जेल को नहीं बनने देंगे PM-CM का दफ्तर, कभी संसद में बिल फाड़ने वाले राहुल आज लालू को गले लगा रहे : अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन बिल पर कहा कि संसद में किसी भी चुनी हुई सरकार के पास कोई भी विधेयक या संविधान संशोधन लाने का अधिकार है. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि बिल को सदन में पेश न करने देना लोकतांत्रिक नहीं है. शाह ने बताया कि बिल को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जाएगा और मतदान के समय अपनी राय व्यक्त की जा सकती है.;
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में विपक्ष द्वारा 130वें संविधान संशोधन बिल के खिलाफ ‘ब्लैक बिल’ विरोध पर करारा हमला बोला है. शाह ने साफ कहा कि उनका और बीजेपी का मानना है कि देश को किसी भी नेता के जेल में होने के कारण असंविधानिक तरीके से नहीं चलाया जा सकता. उन्होंने विपक्ष से सवाल किया, 'क्या कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी नेता जेल से देश चला सकता है?'
शाह ने जोर देकर कहा कि संसद में पेश किए गए बिल का उद्देश्य यही है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी केंद्रीय/राज्य सरकार के नेता गंभीर आरोपों में जेल जाए और 30 दिनों के भीतर जमानत न मिले, तो उन्हें अपने पद से हटना अनिवार्य होगा. उन्होंने विपक्ष के विरोध और नारेबाजी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि संविधान संशोधन पर बहस और सुझाव के लिए संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा.
जेल में सरकार चलाने का तर्क विपक्ष पर निशाना
अमित शाह ने कहा, 'आज भी विपक्ष यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि अगर उन्हें कभी जेल जाना पड़ा तो वे वहां से आसानी से सरकार चला लेंगे. जेल को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का कार्यालय बनाया जाएगा और अधिकारी जेल से आदेश लेंगे. मेरी पार्टी और मैं पूरी तरह इस विचार को खारिज करते हैं. किसी की बहुमत पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.' उन्होंने स्पष्ट किया कि बिल पारित होने पर यदि कोई नेता जेल में है, तो अन्य सदस्य सरकार चलाएंगे और जमानत मिलने पर वह नेता फिर से शपथ ले सकता है.
130वें संशोधन में क्या है खास
गृह मंत्री ने विस्तार से बताया, “इस संशोधन में हमने यह प्रावधान किया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी केंद्रीय/राज्य सरकार के नेता गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होते हैं और 30 दिनों के भीतर जमानत नहीं मिलती, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना अनिवार्य होगा. यदि वे इस्तीफा नहीं देते, तो कानून के तहत उन्हें पद से हटाया जाएगा.”
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं चाहते थे कि पीएम का पद इस बिल के दायरे में आए. उन्होंने 39वें संविधान संशोधन का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले इंदिरा गांधी ने 39वें संशोधन के तहत राष्ट्रपति, पीएम और अध्यक्ष को न्यायिक समीक्षा से सुरक्षित रखा था, लेकिन मोदी सरकार ने खुद पर यह संशोधन लागू किया.
विपक्ष की दोहरे मानदंड पर टिप्पणी
शाह ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “UPA सरकार के समय, मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और लालू प्रसाद यादव मंत्री थे जिन्हें दोषी ठहराया गया था. कांग्रेस ने उस समय एक अध्यादेश लाया कि दो साल की सजा होने पर भी सदस्य की सदस्यता खत्म नहीं होगी. राहुल गांधी ने इसे सार्वजनिक रूप से अस्वीकार किया और फाड़ दिया. लेकिन अब वही राहुल गांधी बिहार में लालू यादव को गले लगा रहे हैं.” शाह ने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी भ्रष्टाचार के मामलों में जेल गए थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. उन्होंने विपक्ष से कहा कि उन्हें जनता के सामने जवाब देना चाहिए.
संयुक्त समिति में प्रस्ताव की समीक्षा
गृह मंत्री ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से मिलकर एक संयुक्त समिति इस संशोधन बिल की जांच करेगी. सभी दल अपनी राय साझा कर सकते हैं और मतदान के दौरान अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संविधान संशोधन दो-तिहाई बहुमत से पारित होगा.