क्‍या लाड़की बहिन योजना महाराष्‍ट्र की अर्थव्यवस्था पर बन रही बोझ?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में लाड़की बहिन योजना ने बीजेपी सरकार के लिए चुनावी बढ़त बनाई, लेकिन अब यह योजना सरकारी खजाने पर भारी पड़ रही है. सरकारी परियोजनाओं पर असर दिखने लगा है और ठेकेदारों ने बकाए का भुगतान न होने पर काम बंद करने की चेतावनी दी है. जुलाई 2024 से भुगतान में देरी हुई है, क्योंकि उस समय योजना की किस्तें दी गई थीं.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में लाड़की बहिन योजना ने बीजेपी नीत महायुति सरकार के लिए गेम चेंजर की भूमिका निभाई. इस योजना के तहत राज्य की करोड़ों महिलाओं को वित्तीय सहायता दी गई, जिससे सरकार को चुनावी बढ़त मिली. लेकिन अब यह योजना खुद सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही है. दावा किया जा रहा है कि इस योजना के कारण सरकारी खजाना खाली हो गया है और विकास कार्यों पर ब्रेक लगने लगा है.

सरकारी परियोजनाओं पर असर साफ दिखने लगा है. कई ठेकेदार संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उनके बकाए का जल्द भुगतान नहीं किया गया, तो वे काम ठप कर देंगे. ठेकेदारों का कहना है कि सरकार ने जुलाई 2024 से बकाया राशि का भुगतान नहीं किया, क्योंकि उसी समय से लाड़की बहिन योजना की पहली तीन किस्तों का भुगतान शुरू किया गया था.

आठवीं किस्त के लिए फंड जुटा रही सरकार

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने 26 जनवरी 2025 से पहले लाड़की बहन योजना की सातवीं किस्त के तहत लगभग ढाई करोड़ लाभार्थी महिलाओं को भुगतान किया था, जिस पर 3700 करोड़ रुपये खर्च हुए. अब सरकार आठवीं किस्त के भुगतान की तैयारी कर रही है, लेकिन सरकारी खजाना खाली होने के कारण फंड जुटाने की चुनौती बढ़ गई है.

ठेकेदारों का अल्टीमेटम

महाराष्ट्र राज्य ठेकेदार संघ (MSCA) ने 30 जनवरी को सरकार को दूसरा पत्र भेजकर बकाया भुगतान की मांग की. संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिलिंद भोसले ने कहा कि ठेकेदारों को पिछले 8 महीने से भुगतान नहीं मिला है. 14 जनवरी को पत्र लिखने के बावजूद सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया. यदि इस बार भी अनदेखी हुई, तो 5 फरवरी से काम पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा.

खाली खजाने की पहले ही दी गई थी चेतावनी

राज्य के आर्थिक हालात को लेकर पहले ही चेतावनी दी जा चुकी थी. भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार (CAG) ने हाल में कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है और राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है. विपक्षी दल और राज्य सरकार के वित्त विभाग पहले ही कह चुके थे कि लाड़की बहिन योजना का वित्तीय भार सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा.

जिन विभागों में सरकार का बकाया सबसे ज्यादा है, वे इस प्रकार हैं:

  • पीडब्ल्यूडी: 46,000 करोड़ रुपये
  • जल जीवन मिशन: 18,000 करोड़ रुपये
  • ग्रामीण विकास: 8,600 करोड़ रुपये
  • सिंचाई विभाग: 19,700 करोड़ रुपये
  • शहरी विकास: 17,000 करोड़ रुपये

अब ठेकेदारों की चेतावनी से साफ हो गया है कि विकास कार्यों पर संकट मंडरा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस संकट से कैसे निपटती है और क्या ठेकेदारों की चेतावनी के बाद कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे.

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