NCERT सोशल साइंस की नई किताब में मुगलों की 'क्रूरता' के जिक्र पर क्यों छिड़ी बहस? पुस्तक में है ये दावा

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की कक्षा 8 की नई एनसीईआरटी सोशल साइंस किताब में मुगलों को 'क्रूर' बताया गया है. अब इस बात को लेकर इतिहासकारों के बीच बहस छिड़ गई है. दरअसल, किताब के एक चैप्टर में दावा किया गया है कि मुगलों ने हिंदू मंदिर तोड़े और जनता पर अत्याचार किए.;

( Image Source:  NCERT )
By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 16 July 2025 10:56 AM IST

इतिहास सिर्फ तारीखों और युद्धों का सिलसिला नहीं होता बल्कि वो आइना होता है जो तय करता है कि आने वाली पीढ़ियों को अतीत कैसा दिखेगा? जब उस आईने की पॉलिश बदली जाती है तो बहस होना भी स्वाभाविक है. कुछ ऐसा ही हुआ है कक्षा 8 की राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की नई सोशल साइंस की किताब से. इस किताब में मुगलों को 'क्रूर' बताकर एक नई व्याख्या सामने रखी गई है.

एनसीईआरटी का कहना है कि मुगलों शासन के इन पहलुओं को पाठ्य पुस्तक में शामिल करने का औचित्य "इतिहास के कुछ अंधकारमय कालखंडों पर टिप्पणी" से नई पीढ़ी के बच्चों को रूबरू कराना है. एनसीईआरटी ने पुस्तक के एक अध्याय में एक चेतावनी भी शामिल है कि "अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

 क्लास 8 की नई किताब में क्या है?

एनसीईआरटी की कक्षा 8 की सोशल साइंस की किताब के अध्याय "Our Past - III" में मुगलों के शासनकाल को विस्तार से बताया गया है, लेकिन फैक्टर का विश्लेषण बदल दी गई है. किताब में लिखा गया है कि "मुगलों ने न सिर्फ कई युद्धों में लाखों निर्दोष लोगों को मारा बल्कि उन्होंने मंदिरों को नष्ट कर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया." औरंगज़ेब के शासनकाल को लेकर खास तौर पर कहा गया है कि "उसने कर (जजिया) फिर से लगाया और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर प्रतिबंध बढ़ा दिए."

अकबर के शासनकाल को "क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण" और औरंगजेब को मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला" बताया गया है. एनसीईआरटी की कक्षा 8 की नई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक जो छात्रों को दिल्ली सल्तनत और मुगलों से परिचित कराती है, उस काल के दौरान "धार्मिक असहिष्णुता के कई उदाहरणों" की ओर इशारा करती है.

नई किताब पर विवाद क्यों?

इतिहासकारों और शिक्षाविदों का कहना है कि यह नया संस्करण इतिहास को एक विशेष दृष्टिकोण से पेश करता है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इतिहास को 'राष्ट्रवादी' चश्मे से देखा जा रहा है, जो बच्चों में कट्टरता या पक्षपात को बढ़ा सकता है. दूसरी ओर कुछ शिक्षकों और अभिभावकों ने इस बदलाव का स्वागत किया है. उनका तर्क है कि "सच को बताना जरूरी है, भले ही वो कड़वा हो।"

इतिहासकारों के एक गुट का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है जो एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव किया गया हो. इससे पहले मुगलों से जुड़े अध्यायों को हटाने या छोटा करने को लेकर भी विवाद उठ चुका है. अब जब शब्दों में 'क्रूरता' जैसे भावनात्मक और तीखे शब्द शामिल किए गए हैं, तो बहस और तेज हो गई है.

एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 के अनुरूप नई स्कूली पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित कर रहा है. अब तक कक्षा 1 से 4, और कक्षा 6 और 7 के लिए नई पुस्तकें जारी की जा चुकी हैं. अब कक्षा 5 और 8 के लिए पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं. सोशल साइंस की किताबों में वैचारिक स्तर पर कई तरह के बदलाव शामिल हैं, जिस पर   मध्यमार्गी और वामपंथी सोच के इतिहासकार और बुद्धिजीवी सवाल उठा रहे हैं.

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