HAMMER मिसाइल सिस्टम : आधुनिक जंग की ‘साइलेंट हंटर’ - भारत के लिए क्यों है गेमचेंजर हथियार?
मेक इन इंडिया के तहत हैमर मिसाइल के निर्माण से भारत को निश्चित रूप से सामरिक बढ़त हासिल होगी. HAMMER मिसाइल सिस्टम भारत की स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता में बड़ा उछाल लाता है. GPS‑INS‑IR/लेज़र गाइडेंस और 70 किमी रेंज इसे दुश्मन की एयर‑डिफेंस से बाहर रहकर सटीक वार करने में सक्षम बनाते हैं. चीन‑पाकिस्तान की A2/AD चुनौतियों के बीच यह भारत के लिए निर्णायक गेमचेंजर सिद्ध हो रहा है. BEL‑Safran की भारत में निर्माण डील से न सिर्फ ऑपरेशनल क्षमता बढ़ेगी, बल्कि भारत की डिफेंस इंडस्ट्रियल सेल्फ-रिलायंस को भी मजबूत बढ़त मिलेगी.;
HAMMER Missile System: भारत आज ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहां उसकी भू-रणनीतिक चुनौतियां पहले से कहीं ज़्यादा जटिल हो चुकी हैं. पूर्व में चीन, पश्चिम में पाकिस्तान और हिंद-प्रशांत में तेज़ी से बदलता समुद्री भू-राजनीतिक माहौल - इन तीनों मोर्चों ने भारतीय वायुसेना के सामने एक साझा आवश्यकता खड़ी कर दी है: सटीक, तेज़ और सुरक्षित दूरी से हमला करने की क्षमता. यही वह सामरिक रिक्ति थी जिसे भरने के लिए भारत ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों के साथ जिस हथियार पर सबसे अधिक भरोसा किया, वह है हैमर मिसाइल सिस्टम (HAMMER Missile System). यह हथियार सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता का नया “शक्ति-स्तंभ” है - खासकर उन स्थितियों में जहां भारतीय फाइटर्स को ऊंचे पहाड़ी इलाकों, भारी वायु-रक्षा और सटीक लक्ष्य-भेदन की चुनौतियों से जूझना पड़ता है.
LAC पर चीन के साथ तनाव, पाकिस्तान की गहराई में स्थित आतंकी बुनियादें, और भारतीय सीमाओं पर बढ़ती ड्रोन्स-असिमेट्रिक खतरों के बीच HAMMER मिसाइल भारतीय वायुसेना के लिए एक निर्णायक गेमचेंजर बनकर उभरी है - ऐसा हथियार जिसे न सिर्फ दूर से चलाया जा सकता है, बल्कि जो किसी भी मौसम, किसी भी इलाके और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक-वॉरफेयर स्थिति में मिसाइल को लक्ष्य तक बिना चूके पहुंचा देता है. अब भारत ने फ्रांस की कंपनी Safran के साथ मिलकर देश में ही इस मिसाइल के निर्माण का समझौता किया है. भारत की प्रमुख रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी Bharat Electronics Limited (BEL) और फ्रांस की Safran Electronics & Defence (SED) ने मिलकर HAMMER (Highly Agile Modular Munition Extended Range) मिसाइल का निर्माण भारत में करने के लिए साझेदारी की है.
तो आइए जानते हैं कि यह मिसाइल कितनी खतरनाक है और इससे भारत में निर्माण से भारत की सामरिक ताकत कितनी बढ़ेगी.
HAMMER Missile System सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि एक मॉड्यूलर वेपन सिस्टम है, जिसे आवश्यकतानुसार बम, गाइडेंस किट और रॉकेट बूस्टर जोड़कर किसी भी मिशन के अनुरूप बदला जा सकता है. यही वजह है कि NATO देशों की वायु सेनाएं इसे आधुनिक एयर-टू-सरफेस हथियारों की ‘गोल्ड स्टैंडर्ड’ मानती हैं.
HAMMER क्या है और इसे इतना खास क्या बनाता है?
HAMMER (AASM) - Highly Agile Modular Munition Extended Range - एक प्रिसिजन-गाइडेड एयर-टू-ग्राउंड वेपन है. यह बम और मिसाइल - दोनों की खूबियों को एक ही सिस्टम में जोड़कर हाइब्रिड क्षमता देता है.
मुख्य खूबियां
- 70 किमी तक स्टैंड-ऑफ रेंज: यानी विमान को दुश्मन की एयर डिफेंस रेंज में आए बिना हमला करने की क्षमता.
- 3-Mode Guidance: GPS + INS + IR/laser terminal guidance
- Warhead विकल्प: 125kg, 250kg, 500kg, 1000kg
- प्लैटफॉर्म: Rafale, Mirage 2000 और अन्य NATO स्टैंडर्ड एयरक्राफ्ट पर एकीकृत हो सकता है.
मॉड्यूलर डिज़ाइन: असली गेमचेंजर
HAMMER की सबसे बड़ी ताकत इसका plug-and-play modular structure है. यह तीन भागों में बना होता है:
- बम बॉडी : NATO Mk 82/83/84
- गाइडेंस किट : INS-GPS + (IR/laser)
- रेंज एक्सटेंशन किट : रॉकेट प्रोपल्सन सिस्टम
यह मॉड्यूलरिटी सेनाओं को मिशन के हिसाब से हथियार को कस्टमाइज करने देती है. यदि लक्ष्य बंकर है, तो भारी 1000 kg वॉरहेड. यदि मिशन तेज गति वाले मूविंग टारगेट का है, तो लेज़र गाइडेंस. और यदि ऑपरेशन पहाड़ी इलाके में है, तो रॉकेट-प्रोपेल्ड हाई-एंगल स्ट्राइक.
युद्धभूमि में बेजोड़ सटीकता
हैमर की सफलता का आधार है इसका ट्रिपल-गाइडेंस सिस्टम:
- INS (Inertial Navigation System) : GPS-जैमिंग स्थितियों में भी मिसाइल अपना रास्ता नहीं भटकती.
- GPS Guidance: मिशन को सर्जिकल प्रिसिजन के साथ पूरा करता है - कुछ मीटर की त्रुटि के भीतर.
- Terminal Guidance : Infrared क्षमता की वजह से जहां रात में भी सटीक निशाना लगाने में मदद मिलती है वहीं Laser गाइडेंस से मूविंग टारगेट पर सीधा वार संभव हो पाता है.
इन तीनों की वजह से HAMMER एक जैम-रेसिस्टेंट, हाई-एक्युरेसी, ऑल-वेदर हथियार बन जाता है.
युद्ध में खुद को साबित कर चुका हथियार
हैमर कोई एक्सपेरिमेंट की तकनीक नहीं बल्कि युद्ध में खुद को साबित कर चुका हथियार है. माली में साल 2013 में ऑपरेशन सरवल, लिबिया युद्ध औ सीरिया युद्ध अभियानों में यह सफल साबित हो चुका है. इन अभियानों में इसने पहाड़ी और शहरी दोनों तरह की परिस्थितियों में अद्भुत प्रदर्शन किया - खासकर अधिक ऊंचाई पर हमलों में.
स्ट्रैटेजिक इम्पॉर्टेंस: क्यों है भारत के लिए जरूरी?
- स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक क्षमता : HAMMER विमान को दुश्मन की एयर-डिफेंस रेंज में प्रवेश किए बिना हमला करने की क्षमता देता है. यह चीन और पाकिस्तान दोनों के संदर्भ में भारतीय वायुसेना के लिए निर्णायक क्षमता है.
- A2/AD (Anti-Access/Area Denial) वातावरण में कारगर : जब दुश्मन के पास S-300/S-400 जैसी मिसाइलें हों, तब स्टैंड-ऑफ प्रिसिजन मुनिशन ही वास्तविक “फोर्स-प्रोजेक्शन” बना सकता है.
- हाई-वैल्यू टारगेट्स को सुरक्षित दूरी से नष्ट करना: बंकर, रडार साइट्स, SAM बैटरियां, हथियार डिपो—HAMMER इन सभी को खत्म कर सकता है.
- राफेल के साथ ‘परफेक्ट मैच’ : HAMMER मूल रूप से राफेल के लिए विकसित किया गया था. इसलिए राफेल की SPECTRA EW सिस्टम + HAMMER का कॉम्बिनेशन दुनिया के सबसे खतरनाक स्ट्राइक पैकेजों में गिना जाता है.
भारत में इसकी मांग क्यों तेज हुई?
राफेल स्क्वॉड्रन के सक्रिय होने के बाद भारत ने तुरंत HAMMER की एक बैच खरीदी क्योंकि:
- भारत-चीन तनाव चरम पर था
- LAC पर हवाई प्रभुत्व सुनिश्चित करना था
- पहाड़ी इलाकों में बेहद सटीक स्ट्राइक की आवश्यकता थी
- इसके बाद भारत ने और बड़ी संख्या में इसकी अतिरिक्त सप्लाई की डील की
वैश्विक रुचि - कौन-कौन देश खरीद रहे हैं?
HAMMER की मांग हर साल बढ़ रही है. रुझान दिखाते हैं कि 2025 तक भारत, मिश्र, ग्रीस, यूएई, फ्रांस जैसे देश इसे खरीद या इंटीग्रेट कर रहे हैं. Rafale का निर्यात बढ़ने के साथ HAMMER की मांग और तेजी से बढ़ रही है.