होली के दिन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में लगे भूकंप के झटके, 4.0 और 5.2 रही तीव्रता
होली की सुबह जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भूकंप के झटकों से दहशत फैल गई. लद्दाख में 5.2 और अरुणाचल में 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. भूकंप जोन IV में स्थित होने के कारण ये क्षेत्र संवेदनशील हैं. हालांकि, कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. प्रशासन स्थिति की निगरानी कर रहा है.;
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में होली की सुबह भूकंप के झटकों ने लोगों में दहशत फैला दी. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, लद्दाख में भूकंप की तीव्रता 5.2 मापी गई, जो 15 किलोमीटर की गहराई पर था. भूकंप के झटके लेह और आसपास के इलाकों में महसूस किए गए, जिससे लोगों में घबराहट फैल गई.
लद्दाख और लेह हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण भूकंप प्रवण जोन IV में आते हैं, जहां इस तरह के भूकंप अक्सर देखे जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और विवर्तनिक प्लेटों की हलचल की वजह से यहां बार-बार भूकंप आते हैं. हालांकि, अब तक किसी बड़े नुकसान या हताहत की सूचना नहीं मिली है, लेकिन प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
अरुणाचल प्रदेश में घरों से बाहर निकले लोग
अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए, जहां इसकी तीव्रता 4.0 दर्ज की गई. राज्य के कई हिस्सों में लोग अचानक झटके महसूस होने के कारण घरों से बाहर निकल आए. हालांकि, यहां भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन टीमें स्थिति की निगरानी कर रही हैं, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके.
कितने जोन में बंटा है भारत
भारत को भूकंपीय गतिविधियों के आधार पर चार सिस्मिक जोनों में बांटा गया है, जिनमें सबसे खतरनाक जोन V है. इस क्षेत्र में भूकंप की घटनाएं अधिक होती हैं और इनके कारण होने वाले नुकसान की संभावना भी ज्यादा रहती है. वहीं, जोन II अपेक्षाकृत सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है, जहां भूकंप का खतरा न्यूनतम होता है. भूकंप प्रभावित इलाकों में उचित निर्माण तकनीकों और सुरक्षा उपायों का पालन करना अनिवार्य होता है, ताकि जान-माल की हानि को कम किया जा सके.देश की राजधानी दिल्ली सिस्मिक जोन IV में आती है, जहां भूकंप के हल्के झटके अक्सर महसूस किए जाते हैं. इसके अलावा, उत्तर भारत के कई अन्य इलाके भी इसी जोन में आते हैं, जहां भूकंपीय गतिविधियों का प्रभाव देखा जा सकता है. दिल्ली के अलावा, इसके आसपास के क्षेत्रों में भी भूकंप का असर महसूस होता है, जिससे लोगों में समय-समय पर दहशत फैल जाती है. भूकंप के जोखिम को कम करने के लिए सरकार और प्रशासन को सुदृढ़ अवसंरचना और जागरूकता अभियानों पर जोर देना आवश्यक है.