पिता के धोखे ने ली बेटी की जान! Disha Salian केस की क्लोज़र रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
दिशा अपनी मौत से पहले कॉर्नरस्टोन कंपनी में सेलेब्रिटी मैनेजर के तौर पर काम कर रही थीं. मिड डे की रिपोर्ट के मुताबिक उनके अंडर में चल रहे दो प्रोजेक्ट रुक गए थे. जिसकी वजह से तनाव में थी.;
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत को क्लोज़र रिपोर्ट के मिलने के बाद अब उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान को लेकर बड़ी अपडेट आई है. जहां हाल ही में सालियान की पोस्टमार्टप रिपोर्ट में दावा था कि उनके शरीर में कई चोटों के निशान मिले थे. अब इस केस को सीबीआई ने मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी है.
दिशा सुशांत की पूर्व मैनेजर थी और एक्टर की मौत से 6 दिन पहले उनकी मौत को लेकर सनसनी मची थी. जब 14वीं मंजिल से गिरने पर उनकी मौत हो गई थी. लेकिन उनके पिता सतीश सालियान अपनी बेटी के लिए पिछले पांच साल से इंसाफ मांग रहे हैं. 17 मार्च को उन्होंने ANI को दिए एक बयान में आदित्य ठाकरे, आदित्य पंचोली और डिनो मोरिया जैसे लोगों पर अपनी भड़ास निकाली थी. उन्होंने कहा था कि वह इन तीनों पर नार्को टेस्ट करवाने की मांग करते हैं. यहां तक की वह खुद भी नार्को टेस्ट के लिए तैयार है.
क्या पिता की वजह से परेशान थी दिशा
दिशा अपनी मौत से पहले कॉर्नरस्टोन कंपनी में सेलेब्रिटी मैनेजर के तौर पर काम कर रही थीं. मिड डे की रिपोर्ट के मुताबिक उनके अंडर में चल रहे दो प्रोजेक्ट रूक गए थे. जिसकी वजह से तनाव में थी. वहीं अब सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि दिशा के पिता का उनकी मसला कंपनी में अपनी को-वर्कर के साथ संबंध था. हालांकि दिशा ने अपने पिता को बिजनेस में सपोर्ट करने के लिए पैसे उधार दिए जो कथित तौर उन्होंने अपनी को-वर्कर पर उड़ा दिए. जो कहीं न कहीं दिशा को परेशान कर रहा था. वहीं जहां तक रहा उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का सवाल जिसमें उनके सिर में चोट मिली है उसे 14वीं मंजिल से गिरने की वजह से बताया गया है. सिर्फ इतना ही नहीं इस क्लोज़र रिपोर्ट में कहा गया है कि सालियान के दोस्तों समेत उनके मंगेतर ने अपने बयान में कहा था कि दिशा को अपने पिता और को-वर्कर के रिश्ते के बारें में पता था जिससे वह कही निराश थी.
क्लोजर रिपोर्ट का कोई कानूनी महत्व नहीं
हालांकि सतीश सालियान के वकील ने मीडिया के साथ एक बयान जारी किया. एडवोकेट नीलेश ओझा ने कहा, 'यह ध्यान रखना जरुरी है कि सुप्रीम कोर्ट के बाध्यकारी फैसले के अनुसार, धारा 174 सीआरपीसी (दुर्घटना मृत्यु रिपोर्ट/एडीआर) के तहत जांच में दायर किसी भी क्लोजर रिपोर्ट का कोई साक्ष्यात्मक मूल्यनहीं है और उन मामलों में अभियुक्तों द्वारा इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है जहां संज्ञेय अपराधों का स्पष्ट रूप से खुलासा किया गया है, इसलिए, पहले की क्लोजर रिपोर्ट का कोई कानूनी महत्व नहीं है.'