क्यों दिया जाता है दादा साहेब फाल्के अवार्ड? प्राइज मनी से लेकर जानें सब कुछ

30 सितंबर को हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज स्टार मिथुन चक्रवर्ती को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है. लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर किसके नाम पर मिलता है.;

Image Source X
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 30 Sept 2024 5:19 PM IST

सोमवार को मिथुन चक्रवर्ती को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है. दिग्गज एक्टर जिन्होंने पहले तीन नेशनल अवार्ड जीते हैं. मिथुन दा को मिले दादा साहब फाल्के अवार्ड के लिए प्रधान मंत्री मोदी ने भी खुशी जाहिर की.

उन्होंने अपने अक्स हैंडल पर शेयर किया - खुशी है कि श्री मिथुन चक्रवर्ती जी को भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान को मान्यता देते हुए प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वह एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं, उन्हें अपने वर्सटाइल परफॉरमेंस के लिए पीढ़ियों तारीफें मिलती आ रही हैं... उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं.' लेकिन क्या आप जानते हैं आखिक कौन थे दादा साहेब फाल्के और क्यों दिया जाता है उनके नाम पर यह अवार्ड.

क्या है दादा साहेब फाल्के अवार्ड

दादा साहब फाल्के अवार्ड नेशनल फिल्म अवार्ड का हिस्सा है, जो फिल्म इंडस्ट्री में सम्मानों का एक हाईगली रिगार्डडेड कलेक्शन है. इस अवार्ड का नाम लीडिंग फिल्म निर्माता धुंडीराज गोविंद फाल्के के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1913 में भारत को पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' दी थी. यह अवार्ड भारतीय फिल्म जगत में सर्वोच्च सम्मान माना जाता है. इसे भारतीय सिनेमा के विकास में आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रिब्यूशन लिए सम्मानित किया जाता है.

अवार्ड के साथ मिलता है नकद पुरस्कार

यह अवार्ड को 1969 में सरकार द्वारा स्थापित किया गया था और इसमें एक 'स्वर्ण कमल', 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण पत्र, एक रेशम रोल और एक शॉल शामिल है. यह अवार्ड भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री, जूरी के अध्यक्षों, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों और अखिल भारतीय सिने कर्मचारी परिसंघ के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है.

'दादा साहब' फाल्के कौन थे?

उनका जन्म 1870 में महाराष्ट्र के त्रिंबक में हुआ था. उन्होंने इंजीनियरिंग और स्कल्पचर (मूर्तिकला) की पढ़ाई की और 1906 की साइलेंट फिल्म 'द लाइफ ऑफ क्राइस्ट' देखने के बाद मोशन पिक्चर्स में अपना इंट्रेस्ट डेवलप किया. फिल्मों में आने से पहले, फाल्के एक फोटोग्राफर और एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक थे और यहां तक ​​की उन्होंने फेमस पेंटर राजा रवि वर्मा के साथ भी काम किया. 1913 में, फाल्के ने भारत की पहली फीचर फिल्म, मूक राजा हरिश्चंद्र का लेखन, निर्माण और निर्देशन किया. अपनी कमर्सिअल सफलता के बाद फाल्के ने अगले 19 सालों में 95 और फ़िल्में और 26 शॉर्ट फ़िल्में बनाईं इसके वह कहलाएं 'सिनेमा ऑफ द फादर.'

Similar News