दागो और भूल जाओ! 'टैंक किलर' AT-4 कैसे करेगा पाकिस्तान की नाक में दम? रूसी टैंकों को पलभर में कर चुका है जमींदोज
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत ने स्वीडिश कंपनी SAAB से AT4 Anti-Armor हथियार प्रणाली ली है. भारत ने जो AT-4 लिया है वो CS AST वेरिएंट है. ये विशेष रूप से शहरी युद्ध और बंकर ध्वस्तीकरण के लिए बढ़िया है. यह हल्का, कंधे पर रखकर दागा जाने वाला ‘टैंक किलर’ है. ये भारतीय सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए और मजबूती देता है.;
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तेजी से बढ़ रहा है, जिससे क्षेत्र में युद्ध की आशंका जताई जा रही है. ऐसे संवेदनशील समय में स्वीडिश रक्षा कंपनी SAAB ने भारतीय सशस्त्र बलों को AT4 Anti-Armor हथियार प्रणाली देने की पुष्टि कर दी है. SAAB इंडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने AT4 प्रणाली को सफलतापूर्वक भारतीय सुरक्षा बलों को सौंप दिया है.
भारत ने इस हथियार का AT4CS AST वेरिएंट खरीदा है, जिसे विशेष रूप से घनी आबादी वाले इलाकों में दुश्मन ठिकानों को निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस डिलीवरी से भारत की सामरिक क्षमताओं को न केवल मजबूती मिलेगी, बल्कि यह एक निर्णायक समय में सैन्य तैयारियों को भी बताता है.
क्या है AT-4 की खासियत?
AT-4 एक हल्का, एकल-प्रयोग वाला, कंधे पर रखकर दागा जाने वाला एंटी-टैंक हथियार है जिसे मुख्य रूप से स्वीडन की कंपनी Saab Bofors Dynamics द्वारा विकसित किया गया है. इसे आमतौर पर 'टैंक किलर' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य बख्तरबंद वाहनों, विशेष रूप से टैंकों, को नष्ट करना है.
AT-4 की प्रमुख विशेषताएं
AT-4 (एंटी टैंक 4) की प्रमुख विशेषता ये है कि इसे कोई भी सैनिक कंधे पर रखकर दाग सकता है. AT-4 का वजन लगभग 6.7 किलोग्राम होता है और इसकी लंबाई लगभग 1 मीटर होती है. यह 84 मिमी कैलीबर का हथियार है और 600 से 1,000 मीटर तक की प्रभावी रेंज रखता है, हालांकि इसका आदर्श टारगेट रेंज 300 से 500 मीटर के बीच है. इसका उपयोग मुख्य रूप से हल्के से मध्यम बख्तरबंद वाहनों, बंकरों और मजबूत संरचनाओं को नष्ट करने में किया जाता है. AT-4 की खास बात यह है कि यह फायर-एंड-फॉरगेट सिस्टम है, "दागो और भूल जाओ." जिससे युद्ध के मैदान में तेजी से प्रतिक्रिया संभव होती है. यह हथियार NATO और कई अन्य देशों की सेनाओं में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है.
भारत में AT-4
भारत ने हाल ही में Saab AT4 को अपनाने की घोषणा की है, जो भारतीय सेना के लिए एक प्रभावी, पोर्टेबल एंटी-टैंक हथियार के रूप में काम करेगा. इसे विशेष रूप से लाइट इन्फैंट्री यूनिट्स और कमांडो बलों द्वारा प्रयोग किया जाएगा. यह भारत के लिए एक भरोसेमंद, सिंगल-शॉट समाधान है जो कम दूरी की लड़ाई, शहरी युद्ध, और बंकर ध्वस्त करने जैसे अभियानों के लिए आदर्श है. भारत ने इस हथियार का AT4CS AST वेरिएंट खरीदा है.
AT-4 के प्रकार
- AT4-CS (Confined Space): बंद स्थानों से दागने के लिए उपयुक्त, जैसे कमरे या बंकर
- AT4 HEAT: पारंपरिक एंटी-टैंक वर्जन
- AT4 HP (High Penetration): बेहतर कवच भेदी क्षमता
- AT4 AST (Anti-Structure): इमारतों और किलेबंदी को ध्वस्त करने के लिए
क्यों कहा जाता है 'टैंक किलर'?
AT-4 को खासतौर पर इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह आधुनिक टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के कवच को भेद सके. इसका HEAT वारहेड ऊर्जा को एक बिंदु पर केंद्रित करता है जिससे यह मोटे कवच में छेद कर सकता है. युद्धक्षेत्र में, इसका प्रयोग शहरी युद्ध, एंटी-आर्मर, और बंकर भेदी अभियानों में बड़े पैमाने पर होता है. यूक्रेन के साथ हुए युद्ध में इसने रूस की सेना के कई टैंकों को ध्वस्त कर दिया था.