15 किलोमीटर दूर FIR दर्ज कराने नहीं जा सकती रेप पीड़िता; बॉम्बे HC का फैसला

न्यायमूर्ति जीए सनप ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीयता के उच्चतम मानकों पर खरी उतरती है. पीठ ने कहा कि एक महिला से रात में अकेले पुलिस स्टेशन तक यात्रा करने की उम्मीद नहीं की जाती है, जो उसके आवास से 15 किलोमीटर दूर है. घटना 25 मार्च, 2017 को हुई थी. पीड़िता अपने आंगन में बैठी थी जब लोखंडे ने जबरन घर में घुसा और उसके साथ बलात्कार किया.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 7 Feb 2025 9:39 AM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में अकेले रहने वाली 35 वर्षीय महिला से बलात्कार के आरोप में मजदूर बाल्या उर्फ ​​राहुल लोखंडे को अमरावती सत्र न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने और 10 साल की सजा को बरकरार रखा. लोखंडे ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि पीड़ित की गवाही ठोस और विश्वसनीय थी.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, घटना 25 मार्च, 2017 को हुई थी. पीड़िता अपने आंगन में बैठी थी जब लोखंडे ने जबरन घर में घुसा और उसके साथ बलात्कार किया. वह अपने घर में भागने में सफल रही और मदद के लिए पास के एक दुकानदार को बुलाया, लेकिन उसके पहुंचने से पहले, आरोपी घर में घुस गया, उसका फोन एक तरफ फेंक दिया और उसके साथ फिर से बलात्कार किया. दुकानदार मौके पर पहुंचा तो उसे देखकर आरोपी भाग गया. अगले दिन महिला ने जाकर आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई.

अभियुक्त का बचाव झूठा था

न्यायमूर्ति जीए सनप ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीयता के उच्चतम मानकों पर खरी उतरती है. पीठ ने कहा, 'अभियोक्ता का एविडेंस मजबूत और विश्वसनीय है. अभियोक्ता का एविडेंस आत्मविश्वास को प्रेरित करता है. अभियुक्त का बचाव झूठा था क्योंकि यह आरोप लगाया गया था कि अभियुक्त उस मकान मालिक का कर्मचारी था जिसके घर में पीड़िता रहती थी और पीड़िता का अपने किरायेदार परिसर के संबंध में मकान मालिक के साथ विवाद था.

अदालत इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती

हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा, 'अभियोक्ता, एक असहाय महिला, अपीलकर्ता के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करने की हिम्मत नहीं कर सकती थी. लोखंडे ने एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर दलील दी थी जो अगली सुबह की गई. वहीं पीठ ने कहा, 'बलात्कार के मामले में, कोई भी स्वाभिमानी महिला अपने सम्मान के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए अदालत में आगे नहीं आएगी, जैसे कि उसके साथ बलात्कार के अपराध में शामिल है. महिलाओं की अंतर्निहित शर्मिंदगी और यौन आक्रामकता के बारे में आक्रोश को छिपाने की प्रवृत्ति ऐसे कारक हैं जिन्हें अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती है.'

शरीर पर कोई चोट नहीं 

पीठ ने आगे कहा, 'अभियोजन पक्ष अकेली रह रही थी, वह असहाय थी, कोई भी इस घटना के बाद उसके दर्द, पीड़ा और आघात की कल्पना कर सकता है. अपीलकर्ता द्वारा किए गए इस तरह के अपमानजनक कृत्य के कारण उसे अपने जीवन का सदमा झेलना पड़ा होगा. अपीलकर्ता उसे जानता था, रात का समय था, ऐसी मानसिक स्थिति में, एक महिला से रात में अकेले पुलिस स्टेशन तक यात्रा करने की उम्मीद नहीं की जाती है, जो उसके आवास से 15 किलोमीटर दूर है.' अपीलकर्ता ने बताया कि घटना के बाद मेडिकल रिपोर्ट में उसके शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई. हालांकि, अदालत ने कहा, 'अभियोक्ता के शरीर पर चोट का अभाव अभियोजन के मामले के लिए घातक नहीं होगा.' 

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