वायुसेना मांगे मेड इन इंडिया राफेल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा भरोसा; क्यों बन गया है IAF की पहली पसंद?
भारतीय वायुसेना (IAF) खुद को आधुनिक और आसमान का शेर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है. ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में राफेल की शानदार भूमिका और दमदार मारक क्षमता ने सेना के भरोसा और पहले से ज्यादा पुख्ता किया है. यही वजह है कि अब एयरफोर्स की प्राथमिकता ‘मेड इन इंडिया राफेल’ बन गई है.;
ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की सुरक्षा जरूरतों के लिए सबसे भरोसेमंद, सक्षम और अचूक हथियार है. अब भारतीय वायुसेना 114 नए राफेल विमानों की खरीद पर जोर दे रही है, जिसमें मेक इन इंडिया मॉडल को प्राथमिकता दी जाएगी. यह सौदा न सिर्फ वायुसेना की शक्ति को दोगुना करेगा बल्कि भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम साबित होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि अत्याधुनिक तकनीक, लंबी दूरी तक प्रहार करने की क्षमता और युद्धक लचीलापन ने राफेल को IAF की पहली पसंद बना दिया है.
राफेल की इसी खासियत को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने दसॉल्ट एविएशन और भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर 114 'मेड इन इंडिया' राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के सामने रखा है?. यह सौदा 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादे का है. ऑपरेशन सिंदूर में राफेल की सफलता के बाद ये विमान उन्नत सुविधाओं और स्वदेशी सामग्री के साथ भारत की वायु शक्ति को बढ़ाएंगे.
वायुसेना के प्रस्ताव पर जांच शुरू
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने फ्रांसीसी निर्माता दसॉल्ट एविएशन और भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के साथ मिलकर 114 'मेड इन इंडिया' राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के भारतीय वायुसेना (IAF) के प्रस्ताव की जांच शुरू कर दी है.
राफेल का सबसे बड़ा बेस होगा भारत
भारतीय रक्षा बोर्ड 60 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी सामग्री और 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की अनुमानित लागत वाले इस बड़े सौदे पर जल्द ही विचार किए जाने की उम्मीद है. मंजूरी मिलने के बाद यह प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद के पास जाएगा. इस नए अधिग्रहण से भारत के शस्त्रागार में राफेल विमानों की संख्या 176 से ज्यादा हो जाएगी, जो भारतीय वायुसेना द्वारा पहले ही शामिल किए जा चुके 36 और अलग-अलग सरकारी समझौतों के तहत भारतीय नौसेना के लिए ऑर्डर किए गए 36 विमानों के अतिरिक्त है.
चीनी PL-15 मिसाइल बनाया था कबाड़
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल के शानदार प्रदर्शन के बाद उठाया गया है, जहां विमान ने कथित तौर पर अपने उन्नत स्पेक्ट्रम इलेक्ट्रॉनिक युद्धक सूट का उपयोग करके चीनी PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को पछाड़ दिया था. भारत में निर्मित इन जेट विमानों में पाकिस्तानी हमलों में इस्तेमाल की गई स्कैल्प मिसाइलों की तुलना में लंबी दूरी की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल होने की उम्मीद है.
हैदराबाद में बनेगा रखरखाव सेंटर
दसॉल्ट हैदराबाद में राफेल के M-88 इंजनों के लिए एक रखरखाव, मरम्मत और ओवरऑल (MRO) सुविधा स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो भारत में एक मौजूदा रखरखाव फर्म का पूरक होगा?. इस के उत्पादन टीम में टाटा जैसे भारतीय साझेदारों के शामिल होने की संभावना है.
भारतीय वायुसेना सुखोई-30 एमकेआई, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) मार्क 1ए डील के तहत 180 का ऑर्डर पहले ही दे चुकी है. साल 2035 के बाद शामिल किए जाने की योजना वाले स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट के साथ-साथ अपने बल ढांचे को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानती है.