...तो Shatrughan Sinha होते Sholay के जय, फिर Amitabh Bachchan की कैसे हुई एंट्री?

अमिताभ को जब ‘शोले’ की स्क्रिप्ट के बारे में पता चला, तो वह इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए एक्साइटेड हो गए, लेकिन रास्ता आसान नहीं था. रमेश सिप्पी उन्हें 'जंजीर' और ‘बॉम्बे टू गोवा’ जैसी फिल्मों से थोड़ा-बहुत जानते थे, लेकिन वह पूरी तरह स्योर नहीं थे. अमिताभ ने सलीम-जावेद से संपर्क किया.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 5 Aug 2025 4:18 PM IST

फिल्म ‘शोले’ (1975) हिंदी सिनेमा की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक है, और इसके किरदार जय और वीरू की जोड़ी को आज भी उतना ही प्यार मिलता है, जितना रिलीज के समय मिला था. जय का किरदार, जिसे अमिताभ बच्चन ने निभाया, इस फिल्म का एक अहम हिस्सा था. लेकिन यह रोल शुरू में शत्रुघ्न सिन्हा के लिए फाइनल हो चुका था. फिर अमिताभ बच्चन की एंट्री कैसे हुई? आइए,जानते है कैसे. 'शोले’ की मेकिंग 1970 के दशक की शुरुआत में, सलीम-जावेद की जोड़ी ने हिंदी सिनेमा में एक नया ट्रेंड शुरू किया था. एक्शन और ड्रामा से भरी कहानियां, जो आम आदमी के गुस्से और संघर्ष को दर्शाती थी. उनकी स्क्रिप्ट ‘शोले’ एक ऐसी कहानी थी, जो दोस्ती, बदले, और बलिदान पर बेस्ड थी.

डायरेक्टर रमेश सिप्पी इस स्क्रिप्ट को एक ग्रैंड फिल्म में बदलना चाहते थे. कास्टिंग का प्रोसेस शुरू हुआ, और वीरू के रोल के लिए धर्मेंद्र को तुरंत फाइनल कर लिया गया. उनकी रग्ड लुक, मैजिकल पर्सनालिटी और बॉक्स ऑफिस अपील उन्हें इस रोल के लिए परफेक्ट बनाती थी. साथ ही, बसंती के लिए हेमा मालिनी को चुना गया, जो उस समय की टॉप एक्ट्रेस में से थी. लेकिन जय का किरदार चुनना इतना आसान नहीं था. जय का किरदार एक जटिल व्यक्तित्व वाला था शांत, गंभीर, और भावनाओं को छिपाने वाला, लेकिन अंदर से एक गहरी संवेदनशीलता और दोस्ती के लिए समर्पण. रमेश सिप्पी और सलीम-जावेद को ऐसा एक्टर चाहिए था, जो इस किरदार की गहराई को पर्दे पर उतार सके.

पहली पसंद थे शत्रुघ्न सिन्हा

हालांकि शोले के लिए पहली पसंद शत्रुघ्न सिन्हा थे जो उस समय इंडस्ट्री में एक उभरता हुआ नाम थे. उनकी फिल्में 'कलिचरण' और ‘मेरे अपने’ जैसी हिट्स ने उन्हें एक मजबूत पहचान दी थी. उनकी बुलंद आवाज, कॉन्फिडेंस और स्क्रीन प्रेजेंस ने उन्हें डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स के बीच पॉपुलर बनाया था. 'शोले’ के लिए जय के रोल के लिए शत्रुघ्न सिन्हा का नाम सबसे आगे था. कई डिस्ट्रीब्यूटर्स और इन्वेस्टर्स भी शत्रुघ्न को कास्ट करने के पक्ष में थे, क्योंकि उनकी मार्केट वैल्यू अच्छी थी. सिप्पी परिवार ने एक पार्टी ऑर्गनाइज की थी, जिसमें धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, और शत्रुघ्न सिन्हा मौजूद थे. इस पार्टी में शत्रुघ्न की आउटस्पोकनेस और कॉन्फिडेंस स्टाइल ने सभी का ध्यान खींचा. कई तस्वीरों में धर्मेंद्र, हेमा, और शत्रुघ्न साथ नजर आए, जिससे यह धारणा बनी कि 'शोले' की लीड कास्ट यही होगी. डिस्ट्रीब्यूटर्स ने रमेश सिप्पी से साफ कह दिया कि शत्रुघ्न को लेना चाहिए, क्योंकि वह फिल्म को कमर्शियल सक्सेस दिला सकते हैं.

'जंजीर' निकला 'एंग्री यंग मैन'

लेकिन रमेश सिप्पी और सलीम-जावेद के मन में कुछ और चल रहा था. शत्रुघ्न की इमेज उस समय एक तेज-तर्रार, बोल्ड एक्टर की थी, जो शायद जय की शांत और गंभीर प्रकृति के साथ पूरी तरह फिट नहीं बैठती थी. वहीं अमिताभ भी एक उभरता सितारा जो उस समय इंडस्ट्री में अभी पूरी तरह स्टैब्लिश नहीं हुए थे. उनकी शुरुआती फिल्में जैसे 'सात हिंदुस्तानी' और 'आनंद' को सराहना तो मिली थी, लेकिन वह अभी तक वह सुपरस्टारडम हासिल नहीं कर पाए थे, जो बाद में उन्हें मिला. 1973 में आई 'जंजीर' ने उन्हें 'एंग्री यंग मैन' की इमेज दी थी, और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था. सलीम-जावेद, जिन्होंने ‘जंजीर’ लिखी थी, अमिताभ के टैलेंट से अच्छी तरह वाकिफ थे. उनकी गहरी आवाज, लंबा कद, और इंटेंस एक्टिंग स्टाइल ने उन्हें जय के किरदार के लिए एक संभावित उम्मीदवार बनाया.

 अमिताभ के लिए स्योर नहीं थे 

अमिताभ को जब ‘शोले’ की स्क्रिप्ट के बारे में पता चला, तो वह इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए एक्साइटेड हो गए, लेकिन रास्ता आसान नहीं था. रमेश सिप्पी उन्हें 'जंजीर' और ‘बॉम्बे टू गोवा’ जैसी फिल्मों से थोड़ा-बहुत जानते थे, लेकिन वह पूरी तरह स्योर नहीं थे. अमिताभ ने सलीम-जावेद से संपर्क किया, जिनके साथ वह ‘जंजीर’ में काम कर चुके थे. सलीम-जावेद ने रमेश सिप्पी से अमिताभ की सिफारिश की, लेकिन डायरेक्टर का अंतिम फैसला अभी बाकी था. लेकिन फिर एक टर्निंग पॉइंट आया जब अमिताभ बच्चन ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहा. वह जानते थे कि धर्मेंद्र, जो पहले से ही फिल्म में वीरू का रोल निभा रहे थे, इस प्रोजेक्ट में एक बड़ा नाम थे. अमिताभ ने धर्मेंद्र से मिलने का फैसला किया.

धर्मेंद्र ने अमिताभ के लिए सिफारिश 

एक इंटरव्यू में अमिताभ ने खुद बताया था कि वह धर्मेंद्र के पास गए और उनसे रिक्वेस्ट की कि वह रमेश सिप्पी से उनकी सिफारिश करें. अमिताभ ने कहा, 'मैंने धरम जी से कहा कि मैं इस फिल्म में काम करना चाहता हूं अगर आप मेरी सिफारिश करेंगे, तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा.' धर्मेंद्र ने अमिताभ की मेहनत और जुनून को देखा. एक इंटरव्यू में धर्मेंद्र ने इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने रमेश सिप्पी से अमिताभ के लिए बात की थी. धर्मेंद्र ने कहा, 'मैंने रमेश सिप्पी जी से कहा कि ये नया लड़का है, आवाज से लगता है कि बहुत अच्छा काम करेगा. उनके अंदर काम करने की चाहत थी मुझे वो अच्छी लगी. मैंने कहा, इनको ले लो.' धर्मेंद्र की सिफारिश ने रमेश सिप्पी का मन बदल दिया. 

ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री ने रचा इतिहास 

रमेश सिप्पी ने आखिरकार अमिताभ बच्चन को जय के रोल के लिए फाइनल कर लिया. यह फैसला उनके करियर का एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। शत्रुघ्न सिन्हा को इस रोल के लिए नहीं चुना गया, लेकिन उनके टलेंड को बाद में कई अन्य फिल्मों में देखा गया. 'शोले' की शूटिंग और जय-वीरू की जोड़ीजब ‘शोले’ की शूटिंग शुरू हुई, तो अमिताभ और धर्मेंद्र की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ने सभी का दिल जीत लिया. जय और वीरू की दोस्ती को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि यह जोड़ी हिंदी सिनेमा की सबसे आइकॉनिक जोड़ियों में से एक बन गई. अमिताभ की गंभीर और भावनात्मक एक्टिंग ने जय के किरदार को अमर कर दिया, खासकर “ये दोस्ती” गाना और फिल्म का अंतिम सीन आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है. 

Similar News