क्‍या है धर्मांतरण विरोधी कानून जो महाराष्‍ट्र चुनाव में बन रहा मुद्दा

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार आएगी तो धर्मांतरण विरोधी कानून लाएगी और अल्पसंख्यकों के लिए कोटा कभी नहीं देगी. इस पर ओवैसी ने कहा कि वोट जिहाद और धर्मयुद्ध... हम चुनाव आयोग को पूछना चाहते हैं कि क्या यह जबान कानून के मुताबिक है.;

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Anti-Conversion Law: महाराष्ट्र में आगमी विधानसभा चुनाव से पहले धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर काफी बवाल हो रहा है. इस कानून को लेकर पक्ष-विपक्ष दोनों के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्य में बीजेपी सरकार आएगी तो धर्मांतरण विरोधी कानून लाएगी और अल्पसंख्यकों के लिए कोटा कभी नहीं देगी.

अमित शाह के इस बयान से महाराष्ट्र में सियासी पारा तेज हो गया है. AIMIM चीफ असुद्दीन ओवैसी ने भाजपा पर हमला बोला है. ओवैसी ने कहा कि वोट जिहाद और धर्मयुद्ध... हम चुनाव आयोग को पूछना चाहते हैं कि क्या यह जबान कानून के मुताबिक है. जवाब दो. मेरा नाम लेकर धर्म युद्ध और वोट जिहाद की बात हो रही है. क्या ये आयोग के कानून के विरुद्ध नहीं है.

डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का बयान

देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र चुनाव में प्रचार में वोट जिहाद शब्द का प्रयोग किया था. वह सीएम योगी की राह पर चलते नजर आए. फडणवीस ने ओवैसी पर हमला करते हुए कहा कि ये उनके वंशज हैं, जिन्होंने मराठावाड़ा के लोगों पर अत्याचार किया. हमारी माताओं-बहनों के साथ रेप किया. उन्होंने शनिवार को कहा कि वोट जिहाद का जवाब धर्मयुद्ध से देना होगा. सुन लो ओवैसी, छत्रपति संभाजीनगर का किसी का बाप भी पैदा हुआ तो नाम नहीं बदल सकता. बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं लेकिन धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है.

ईसाई समुदाय क्यों है परेशान?

अमित शाह द्वारा चुनाव जीतने पर महाराष्ट्र में धर्मांतरण विरोधी कानून लाने के बयान से ईसाई समुदाय परेशान नजर आ रहा है. क्रिस्ट्री समाज नामक और गैर सरकारी संगठनों के महासंघ के मुख्य सदस्य सिरिल दारा ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ईसाइयों को धर्मांतरण विरोधी कानूनों द्वारा निशाना बनाया जाता है, जो एक ऐसा माहौल बनाते हैं जहां अल्पसंख्यक धर्म में धर्मांतरण बहुत ही खरतनाक है. ऐसी जानकारी शेयर करने की कोशिश की जाती है कि ऐसा करने पर उत्पीड़न हो सकता है. इन लोगों ने संविधान का स्ममान करने वाली पार्टियों को वोट देने पर जोर दिया है.

क्या है धर्मांतरण विरोधी कानून?

यह धर्मांतरण विरोधी कानून धार्मिक परिवर्तन को रोकने के लिए है. इन कानूनों का उपयोग व्यक्तियों को किसी खास धर्म को छोड़ने से धार्मिक समूहों को अन्य धार्मिक पृष्ठभूमि से नए सदस्यों की सक्रिय रूप से तलाश करने से रोकना के लिए किया जा सकता है. देश के अलग-अलग राज्यों में धर्मपरिवर्तन को लेकर अपने कानून हैं. इनमें आपराधिक और नागरिक दोनों तरह के दंड शामिल हो सकते हैं. कानून की मदद से प्रमुख धर्मों को लाभ पहुंचाने या अल्पसंख्यक धर्मों को दबाने की उनकी क्षमता के बारे में चिंता पैदा होती है.

कानून को लेकर वर्तमान स्थिति

  • अनुच्छेद-25- संविधाव के अनुच्छेद 25 के तहत लोगों को किसी भी धर्म का पालन, प्रचार और प्रसार करने की आजादी है.
  • धार्मिक समूहों को भी अपने धार्मिक मामलों को संचालित करने का अधिकार है, बशर्ते वे सार्वजनिक नैतिकता, स्वास्थ्य और व्यवस्था का पालन करें।
  • वर्तमान में भारत में धर्मांतरण पर कोई राष्ट्रीय प्रतिबंध या नियम नहीं हैं.
  • केंद्रीय कानून मंत्रालय ने साल 2015 में कहा था कि संसद के पास धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले कानून बनाने का विधायी अधिकार नहीं है। फिर भी, कई राज्यों ने जबरन, धोखाधड़ी या जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए पिछले कुछ वर्षों में 'धार्मिक स्वतंत्रता ' कानून बनाए हैं.
  • वर्ष 1954 से कई बार धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए संसद में निजी विधेयक पेश किए गए हैं, लेकिन वे कभी पारित नहीं हुए.
  • भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के तहत किसी दूसरे धर्म में धर्मांतरण करने के इच्छुक व्यक्ति को पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है. कुछ राज्यों में अन्य की तुलना में सख्त कानून हैं.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धर्मांतरण विरोधी कानून तब तक संवैधानिक हैं जब तक वे किसी व्यक्ति के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करते. ऐसे मामले सामने आए हैं जहां इन कानूनों का इस्तेमाल अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों को निशाना बनाने और उन्हें सताने के लिए किया गया है.

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