रूस में अजीत डोभाल की ताबड़तोड़ मीटिंग… 50% टैरिफ वार के बीच ट्रंप के लिए क्या है कूटनीतिक मैसेज?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 50% टैरिफ ठोंका, लेकिन NSA अजीत डोभाल का रूस दौरा साफ संकेत देता है कि दिल्ली पीछे हटने को तैयार नहीं. डोभाल ने पुतिन, डिप्टी पीएम और सुरक्षा परिषद से मुलाकात कर रक्षा-ऊर्जा सौदों पर चर्चा की. पुतिन जल्द भारत आएंगे, वहीं पीएम मोदी ने भी उनसे फोन पर बात की.;
भारत और रूस के बीच बढ़ता रणनीतिक और आर्थिक सहयोग अब वॉशिंगटन के लिए सिरदर्द बन गया है. रूस से डिस्काउंट पर कच्चा तेल खरीदने के फैसले के बाद से अमेरिका की नाराज़गी खुलकर सामने आई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हफ्ते भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल आयात शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है.
यह फैसला न सिर्फ व्यापारिक दबाव बढ़ाने के लिए बल्कि भारत को रूसी ऊर्जा निर्भरता कम करने के लिए भी एक राजनीतिक संदेश है. इसी माहौल में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल रूस पहुंचे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि दिल्ली मॉस्को के साथ रिश्ते कमजोर करने के मूड में नहीं है.
डोभाल-पुतिन की मुलाकात से बढ़ा तापमान
रूस पहुंचने के बाद डोभाल की सबसे हाई-प्रोफाइल मुलाकात राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई. डोभाल ने बैठक के बाद कहा कि पुतिन इस साल के अंत तक भारत का दौरा करेंगे और तारीखें जल्द घोषित होंगी. कूटनीतिक हलकों में इस मुलाकात को एक मजबूत संदेश माना जा रहा है कि भारत और रूस अपने ऐतिहासिक रिश्तों को बनाए रखते हुए अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के आगे झुकने वाले नहीं हैं. रूस के लिए भी यह मीटिंग खास है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों से अलग-थलग होने के बाद भारत उसका एक अहम पार्टनर बना हुआ है.
डिप्टी पीएम से द्विपक्षीय एजेंडे पर गहन चर्चा
पुतिन के साथ बातचीत के अलावा डोभाल ने रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से भी मुलाकात की. इस बैठक में द्विपक्षीय सैन्य-तकनीकी सहयोग, संयुक्त हथियार निर्माण परियोजनाओं, और ऊर्जा क्षेत्र में लंबी अवधि के समझौतों पर चर्चा हुई. भारत स्थित रूसी दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा उद्योग में सहयोग न सिर्फ मौजूदा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा ढांचे में संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा.
रूसी सुरक्षा परिषद के साथ सुरक्षा रणनीति पर वार्ता
डोभाल की मुलाकातों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्होंने रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइंगू से भी बातचीत की. बैठक के बाद शोइंगू ने कहा कि भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है और बदलते वैश्विक हालात में दोनों देश एक-दूसरे के भरोसेमंद साझेदार हैं. रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, यह बयान सीधे अमेरिका और नाटो देशों के लिए एक संदेश है कि रूस के पास अब भी मजबूत वैश्विक सहयोगी हैं.
पीएम मोदी-पुतिन की सीधी फोन पर बातचीत
NSA डोभाल की मीटिंग्स के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पुतिन से फोन पर विस्तृत बातचीत की. मोदी ने उन्हें भारत आने का न्योता दिया, जिसे पुतिन ने स्वीकार कर लिया. बातचीत में यूक्रेन संकट की मौजूदा स्थिति, भारत-रूस व्यापार वृद्धि, और विशेष रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने पर सहमति बनी. मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि "राष्ट्रपति पुतिन से आज विस्तृत चर्चा हुई. यूक्रेन मुद्दे पर उनके अपडेट के लिए धन्यवाद. हमने द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा की और साझेदारी मजबूत करने का संकल्प दोहराया."
अमेरिका को अप्रत्यक्ष लेकिन तीखा संदेश
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ बढ़ाने का फैसला अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव का संकेत है. लेकिन भारत की हालिया कूटनीतिक गतिविधियां- पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा, पीएम मोदी का चीन दौरा, और ब्राजील के राष्ट्रपति से हुई बातचीत- ये बताती हैं कि भारत अब बहुध्रुवीय कूटनीतिक रणनीति अपना रहा है. यह अमेरिका को अप्रत्यक्ष संदेश है कि भारत किसी एक ध्रुव के दबाव में आने वाला नहीं, बल्कि अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के तहत सभी वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलन बनाकर चलेगा.