Emergency Review: कंगना के किरदार में नहीं दिखा BJP MP वाला टच, इंदिरा को जिया, पर कहानी में कुछ मिसिंग है!
कंगना रनौत ने इंदिरा गांधी का किरदार बखूबी निभाया, उनका परफॉर्मेंस बिल्कुल लाजवाब था, लेकिन फिल्म की स्टोरीलाइन और बाकी किरदारों का डेवलपमेंट कहीं न कहीं अधूरा सा लगा. बीजेपी सांसद होने के बावजूद फिल्म ने एक न्यूट्रल दृष्टिकोण रखने की कोशिश की, फिर भी एक हल्का सा झुकाव दिखा.;
निर्देशक: कंगना रनौत
कास्ट: कंगना रनौत, अनुपम खेर, श्रेयस तलपड़े, विशाल नायर, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन, सतीश कौशिक
यह फिल्म देखने से पहले सोचा था कि कंगना की एक्टिंग को कैसे हैंडल करेगा, पर यार, जो परफॉर्मेंस दिया है उसने, उसका जवाब नहीं! जब छोटी इंदिरा अपने दादा से मिलती है और इन्द्रप्रस्थ की कहानी सुन के अपनी सोच को सेट करती है, तभी से लगा कि कंगना की इंदिरा गांधी में कुछ बात है.
इंदिरा का जो human touch दिखाया गया, वो सच में बिंदास था. उसके इमोशन्स, उसके डिसीजन, वो जो उसकी ‘दिल्ली जीत लो, तो पूरा देश जीत लो’ वाली थिंकिंग थी, वो अच्छे से दिखायी गयी. अब, कुछ लोग कह सकते हैं कि कंगना का फोकस थोड़ा अपने किरदार पर ज्यादा था, पर यार, वो जो इंदिरा गांधी की स्पिरिट थी, उसको बहुत अच्छे से कैप्चर किया गया था. हाँ, एक BJP MP के तौर पे थोड़ा bias दिखा, पर जो humanity का टच था, उसने फिल्म को इमोशनल बना दिया!
स्टोरी – कहीं ना कहीं फालतू लगती है
यह फिल्म एक roller-coaster ride जैसी थी, समझ रहे हो? छोटी इंदिरा से लेकर, Emergency तक, सब कुछ इतना फास्ट था कि ऐसे लगा कि कहानी का डेवलपमेंट ही मिसिंग था. जैसे संजय गांधी की स्टोरी का थोड़ा डेप्थ होना चाहिए था, वैसे ही JP Narayan और Atal Bihari Vajpayee के किरदारों को बहुत overlook किया गया. लग रहा था कि कंगना का focus अपने रोल पर ज्यादा था और बाकी किरदारों को इतना justice नहीं मिला.
इंदिरा गांधी की कहानी के बीच, गरीबी हटाओ, देश बचाओ का मोमेंट आता है, जो ठीक था, पर वहां भी कुछ extra इमोशनल डेप्थ छुप गई थी.
सिनेमाटोग्राफी – 70s का वाइब मिस!
यार, तेत्सुओ नागाटा काफी experienced है, पर 70s का जो फील होना चाहिए था, वो फिल्म में मिस हो गया. ऐसे लगा, हम एक modern political thriller देख रहे हैं, न कि एक period drama. 70s के fashion, mood, और atmosphere का प्रॉपर कैप्चर नहीं हो सका. अब इससे अगर फिल्म को old-school period vibe मिलती, तो wow!
स्टोरी की स्पीड – फास्ट, लगती है थोड़ी ओवर-एक्साइटेड
Speed का जो इश्यू था, वो थोड़ा distracting था. फिल्म में rushed फील होता है. फिल्म में चाइल्डहुड से लेकर Emergency तक, हर चीज़ इतनी जल्दी हो गई कि समझ नहीं आता था कि किरदार का डेवलपमेंट कहाँ गया! संजय गांधी का ट्रैक, अच्छा था, पर थोड़ा फोर्स्ड था. जैसे JP Narayan और Atal ji के किरदारों को ज्यादा justice मिलना चाहिए था, वो काफी फ्लैट लगते हैं.
बैकग्राउंड म्यूजिक – इमोशनल मोमेंट्स में परफेक्ट!
बैकग्राउंड म्यूजिक ने सीन्स को बहुत अच्छा सपोर्ट किया. जैसे ही पॉलिटिकल टेंशन बढ़ रही थी, म्यूजिक ने उस मोमेंट को और इंटेंस बना दिया. अगर सिनेमाटोग्राफी में कोई कमी थी, तो म्यूजिक ने उसे थोड़ा कवर किया.
बाकी किरदारों की परफॉर्मेंस – कुछ मिसिंग
भाई, अनुपम खेर और श्रेया तलपड़े दोनों का टैलेंट जानते हैं हम, पर इनके किरदार थोड़े flat थे. अटल बिहारी वाजपेयी को और ज़्यादा अच्छे से दिखाया जा सकता था, साथ ही JP नारायण का रोल था, वो थोड़ा महसूस नहीं होता था. संजय गांधी का ट्रैक भी थोड़ा फोर्स्ड लग रहा था.
यह लग रहा था कि कंगना का फोकस सिर्फ इंदिरा गांधी पे था, और बाकी किरदारों को डेवलपमेंट में underplayed छोड़ दिया गया. हाँ, पॉलिटिकल ड्रामा में सबको एक्वल इम्पॉर्टेंस देना ज़रूरी है, नहीं तो फिल्म half-baked लगती है.
फाइनल वर्डिक्ट – कोई बात नहीं, एक बार देखो!
Emergency एक ऐसी फिल्म है जो कंगना के फैनबेस को बहुत connect करेगी. अगर आपको पॉलिटिकल ड्रामा पसंद है, तो यह फिल्म definitely worth है. पर अगर आपको डेप्थ और किरदार डेवलपमेंट की तलाश थी, तो यह फिल्म आपको थोड़ा डिसअपॉइंट कर सकती है. लेकिन इंदिरा गांधी के किरदार को जो इमोशनल कनेक्ट दिखाया गया, उससे यह फिल्म थोड़ा अलग बन गई.
तो, अगर आपको पॉलिटिकल ड्रामा, हिस्ट्री और एक इमोशनल roller coaster चाहिए, तो Emergency देखना बंत है!
रेटिंग: 3.5/5