दशहरा का धमाका है Rishab Shetty की Kantara: Chapter 1! थिएटर में रोंगटे खड़े कर देंगे फिल्म के 40 मिनट
ऋषभ शेट्टी स्टारर 'कांतारा चैप्टर वन' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. जिसे देखने के बाद फैंस बेहद एक्साइटेड हो गए हैं. दर्शकों ने अपना रिव्यू सोशल मीडिया के जरिए शेयर करना शुरू कर दिया है. कुछ फैंस का कहना है कि यह फिल्म नेशनल अवार्ड विनिंग है. वहीं कुछ ऐसे ही दर्शक है जिन्हें यह पहली 'कांतारा' से ज्यादा खास नहीं लगी.;
Kantara: A Legend - Chapter 1: कांतारा चैप्टर 1 2022 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'कांतारा' का प्रीक्वल है, जो 2 अक्टूबर 2025 को दशहरा के अवसर पर रिलीज हुई है. यह कन्नड़ भाषा की पीरियड फैंटेसी एक्शन थ्रिलर है, जिसे ऋषभ शेट्टी ने लिखा, निर्देशित और मुख्य भूमिका में निभाया है. फिल्म कदंब वंश (लगभग 300 ईस्वी) के समय की बैकग्राउंड पर आधारित है, जहां कांतारा जनजाति और बंग्रा साम्राज्य के बीच जमीन, आस्था और शक्ति के लिए संघर्ष दिखाया गया है.
यह भूत कोला (भूत पूजा) की उत्पत्ति और दैवीय परंपराओं की जड़ों को खोजती है. रनटाइम लगभग 2 घंटे 45 मिनट का है, और यह कन्नड़, हिंदी, तेलुगु, तमिल, मलयालम और अंग्रेजी में दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. प्रोडक्शन हाउस होम्बेल फिल्म्स ने इसे बड़े बजट लगभग 100 करोड़ रुपये के साथ बनाया है, जो विजुअल इफेक्ट्स (VFX) और स्केल में पहली 'कांतारा' से कहीं आगे है.
फिल्म की शानदार स्टार कास्ट
ऋषभ शेट्टी (बर्मे) जो फिल्म की जान है उनका परफॉर्मेंस एक्सेलेंस और ट्रांसफॉर्मेटिव है. एक योद्धा से दैवीय अवतार तक का सफर देखते ही बनता है. कई रिव्यू में इसे 'नेशनल अवॉर्ड लेवल' कहा गया है. वह डायरेक्टर के रूप में भी कमाल करते हैं, हर फ्रेम में भावनाओं को जीवंत कर देते हैं. वहीं रुकमिणी वासंथ (कनकावती) स्ट्रांग सपोर्टिव भूमिका में नजर आई हैं. उनका ग्लैमर और इमोशनल डेप्थ फिल्म को बैलेंस देता है. कुछ क्रिटिक्स ने इसे 'मीटी रोल' कहा. गुलशन देवैया (कुलशेखर) नेगेटिव शेड्स के साथ रेंज दिखाते हैं, लेकिन कैरेक्टर थोड़ा कारिकेचरल लग सकता है. जयराम (राजा विजयेंद्र) अनुभवी एक्टर के रूप में स्टेबिलिटी लाते हैं. सपोर्टिंग कास्ट (जैसे प्रमोद शेट्टी) भी ठीक है. कुल मिलाकर, कास्ट फिट बैठती है, लेकिन ऋषभ ही स्टार हैं. अब नजर डालते हैं उन दर्शकों की जिन्होंने सोशल मीडिया एक्स के जरिए बताया है कि फिल्म कितनी दमदार है.
दर्शकों का रिएक्शन
एक यूजर ने लिखा, '#कांताराचैप्टर1: पहले भाग में रुक्कू की खूबसूरती के अलावा कुछ खास नहीं था. हालांकि, दूसरे भाग में शानदार ऋषभ, ज़बरदस्त साउंडट्रैक और बेहतरीन प्रोडक्शन वैल्यूज़ इसकी भरपाई कर देते हैं. यह कहना मुश्किल है कि यह पहले वाले भाग जितना दमदार है, लेकिन फिर भी देखने लायक है.'
दूसरे ने कहा, 'कांताराचैप्टर 1 एक ऐसा सिनेमाई अनुभव है जो मिथक, संस्कृति और कच्ची कहानी को एक पैनोरमिक व्यू में समेटे हुए है. इसके एटमोस्फियरिक वर्ल्ड -प्रोड्यूसिंग से लेकर ऋषभ शेट्टी के प्रभावशाली निर्देशन तक, हर फ्रेम उद्देश्यपूर्ण और तल्लीन करने वाला लगता है. यह फ़िल्म सिर्फ़ एंटरटेन ही नहीं करती, बल्कि सम्मोहित (hypnotized) भी करती है. साउंड इफ़ेक्ट, सिनेमेटोग्राफी और एक्टिंग का तालमेल इसे एक रीजनल ड्रामा से कहीं ऊपर उठाकर ग्लोबल सिनेमा की कैटेगिरी में मज़बूती से स्थापित करता है.
एक अन्य ने कहा, '#KantaraChapter1 एक ज़बरदस्त ब्लॉकबस्टर है! एक और शानदार परफॉर्मेंस देने के लिए #RishabShetty को सलाम. कैप्टिवटिंग म्यूजिक और शानदार सिनेमैटोग्राफी के साथ, हर फ्रेम एक अलग ही एहसास देता है. ज़बरदस्त एक्शन अंत तक रोमांच बनाए रखता है. एक ज़रूर देखने लायक मास्टरपीस.'
एक ने कहा, 'कंतारा चैप्टर : 1 - कुल मिलाकर फिल्म कमाल की है. बिना किसी उम्मीद के इसे देखें. ऋषभ शेट्टी और रुक्मिणी की एक्टिंग लाजवाब है और निश्चित रूप से काफ़ी तारीफ़ के हक़दार हैं. फिल्म के आखिरी 40 मिनट आपके रोंगटे खड़े कर देंगे!.'
हालांकि फिल्म को कुछ निगेटिव रिव्यू भी मिले हैं लेकिन पॉजिटिव के मुकाबले उनकी संख्या कम है. पहली हाफ में फिल्म औसत लग सकती है, ज्यादा इंफॉर्मेशन से ओवरलोडेड. प्रीक्वल के रूप में ओरिजनल 'कांतारा' का जादू दोहराने में थोड़ा कमजोर, कुछ को 'ओवररेटेड' और 'प्रेडिक्टेबल' लगा.
कहानी (बिना स्पॉइलर के)
फिल्म कांतारा की मूल कहानी से पीछे जाती है और बताती है कि कैसे कांतारा की पवित्र भूमि और उसके रक्षक दैव (जैसे गुलिगा दैव) की उत्पत्ति हुई. मुख्य किरदार बर्मे (ऋषभ शेट्टी) एक जंगली, आध्यात्मिक योद्धा है, जो जनजाति की रक्षा करता है, जबकि राजा कुलशेखर (गुलशन देवैया) महत्वाकांक्षी शासक है. बीच में प्रेम, विश्वासघात, प्रकृति का प्रकोप और दैवीय हस्तक्षेप का ताना-बाना बुना गया है. यह मैन वर्सेज नेचर, क्लास स्ट्रगल और आस्था की थीम्स को मिथकों के साथ जोड़ती है. पहली हाफ में वर्ल्ड-बिल्डिंग मजबूत है, लेकिन दूसरी हाफ में एक्शन और क्लाइमेक्स में तेजी आती है. कुल मिलाकर, यह एक फोकलोरिक सागा है जो कन्नड़ संस्कृति की जड़ों को गहराई से छूती है.