लापता लेडीज के बाद अब ऑस्कर में रणदीप हुड्डा की इस फिल्म को मिला मौका
रणदीप हुड्डा ने बॉलीवुड में फिल्म मॉनसून वेडिंग से कदम रखा था. इस फिल्म में उनका एक छोटा सा रोल था, लेकिन अब रणदीप हुड्डा फिल्म जगत का वह नाम है, जो एक्टिंग के मामले में एक्सपेरिमेंट करते हैं. हाईवे से लेकर किक फिल्म तक, हर किरदार में वह अपनी छाप छोड़ देते हैं.;
इस साल रणदीप हुड्डा की फिल्म 24 मार्च 2024 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म को ऑस्कर 2025 के लिए ऑफिशियल तौर पर भेजा दिया गया है. यह फिल्म स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित है. इस फिल्म में रणदीप हुड्डा के साथ अंकिता लोखंडे भी हैं.
इस फिल्म के प्रोड्यूसर संदीप सिंह ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर लिखा' सम्मानित और विनम्र! हमारी फिल्म स्वातंत्र्यवीर सावरकर को आधिकारिक तौर पर ऑस्कर के लिए सबमिट किया गया है. इस उल्लेखनीय प्रशंसा के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया को धन्यवाद. यह यात्रा अविश्वसनीय रही है और हम उन सभी के प्रति बेहद आभारी हैं जिन्होंने इस दौरान हमारा साथ दिया.
रणदीप को मिली रोल के लिए तारीफ
एएनआई से बात करते हुए रणदीप हुड्डा ने बताया था कि मंगेशकर परिवार ने मेरे इस रोल के लिए मेरी पीठ थपथपाई थी. यह सुनकर मुझे बेहद अच्छा लगा, क्योंकि इस तरह की तारीफ बेहद कम मिलती है. इसके आगे उन्होंने बताया कि ज्यादातर यह होता है कि बायोपिक में उस व्यक्ति के करीबी यह कहते हैं कि फिल्म में ये सब नहीं है, लेकिन मैंने उनके पूरे 53 साल के जीवन को 3 घंटे में दिखाने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, "अक्सर, जब आप बायोपिक बनाते हैं, तो व्यक्ति के करीबी कहते हैं कि आपने यह शामिल नहीं किया या वह नहीं दिखाया। लेकिन मैंने उनके पूरे 53 साल के जीवन को 3 घंटे में समेटने की कोशिश की। इसलिए, जब मुझे उनकी तरफ़ से कोई पुरस्कार मिलता है, तो मुझे मान्यता जैसा महसूस होता है.
रणदीप ने रखा डायरेक्शन में कदम
रणदीप हुड्डा ने इस फिल्म से डायरेक्शन में अपना कदम रखा है. इस फिल्म में अंकिता लोखंडे ने फ़िल्म में सावरकर की पत्नी यमुना बाई का किरदार अदा किया है. इस फिल्म के लिए रणदीप को मुंबई में प्रतिष्ठित स्वातंत्र्य वीर सावरकर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.यह फिल्म 22 मार्च को दो भाषाओं - हिंदी और मराठी में रिलीज़ हुई थी।
कौन थे वीर सावरकर?
विनायक दामोदर सावरकर जिन्हें स्वातंत्र्य वीर सावरकर के नाम से भी जाना जाता है. वह भारतीय राजनीतिज्ञ, कार्यकर्ता और लेखक थे. सावरकर ने 1922 में रत्नागिरी में कारावास के दौरान हिंदुत्व की हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक विचारधारा विकसित की.