अगर नहीं मिले कैश तो जांच कैसी और ट्रांसफर क्यों? दिल्ली HC जज मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने उठाए कई सवाल
पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जज कानून से ऊपर नहीं हैं. उन्होंने ये भी कहा कि समस्या यह है कि न्यायपालिका की ईमानदारी और निष्ठा के बारे में जनता की धारणा और न्यायपालिका की क्षमता को गंभीर रूप से नष्ट किया जा रहा है, जिसे बचाने की आवश्यकता है.;
Delhi HC judge Yashwant Verma case: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर से 15 करोड़ रुपये बरामद होने की रिपोर्ट ने पूरे से में न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. आनन फानन में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जज के इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर का आदेश दे दिया और जब मुद्दा गरमाया तो सुप्रीम कोर्ट ने ही आगे आकर कहा कि ये ट्रांसफर कैश जांच मामले में नहीं हुई है.
मामले में एक और नया मोड़ तब आया जब दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि आवास पर अग्निशमन कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली, तो फिर सवाल उठे के ट्रांसफर क्यों? मामले को लेकर पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कई सवाल खड़े किए हैं और मामले को काफी गंभीर बताया है, साथ ही ट्रांसफर रोकने की बात कही है.
'ट्रांसफर को तुरंत रोका जाना चाहिए'
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, हरीश साल्वे ने कहा, 'जज का इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर रोका जाना चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली अग्निशमन प्रमुख ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में न्यायाधीश के बंगले से अग्निशमन कर्मियों को कोई सामान नहीं मिला है, जिससे एक अजीब और संदिग्ध स्थिति पैदा हो गई है.
यह पूछे जाने पर कि यह रिकवरी भारत में न्यायिक जवाबदेही को लेकर क्या कहती है? इस पर हरीश साल्वे ने कहा, 'मैं यह मानकर चल रहा था कि रिकवरी हुई है. अब यह बहुत ही अजीब स्थिति है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जज के ट्रांसफर के आदेश जारी किए हैं और जांच के आदेश दिए गए हैं और दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि कोई रिकवरी नहीं हुई है. यदि कोई रिकवरी नहीं हुई है तो जांच किस बारे में है?'
भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है. अगर इस तरह का गंभीर आरोप झूठा लगाया जा रहा है तो यह गंभीर सवाल खड़े करता है और अगर आरोप सच है तो यह फिर से बहुत गंभीर सवाल खड़े करता है.' उन्होंने कहा, 'मेरे विचार से अब उनके तबादले को रोक दिया जाना चाहिए. क्योंकि अगर उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं तो उनका तबादला करना उनके साथ बहुत अन्याय है. इसकी जांच होनी चाहिए.'
'न्यायाधीश कानून से ऊपर नहीं हैं'
पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि न्यायिक प्रतिरक्षा जैसी कोई चीज नहीं है. उन्होंने कहा कि यह परंपरा जरूरी है कि पुलिस किसी जज के काम के संबंध में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कर सकती. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायाधीश कानून से ऊपर हैं या कानून से परे हैं.