आसान नहीं था जज का काम, ट्रोलिंग और परिवार से दूरी... जब पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने सुनाई अपनी कहानी
पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक इंटरव्यू में कहा कि ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया में चलने वाली बातों का हम लोगों पर असर नहीं होता है. इसका समाज के ऊपर असर पड़ता है. सीजेआई ने कहा कि कोर्ट के क्लर्क सोशल मीडिया पर एक्टिव थे और वे अनुरोध करते थे कि मैं कमेंट न पढ़ूं क्योंकि उन टिप्पणियों से निराशा होती थी. यह बयान जजों की मानसिक स्थिति व उन पर होने वाले दवाब को भी उगाजर करता है.;
DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक NDTV को दिए इंटरव्यू में अपनी जिंदगी से जुड़े कई बड़े खुलासे किए. उन्होंने करियर और परिवार के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है लेकिन उसे लागू करने का अधिकार पूरी तरह से न्यायपालिका के हाथों में है. यह केवल अधिकार है बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है.
इंटरव्यू में चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया के मुद्दों पर भी बात की. चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया में चलने वाली बातों का हम लोगों पर असर नहीं होता है. इसका समाज के ऊपर असर पड़ता है. जब मैं जज था तो मुझे अपनी अदालत के कामकाज पर पूरा फोकस करना होता था और इसलिए मैं सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं से दूर रहता था.
सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव
पूर्व सीजेआई ने कहा कि कोर्ट के क्लर्क सोशल मीडिया पर एक्टिव थे और वे अनुरोध करते थे कि मैं कमेंट न पढ़ूं क्योंकि उन टिप्पणियों से निराशा होती थी. यह बयान जजों की मानसिक स्थिति व उन पर होने वाले दवाब को भी उगाजर करता है. जब कोई यूजर उनके खिलाफ अपमानजनक या गलत बातें लिखी जाती हैं.
जजों की नियुक्ति पर क्या बोले चंद्रचूड़?
चंद्रचूड़ ने एक सवाल के जवाब में बताया कि न्यायपालिका की जजों की नियुक्ति कोई खास रोल नहीं होता है. विशेष हित समूहों द्वारा मामलों के परिणामों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है. कॉलेजियम सिस्टम के बारे में बहुत सी गलतफहमियां हैं. उन्होंने यह भी बताया कि रिटारमेंट के बाद कैसे दिन गुजर रहे हैं इस पर बात की और कहा कि साढ़े 8 साल की आदत थी. उससे पहले 24 साल तक मैं जज रहा हूं और इसके अलावा मेरी दुनिया में कुछ काम नहीं था. सुबह उठकर फाइल पढ़ना, कोर्ट जाना, शाम को आकर जजमेंट डिक्टेट करना और रात को अगले दिन की फाइल पढ़ना यही जिंदगी रही.
चंद्रचूड़ ने अपनी फैमिली पर की बात
पूर्व सीजेआई ने कहा कि मैं 24 सालों में अपने परिवार के साथ लंच नहीं कर पाया. बहुत बार तो डिनर के समय भी मैं अपने ऑफिस में ही रहता था. लेकिन अब मैं वो सब कर पा रहा हूं. उन्होंने बताया कि प्राइवेट सिटिजन बनकर और ज्यूडिशियल ऑफिस की बाउंडेशन में नहीं होने के बाद मुझे अच्छा लग रहा है.