Anthony Albanese लगातार दूसरी बार बनने जा रहे Australia के PM, भारत को क्या फायदा मिलेगा? जानें क्यों टेंशन में आ गया चीन
ऑस्ट्रेलिया में एंथनी अल्बनीज़ के दोबारा प्रधानमंत्री बनने से भारत को कई रणनीतिक और आर्थिक लाभ मिल सकते हैं. उनकी सरकार भारत के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है. अल्बनीज़ के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच संबंधों में नई ऊर्जा आई है. व्यापार, ऊर्जा, रक्षा, शिक्षा और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्रों में यह साझेदारी दोनों देशों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है.;
Anthony Albanese India policy: ऑस्ट्रेलिया में एंथनी अल्बनीज की लेबर पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है. उसने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की. यह 21 सालों में पहली बार है, जब कोई मौजूदा प्रधानमंत्री लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया. यह जीत केवल ऑस्ट्रेलिया की राजनीति के लिए ही नहीं, बल्कि भारत जैसे रणनीतिक साझेदार देशों के लिए भी अहम मानी जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्बनीज को दोबारा प्रधानमंत्री चुने जाने पर बधाई दी है. उन्होंने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के रूप में आपकी शानदार जीत और पुनः निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई! यह जोरदार जनादेश आपके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई लोगों के अटूट विश्वास को दर्शाता है. मैं भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हूं.''
पिछले साल नवंबर में अल्बनीज से मिले थे पीएम मोदी
पिछले साल नवंबर में अल्बनीज ने ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा, व्यापार और निवेश, कौशल, खेल और अंतरिक्ष समेत कई क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई थी.
अल्बनीज की जीत भारत के लिए सकारात्मक संकेत
अल्बनीज भारत को एक रणनीतिक, व्यापारिक और सुरक्षा भागीदार मानते हैं. उनके पीएम बनने से भारत के साथ व्यापार समझौते, रक्षा सहयोग और ऊर्जा सेक्टर में नए अवसर खुल सकते हैं. अल्बनीज भारत आ चुके हैं. उन्होंने खुलकर कहा है कि वह भारत को 'ग्लोबल पार्टनरशिप में महत्वपूर्ण स्तंभ' मानते हैं.
अल्बनीज के दोबारा पीएम बनने से भारत को क्या लाभ होगा?
ऑस्ट्रेलिया में एंथनी अल्बानीज़ के प्रधानमंत्री बनने से भारत को कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं. उनकी सरकार ने भारत के साथ रणनीतिक, आर्थिक, रक्षा और शिक्षा सहयोग को प्राथमिकता दी है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में नई गति आई है...
- व्यापार और निवेश में वृद्धि : भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ECTA) के तहत, भारत को ऑस्ट्रेलियाई बाजार में 96% वस्तुओं पर शून्य शुल्क की सुविधा मिली है, जिससे रत्न-आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, कृषि और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की संभावना है. ऑस्ट्रेलिया से कोयला, लिथियम, कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का आयात भारत की हरित ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए फायदेमंद होगा.
- ऊर्जा और खनिज सहयोग: दोनों देश सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और बैटरी निर्माण में संयुक्त निवेश की योजना बना रहे हैं, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और हरित अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा.
- रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग: अल्बनीज़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा और समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें सौर ऊर्जा निर्माण, बैटरी और खनिज प्रसंस्करण, हरित हाइड्रोजन, और हरित लौह परियोजनाओं में निवेश शामिल है. यह साझेदारी भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है. अल्बनीज़ ने भारत को 'शीर्ष स्तरीय सुरक्षा भागीदार' घोषित किया है. दोनों देश अब संयुक्त नौसैनिक अभ्यास जैसे 'मालाबार' और 'टैलिस्मन सेबर' में भाग ले रहे हैं, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग मजबूत हुआ है.
- शिक्षा और कौशल विकास: अल्बनीज़ सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता दी है, जिससे भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए ऑस्ट्रेलिया में अवसर बढ़ेंगे. यह पहल दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों को मजबूत करेगी. ऑस्ट्रेलिया की डीकन और वोलोंगोंग विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित करने की योजना बनाई है. इसके अलावा, योग प्रशिक्षकों और शेफ्स के लिए वीजा कोटा बढ़ाया गया है, जिससे शिक्षा और कौशल विकास में सहयोग बढ़ेगा.
- रणनीतिक साझेदारी और चीन के प्रभाव का संतुलन: भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए क्वाड (Quad) जैसे मंचों पर सहयोग बढ़ा रहे हैं. यह रणनीतिक साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. जापान, अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक समूह QUAD में ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी भारत के लिए सुरक्षा और संतुलन की दृष्टि से अहम होगी.
- प्रवास और सांस्कृतिक संबंध: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अल्बनीज सरकार ने कई पहलें शुरू की हैं, जैसे कि भारतीय त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी, जिससे दोनों देशों के बीच समझ और सहयोग बढ़ेगा.
- आर्थिक सहयोग और व्यापार विस्तार: अल्बनीज सरकार ने फरवरी 2025 में A New Roadmap for Australia's Economic Engagement with India लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य भारत के साथ व्यापारिक अवसरों को अधिकतम करना, आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना और रोजगार सृजन करना है. इस रोडमैप में चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है: स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा और कौशल, कृषि व्यवसाय, और पर्यटन. यह पहल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने और भारतीय-अस्ट्रेलियाई समुदायों और व्यवसायों के साथ सहयोग को सुदृढ़ करने का मार्ग प्रशस्त करती है.
एंथनी अल्बनीज और भारत: सहयोग और चुनौतियां
- खालिस्तान समर्थक गतिविधियां और भारत की चिंता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और हिंदू मंदिरों पर हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की है. इसके जवाब में, अल्बनीज ने आश्वासन दिया है कि ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को कोई क्षति न पहुंचे.
- क्वाड (Quad) में ऑस्ट्रेलिया की भूमिका: अल्बनीज ने क्वाड के माध्यम से भारत के साथ रणनीतिक सहयोग को मजबूत किया है. 2024 के क्वाड शिखर सम्मेलन में, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें रक्षा, समुद्री सुरक्षा और हरित ऊर्जा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई.
- रणनीतिक संतुलन और चीन का प्रभाव: ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों ही चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए क्वाड जैसे मंचों का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि, खालिस्तान मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया को सावधानीपूर्वक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भारत के साथ उसके संबंधों में कोई बाधा न आए.
एंथनी अल्बनीज़ के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं, विशेषकर रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक क्षेत्रों में... हालांकि, खालिस्तान समर्थक गतिविधियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संतुलित और सतर्क दृष्टिकोण अपनाना दोनों देशों के लिए आवश्यक है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती बनी रहे. अल्बनीज़ के प्रधानमंत्री बनने से भारत को आर्थिक, रक्षा, शिक्षा, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं. उनकी सरकार की नीतियां भारत के साथ संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं.