प्राकृतिक आपदाओं से कितना नुकसान हुआ, कितने मेडिकल इंटर्न ने आत्महत्या की? केंद्र के पास कोई डेटा नहीं
Parliament Winter Session 2024: प्राकृतिक आपदाओं से कितना नुकसान और अस्पतालों में कितने मेडिकल इंटर्न ने आत्महत्या की, इसका केंद्र सरकार के पास कोई डेटा नहीं है.;
Parliament Winter Session: केंद्र सरकार ने संसद में यह स्वीकार किया है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसके पास डेटा की कमी है. इसमें प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान, मेडिकल इंटर्न की आत्महत्या, एससी-एसटी छात्रों के साथ भेदभाव और परीक्षाओं में पेपर लीक जैसे मुद्दे शामिल हैं.
राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद ने 4 दिसंबर को कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का आंकड़ा नहीं रखती है. उन्होंने राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में यह बात कही.
सुरजेवाला ने पूछा था कि केरल के वायनाड जिले में आए भू्स्खलन में कितने लोग मारे गए हैं, कितने घायल हुए, कितने लोग दिव्यांग हुए और कितने लोग लापता हैं. इसके जवाब में नित्यानंद राय ने कहा कि केरल सरकार ने 17 अगस्त 2024 को बताया था कि वायनाड में भूस्खलन की वजह से 359 लोगों की मौत हुई है या वे लापता हो गए हैं. वहीं, 95 लोग 40 प्रतिशत से दिव्यांग और 378 लोग घायल हुए हैं.
'सरकारी अस्पतालों में इंटर्न की आत्महत्या पर कोई डेटा नहीं'
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने 3 दिसंबर को बताया कि उनके पास अस्पतालों में आत्महत्या करने वाले मेडिकल इंटर्न की आत्महत्या का कोई डेटा नहीं है. उन्होंने यह बात सुखेंदु शेखर रे के द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही. इस वाल में पूछा गया था कि पिछले 5 साल के दौरान देश में सरकारी अस्पतालों में आत्महत्या करने वाले मेडिकल इंटर्न की संख्या कितनी है.
प्रतापराव जाधव ने बताया कि मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए फरवरी 2024 में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की एंटी रैगिंग समिति की तरफ से 15 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स की स्थापना की गई है.
'SC-ST छात्रों के साथ भेदभाव पर कोई आंकड़ा नहीं'
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में जेडीयू सांसद आलोक कुमार सुमन के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि केंद्र सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एम्स और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) छात्रों के साथ होने वाले भेदभाव के मामलों का आंकड़ा नहीं रखती है.
जेडीयू सांसद ने पूछा था कि क्या पिछले एक दशक में एससी एसटी के खिलाफ भेदभाव की घटनाएं बढ़ी हैं. इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 और 2022 के बीच एससी और एसटी के खिलाफ अपराध और अत्याचार के मामलों में इजाफा हुआ है. हालांकि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भेदभाव को कम करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं. इसमें एससी एसटी छात्र प्रकोष्ठ, समान अवसर प्रकोष्ठ, छात्र शिकायत प्रकोष्ठ, छात्र शिकायत निवारण समिति और उच्च शिक्षण संस्थानों में संपर्क अधिकारी आदि की स्थपना और छात्रों के हितों की रक्षा के लिए नियम जारी करना शामिल है.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से 2022 तक एससी और एसटी के खिलाफ अत्याचार के संबंध में 5.24 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए. साल 2013 में 46,201 की तुलना में साल 2022 में पंजीकृत मामलों की संख्या 67 हजार 646 थी.
'पेपर लीक पर कोई डेटा नहीं'
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने 2 दिसंबर को बताया कि भर्ती के साथ-साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए विभिन्न निकायों द्वारा परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं. परीक्षा से संबंधित घटनाओं के बारे में डेटा सरकार नहीं रखती है. उन्होंने नीट परीक्षा में कुप्रबंधन और रिजल्ट में हेराफेरी के सवाल पर कहा कि परीक्षा के बाद अनियमितताओं, धोखाधड़ी और कदाचार की रिपोर्ट सामने आई. इस पर शिक्षा मंत्रालय ने सीबीआई को साजिश, धोखाधड़ी और विश्वासघात समेत आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया.