क्या है Tamannaah Bhatia का साबुन विवाद? कन्नड़ फैंस हुए नाराज, इस मंत्री को देनी पड़ी सफाई
तमन्ना को ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की अधिसूचना गुरुवार को कर्नाटक सरकार की ओर से जारी की गई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. एक्स हैंडल पर कई यूज़र्स ने सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए लिखा, 'कई टैलेंटेड कन्नड़ एक्ट्रेस हैं, फिर भी एक बाहरी एक्ट्रेस को क्यों चुना गया?.;
कर्नाटक सरकार द्वारा देश के जाने-माने और ऐतिहासिक मैसूर सैंडल सोप के लिए बॉलीवुड और साउथ इंडियन सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया को दो सालों के लिए ब्रांड एंबेसडर चुनने का फैसला हाल ही में काफी चर्चा और विवाद का विषय बन गया है. यह फैसला सरकार द्वारा 6.20 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट के तहत लिया गया है. तमन्ना को ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की अधिसूचना गुरुवार को कर्नाटक सरकार की ओर से जारी की गई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
इस अधिसूचना में स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया कि तमन्ना को दो साल तक KSDL यानी कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट लिमिटेड के प्रतिष्ठित ब्रांड 'मैसूर सैंडल सोप' का चेहरा बनाने के लिए कॉन्ट्रेक्टेड किया गया है. हालांकि, इस फैसले की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई. खास तौर पर कन्नड़ भाषी यूज़र्स और स्थानीय फिल्म लवर्स ने इस पर आपत्ति जताई कि एक पारंपरिक और कर्नाटक की विरासत मानी जाने वाली ब्रांड के प्रमोशन के लिए किसी कन्नड़ कलाकार को क्यों नहीं चुना गया.
सोशल मीडिया पर उठे तीखे सवाल
एक्स हैंडल पर कई यूज़र्स ने सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए लिखा, 'कई टैलेंटेड कन्नड़ एक्ट्रेस हैं, फिर भी एक बाहरी एक्ट्रेस को क्यों चुना गया? हमारी अपनी रुक्मिणी वसंत क्यों नहीं?, प्रणिता सुभाष को क्यों नहीं चुना गया? वह न केवल कन्नड़ भाषी हैं बल्कि तेलुगु और तमिल फिल्मों में भी फेमस हैं.' रश्मिका मंदाना, श्रीनिधि शेट्टी या आशिका रंगनाथ जैसी एक्ट्रेस क्यों नहीं विचार में लाई गईं?.' इस आलोचना के बीच, कर्नाटक सरकार के Commercial, इंडस्ट्री और बुनियादी ढांचे मंत्री एमबी पाटिल ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह फैसला मार्केटिंग एक्सपर्ट्स और KSDL के बोर्ड के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया है.
मंत्री जी को देनी पड़ी सफाई
एमबी पाटिल ने कहा, 'KSDL कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री का हमेशा से सम्मान करता आया है. हम इस बात से अवगत हैं कि कन्नड़ फिल्में अब राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रही हैं. हालांकि, हमारी रणनीति यह है कि 'मैसूर सैंडल' को अब सिर्फ कर्नाटक नहीं, बल्कि पूरे भारत और ग्लोबली मार्किट में मजबूत किया जाए.' उन्होंने कहा कि तमन्ना को चुनने का फैसला केवल प्रसिद्धि के आधार पर नहीं, बल्कि व्यापक मार्केटिंग रणनीति के तहत लिया गया है. इसके पीछे कुछ बड़े कारण उन्होंने गिनाए। उन्होने तमन्ना की राष्ट्रीय और दक्षिण भारत में पहचान – वह तेलुगु, तमिल और हिंदी दर्शकों के बीच एक जानी-पहचानी हस्ती हैं. सोशल मीडिया तमन्ना पर तम्मना के करोड़ों फॉलोअर्स हैं जो ब्रांड की पहुंच को व्यापक बना सकते हैं.
मैसूर सैंडल सोप का इतिहास
मैसूर सैंडल सोप की शुरुआत साल 1916 में हुई थी। उस समय मैसूर के राजा कृष्णराज वाडियार चतुर्थ ने बेंगलुरु में एक सरकारी साबुन बनाने की फैक्ट्री शुरू की थी। तभी से यह खास चंदन की खुशबू वाला साबुन बनाया जा रहा है. यह साबुन सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि कर्नाटक की संस्कृति और गर्व का प्रतीक माना जाता है। इसकी खुशबू, गुणवत्ता और परंपरा के कारण यह आज भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है. इस साबुन को अब KSDL (कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट लिमिटेड) नाम की सरकारी कंपनी बनाती है। यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन काम करती है और मैसूर सैंडल सोप को देशभर में बेचती है।