से व्यापारिक यात्राओं को भी बढ़ावा मिलेगा.
6. साल 2022 में चीन ने भारतीय विद्यार्थियों को वापस बुलाने की अनुमति दी थी, जिसे संबंधों में नरमी के संकेत के तौर पर देखा गया था. विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम दोनों देशों के बीच चल रही बैकचैनल डिप्लोमेसी का हिस्सा हो सकता है. कोरोना और सीमा तनाव से प्रभावित पर्यटन उद्योग के लिए यह खबर राहत लेकर आई है.
7. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस नरमी के बावजूद भारत को रणनीतिक दृष्टि से सतर्क रहने की जरूरत है.
8. मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में सैन्य गतिरोध के बाद स्थिति को सामान्य करने के लिए कई दौर की बातचीत की थी. उसके बाद दोनों पक्षों ने टकराव वाले बिंदुओं से अपने अपने सैनिकों को हटा लिया था, लेकिन उन्होंने अभी तक सीमा से अग्रिम पंक्ति के बलों को वापस बुलाकर स्थिति को कम नहीं किया है.
9. दोनों पक्षों के पास वर्तमान में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं. पिछले साल, शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कजान में अपनी बैठक में एक महत्वपूर्ण सहमति बनाई थी, जिसने चीन-भारत संबंधों में सुधार और विकास की दिशा को इंगित किया था. मोदी-शी की यह बैठक भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक के लिए एक सैन्य वापसी समझौते पर हस्ताक्षर करने के दो दिन बाद हुई थी.
10. हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने द्विपक्षीय मुद्दों के समाधान के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर जोर दिया था. बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने एक्स पर लिखा, "सीमा से जुड़े पहलुओं पर ध्यान देना, लोगों के बीच आदान-प्रदान को सामान्य बनाना और प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और बाधाओं से बचना हमारी ज़िम्मेदारी है. उन्होंने कहा था कि मुझे विश्वास है कि आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता की नींव पर संबंध सकारात्मक दिशा में विकसित हो सकते हैं.