'वोट चोरी' का आरोप संविधान का अपमान, राहुल गांधी हलफनामा दें या माफी मांगें... प्रेस कॉन्फ्रेंस में CEC ने और क्या कहा?

चुनाव आयोग ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार SIR विवाद पर राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत का हर नागरिक, जो 18 साल की उम्र का हो चुका है, मतदाता अवश्य बनना चाहिए, मतदान अवश्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक दलों में भेदभाव नहीं कर सकती. उसके लिए सभी एक समान है. कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है. 'वोट चोरी' का आरोप संविधान का अपमान नहीं है तो क्या है...;

( Image Source:  Social Media )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 17 Aug 2025 4:23 PM IST

CEC Press Conference on Bihar SIR Controversy: बिहार में जारी SIR विवाद के बीच चुनाव आयोग (ECI) ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान आयोग ने विपक्ष के आरोपों का एक-एक करके जवाब दिया. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत के संविधान के मुताबिक, भारत का हर नागरिक, जो 18 साल की उम्र का हो चुका है, मतदाता अवश्य बनना चाहिए, मतदान अवश्य करना चाहिए. आयोग ने कहा कि वह राजनीतिक दलों में भेदभाव नहीं कर सकती. उसके लिए सभी एक समान है. कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है. चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेगा.

CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि पिछले दो दशकों से कई राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों में सुधार की मांग करते रहे हैं. इसी के तहत हमने SIR की शुरुआत बिहार से की. मतदाता सूची की सत्यापन किया जा रहा है, लेकिन सच को नजरअंदाज कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा, "मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारतीय नागरिक ही सांसद और विधायक के चुनाव में वोट दे सकते हैं. दूसरे देशों के लोगों को यह अधिकार नहीं है. अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो एसआईआर प्रक्रिया के दौरान उन्हें कुछ दस्तावेज जमा करके अपनी राष्ट्रीयता साबित करनी होगी. जांच के बाद उनके नाम हटा दिए जाएंगे."

'वोट चोरी का आरोप भारत के संविधान का अपमान'

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार के 7 करोड़ से ज्यादा मतदाता आयोग के साथ हैं. अगर मतदाता सूची में कोई त्रुटियां हों तो उसकी जानकारी दलों को दें. उन्होंने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि 'वोट चोरी' का आरोप भारत के संविधान का अपमान नहीं है तो क्या है. राहुल या तो हलफनामा दाखिल करें या माफी मांगें. बता दें कि राहुल और विपक्ष ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर 'वोट चोरी' करने का आरोप लगाया. 11 अगस्त को विपक्ष ने संसद से लेकर आयोग तक मार्च भी निकाला था.

"जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है"

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से हमेशा खुले हैं. जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनीतिक दल और सभी बूथ लेवल अधिकारी मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं, सत्यापन कर रहे हैं, हस्ताक्षर कर रहे हैं और वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं. यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित BLA के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है. सभी हितधारक मिलकर काम करके बिहार के SIR को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

'झूठे आरोपों से चुनाव आयोग नहीं डरता'

CEC ने कहा कि झूठे आरोपों से चुनाव आयोग नहीं डरता. बिहार के 7 करोड़ मतदाता हमारे साथ हैं. उन्होंने कहा कि आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति की जा रही है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से ज़्यादा कर्मचारी, 10 लाख से ज़्यादा बूथ लेवल एजेंट, उम्मीदवारों के 20 लाख से ज़्यादा पोलिंग एजेंट काम करते हैं. इतने सारे लोगों के सामने इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई मतदाता वोट चुरा सकता है?"

"निराधार आरोप लगाने के पीछे की मंशा को समझते हैं लोग"

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नतीजे घोषित करने के बाद भी, कानून में यह प्रावधान है कि 45 दिनों की अवधि के भीतर राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट में जाकर चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं. इस 45 दिनों की अवधि के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाना, चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो या बिहार हो. जब चुनाव के बाद की वह 45 दिन की अवधि समाप्त हो जाती है और उस अवधि के दौरान किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को कोई अनियमितता नहीं मिलती है, तो आज इतने दिनों के बाद, देश के मतदाता और लोग इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे की मंशा को समझते हैं..."

SIR क्या है?

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले, चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें मतदाता सूची का ड्राफ्ट रूप जारी कर लोगों को नाम शामिल करने के लिए दस्तावेज जमा करने का कहा गया. हालांकि, आधार, राशन कार्ड और EPIC जैसे सामान्य दस्तावेज इस प्रक्रिया में वेरिफ़िकेशन के लिए स्वीकार नहीं किए गए थे. इससे लाखों लोगों, ख़ासकर प्रवासियों, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को वोटर सूची से बहिष्कृत करने का डर पैदा हो गया.

कांग्रेस- RJD समेत विपक्षी पार्टियों ने की SIR की आलोचना

कांग्रेस, RJD समेत विपक्षी पार्टियों ने SIR की आलोचना करते हुए इसे 'वोट चोरी' की साजिश बताया और ‘वोटर अधिकार यात्रा’ (Voter Adhikar Yatra) शुरू की. RJD नेता तेजस्वी यादव ने चेताया कि यदि चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए तो विपक्ष बिहार चुनाव का बहिष्कार भी कर सकता है. संसद और विधानसभाओं में विपक्षी विधायकों ने काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया, लोकसभा-राज्यसभा में हंगामा हुआ और कार्यवाही बाधित रही. JDU ने भी सीमा पर विरोध करने वाले खुद के सांसद गिरधारी यादव को नोटिस जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल

SIR को चुनौती देते हुए, सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं. कोर्ट ने इसे भरोसे की कमी का मामला बताया और चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि ड्राफ्ट से हटाए गए लगभग 65 लाख नामों की सूची जिला और बूथ स्तर पर सार्वजनिक की जाए और कारण स्पष्ट किए जाएं. अदालत ने यह भी कहा कि आधार को पहचान का अंतिम प्रमाण नहीं माना जा सकता. वेरिफिकेशन की ज़रूरत होगी. अन्य दस्तावेज़ों को भी स्वीकार किया जाए.

राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'vote chori' का आरोप लगाया और लोगों से सतर्क होने की अपील की. वहीं, अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे अवैध घुसपैठियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं और SIR एक पुरानी प्रक्रिया है जो जवाहरलाल नेहरू के समय शुरू हुई थी . कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और न्यायपालिका पर भरोसा होना चाहिए.

Similar News