31 दिसंबर को छलकते जाम के बीच अगर चखना खत्म हुआ तो पार्टी पड़ेगी फीकी, ये Online प्लेटफार्म भी नहीं देंगे आपका साथ!
साल 2025 को अलविदा और 2026 के स्वागत के बीच न्यू ईयर ईव पर पार्टी करने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. 31 दिसंबर 2025 को देशभर में फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स से जुड़े लाखों डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल पर जाने वाले हैं. Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto, Amazon और Flipkart जैसी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. यूनियनों के अनुसार एक लाख से ज्यादा वर्कर्स लॉगआउट रहेंगे, जिससे खाना, ग्रॉसरी और आखिरी वक्त की खरीदारी में दिक्कत आ सकती है.;
साल 2025 को अलविदा कहने और 2026 के स्वागत की तैयारियां हर जगह जोरों पर हैं. 31 दिसंबर की शाम आते-आते कोई घूमने निकलता है, कोई पार्टनर के साथ पार्टी प्लान करता है, तो कोई दोस्तों की महफिल सजाता है. आज के डिजिटल दौर में इस जश्न का बड़ा हिस्सा ऑनलाइन ऑर्डर पर टिका होता है- खाना हो, ड्रिंक्स हों या फिर आखिरी वक्त की खरीदारी. लेकिन इस न्यू ईयर ईव पर आपकी पार्टी में खलल पड़ सकता है.
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दरअसल, 31 दिसंबर 2025 को देशभर में फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स से जुड़े लाखों डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल पर जाने का ऐलान कर चुके हैं. इस प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर Zomato, Swiggy, Blinkit, Zepto, Amazon और Flipkart जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स पर पड़ने की पूरी आशंका है. ऐसे में न्यू ईयर की रात ऑनलाइन ऑर्डर करना आसान नहीं रहेगा.
यूनियनों के मुताबिक, यह हड़ताल साल के सबसे व्यस्त दिन पर जानबूझकर रखी गई है ताकि कंपनियों का ध्यान डिलीवरी वर्कर्स की समस्याओं की ओर जाए. दावा किया जा रहा है कि एक लाख से ज्यादा डिलीवरी पार्टनर या तो ऐप से पूरी तरह लॉगआउट रहेंगे या फिर बेहद सीमित काम करेंगे. इसका सीधा असर फूड डिलीवरी, ग्रॉसरी और लास्ट-मिनट शॉपिंग पर पड़ेगा. अगर आप न्यू ईयर पार्टी को बिना किसी टेंशन के एंजॉय करना चाहते हैं, तो बेहतर है कि पहले से तैयारी कर लें- क्योंकि 31 दिसंबर की रात ऑनलाइन ऑर्डर करना इस बार मुश्किल साबित हो सकता है.
किसके नेतृत्व में हो रही है हड़ताल?
इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का नेतृत्व तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) कर रहे हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों की क्षेत्रीय यूनियनें भी इस आंदोलन का समर्थन कर रही हैं. यूनियन नेताओं के मुताबिक, क्रिसमस डे यानी 25 दिसंबर को हुई पिछली हड़ताल के बाद भी कंपनियों ने वर्कर्स की समस्याओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे नाराजगी और बढ़ गई है.
किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?
न्यू ईयर ईव पर आमतौर पर रिकॉर्ड संख्या में ऑर्डर आते हैं. ऐसे में इस हड़ताल का सीधा असर फूड डिलीवरी, ग्रॉसरी डिलीवरी और लास्ट-मिनट शॉपिंग पर पड़ सकता है. पुणे, बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, छत्रपति संभाजीनगर समेत कई बड़े शहरों और टियर-2 शहरों में डिलीवरी में भारी बाधा की आशंका जताई जा रही है.
क्यों सड़कों पर उतरे डिलीवरी वर्कर्स?
यूनियनों का कहना है कि फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स सेक्टर का तेज़ी से विस्तार हुआ है, लेकिन इसका फायदा ज़मीन पर काम करने वाले वर्कर्स को नहीं मिला. न बेहतर वेतन मिला, न नौकरी की सुरक्षा और न ही सुरक्षित कामकाजी हालात. TGPWU के संस्थापक और IFAT के राष्ट्रीय महासचिव शेख सलाउद्दीन ने कहा कि 'हमारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल ने भारत की गिग इकॉनमी की सच्चाई को उजागर कर दिया है.'
उनका आरोप है कि जब भी वर्कर्स अपनी आवाज़ उठाते हैं, कंपनियां आईडी ब्लॉक करने, धमकाने, पुलिस शिकायत और एल्गोरिदमिक सज़ा जैसे तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. सलाउद्दीन ने इसे “modern-day exploitation” बताते हुए कहा कि 'गिग इकॉनमी मज़दूरों के टूटे हुए शरीरों और दबाई गई आवाज़ों पर खड़ी नहीं की जा सकती.”
10 मिनट डिलीवरी का दबाव और सड़क सुरक्षा
यूनियनों का एक बड़ा आरोप ‘10 मिनट डिलीवरी’ जैसे अल्ट्रा-फास्ट मॉडल को लेकर है. उनका कहना है कि इस तरह के वादे डिलीवरी पार्टनर्स को सड़क पर जोखिम उठाने के लिए मजबूर करते हैं और हादसों की संभावना बढ़ जाती है. यूनियन नेता ने साफ कहा कि 'हम असुरक्षित '10-मिनट डिलीवरी’ मॉडल, मनमाने तरीके से आईडी ब्लॉक किए जाने और सम्मान व सामाजिक सुरक्षा से वंचित किए जाने को स्वीकार नहीं करेंगे.'
घटती कमाई और बढ़ता काम
डिलीवरी वर्कर्स का दावा है कि कंपनियां बार-बार इंसेंटिव स्ट्रक्चर बदल देती हैं, जिससे उनकी मासिक आय अनिश्चित हो जाती है. पहले जितनी कमाई होती थी, अब उतनी ही आय के लिए ज्यादा घंटे काम करना पड़ रहा है, फिर भी न पेड लीव है और न ही हेल्थ कवर या इनकम प्रोटेक्शन. वर्कर्स ने कमजोर ग्रिवेंस रिड्रेसल सिस्टम पर भी सवाल उठाए हैं. बिना वजह आईडी डीएक्टिवेट होना, पेमेंट में देरी, ऐप की गलती पर पेनल्टी और अस्पष्ट रूट असाइनमेंट जैसी शिकायतें आम हैं. वर्कर्स का कहना है कि इन समस्याओं के समाधान के लिए कोई प्रभावी और तेज़ व्यवस्था मौजूद नहीं है.