होलिका दहन को क्यों मनाया जाता है और इससे क्या सीख मिलती है? जानें सबकुछ

​होलिका दहन का पर्व फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो इस साल 13 मार्च यानी आज है. होलिका दहन का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका दहन के अगले दिन रंगों का पर्व होली मनाया जाता है, जो 14 मार्च को है. यह पर्व सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक है, जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं.;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 13 March 2025 8:01 PM IST

Holika Dahan Holika Prahlad Story: होलिका दहन का पर्व इस साल 13 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त आज रात 11:26 बजे से शुरू होकर 14 मार्च को रात 12:30 बजे तक रहेगा. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. होलिका दहन के अगले दिन यानी 14 मार्च को रंगों का त्योहार होली मनाया जाएगा.

होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. इस दिन नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

होलिका दहन का पर्व क्यों मनाया जाता है?

पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस राजा हिरण्यकश्यप चाहता था कि सब लोग उसे भगवान मानें, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप ने उसे मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन असफल रहा. आखिर में, उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे. होलिका को वरदान मिला हुआ था कि आग उसे जला नहीं सकती, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई. तभी से होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.

होलिका दहन कैसे किया जाता है?

होलिका दहन में होलिका की प्रतिमा के साथ प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित की जाती है. फिर रोली, अक्षत, फूल, कच्चा कपास, हल्दी, मूंग, बताशा, गुलाल, नारियल और नई फसल जैसे गेहूं आदि अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है और होलिका की सात बार परिक्रमा की जाती है. ​ इस दिन लकड़ियों और उपले से होलिका दहन किया जाता है, जिससे नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

होलिका दहन का पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वालों की सदा विजय होती है. इसलिए, हमें इस मौके पर अपने अंदर की बुराइयों को त्यागकर अच्छाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए.

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