अब लेट नहीं होती ट्रेनें! रेलवे के टाइम टेबल में गजब का सुधार; मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की 80 फीसदी ‘ऑन-टाइम परफॉर्मेंस’
भारतीय रेल की समयपालन क्षमता में सुधार हुआ है. वित्त वर्ष 2025–26 के अप्रैल से अक्टूबर के बीच मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 80% रही, जबकि 2024–25 में यह 77.12% थी. लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेलवे समयपालन बढ़ाने के लिए कई सुधार लागू कर रहा है. हालांकि कोहरा, ट्रैक मेंटेनेंस, पाथ कंस्ट्रेंट्स, अलार्म चैन पुलिंग, विरोध प्रदर्शन और पशुओं के ट्रैक पर आ जाने जैसी वजहों से देरी अब भी होती है. नई ट्रेन सेवाएं शुरू करने का फैसला सेक्शन की क्षमता, इंफ्रास्ट्रक्चर और रोलिंग स्टॉक की उपलब्धता पर निर्भर करता है. रेल मंत्री ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की प्रगति की भी जानकारी दी, जिसे जापान के सहयोग से लागू किया जा रहा है.;
भारतीय रेल, जिसे लाखों यात्री रोज़ाना यात्रा के लिए भरोसे के साथ चुनते हैं, अब समयपालन के मामले में पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रही है. वित्त वर्ष 2025–26 (अप्रैल–अक्टूबर) के दौरान मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की समय पर पहुंचने की दर लगभग 80% दर्ज की गई है. यह सुधार पिछली साल की तुलना में उल्लेखनीय है, क्योंकि 2024–25 में यह आंकड़ा 77.12% था. रेलवे मंत्रालय का कहना है कि यात्रियों की सुविधा और समयबद्ध यात्रा सुनिश्चित करने के लिए बड़े स्तर पर बदलाव और संरचनात्मक सुधार किए गए हैं.
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सुधार अभियान के तहत ट्रेनों के शेड्यूलिंग, ट्रैफिक मैनेजमेंट, और रीयल-टाइम मॉनिटरिंग में बड़े अपडेट किए गए हैं. इसके साथ ही रेलवे ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे मेनलाइन पर लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल टकराव कम हुए, जिससे ट्रेनें समय पर दौड़ने लगीं.
लोकसभा में रेल मंत्री ने दी जानकारी
लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए 3 दिसंबर 2025 को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “2024–25 में मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की समयबद्धता 77.12% थी, जबकि 2025–26 (अप्रैल–अक्टूबर) के दौरान यह लगभग 80% रही. भारतीय रेलवे यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है कि ट्रेनें निर्धारित समय पर चलें.” उन्होंने बताया कि कई सांसदों ने मेल/एक्सप्रेस/पैसेंजर ट्रेनों के समयपालन और विलंब की वजहों पर सवाल उठाए थे, जिनके जवाब में यह जानकारी साझा की गई है.
क्यों लेट होती हैं ट्रेनें?
रेल मंत्री के अनुसार रेलवे की कोशिशों के बावजूद कई परिस्थितियां अब भी समयपालन को प्रभावित करती हैं. इनमें शामिल हैं -
- ठंड के मौसम में कोहरा
- ट्रैक्स पर यातायात दबाव और पाथ कंस्ट्रेंट्स
- रेलवे संपत्तियों की मरम्मत और रखरखाव
- अलार्म चैन पुलिंग की घटनाएं
- प्रदर्शन व आंदोलन
- पटरियों पर पशु आ जाना
- अप्रत्याशित तकनीकी समस्याएं
रेलवे का कहना है कि इनमें से कई कारण सीधे सुरक्षा से जुड़े होते हैं, इसलिए ट्रेनों को धीमा चलाना या रोकना जरूरी हो जाता है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
नई ट्रेनों की शुरुआत में क्या हैं मानक?
वैष्णव ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि रेलवे बिना अध्ययन के किसी रूट पर ट्रेन शुरू नहीं करता. नई ट्रेन सेवा शुरू करने का फैसला कई तकनीकी और आर्थिक मापदंडों पर निर्भर करता है. इसमें शामिल हैं :
- संबंधित सेक्शन की क्षमता
- समय-स्लॉट और पाथ की उपलब्धता
- आवश्यक रोलिंग स्टॉक की उपलब्धता (कोच और इंजन)
- कोचों के हिसाब से आवश्यक स्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर
- ट्रैक और अन्य संपत्तियों का रखरखाव
सरकार का मानना है कि ट्रेनों की अंधाधुंध बढ़ोतरी समयपालन पर उल्टा असर डाल सकती है, इसलिए विस्तार और दक्षता के बीच संतुलन ज़रूरी है.
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हाई-स्पीड रेल और बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट - एक नई दिशा
रेल मंत्री ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (MAHSR) प्रोजेक्ट का भी अपडेट दिया. 508 किलोमीटर लंबी यह परियोजना जापान की तकनीकी और वित्तीय मदद से लागू की जा रही है. उन्होंने कहा कि हाई-स्पीड रेल परियोजनाएं अत्यंत पूंजी-गहन होती हैं, इसलिए नई बुलेट ट्रेन योजनाओं पर निर्णय तकनीकी व्यवहार्यता, आर्थिक व वित्तीय उपयोगिता, यात्रियों की मांग और पूंजी व फंडिंग विकल्पों की उपलब्धता के आधार पर लिया जाएगा.
सरकार का दावा है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत की रेलवे तकनीक को अगले स्तर पर ले जाएगा, और इंटर-सिटी यात्रा को नई रफ्तार देगा, लेकिन इसके लिए सौ प्रतिशत सुरक्षित और पूरी तरह आर्थिक रूप से उचित मॉडल आवश्यक है.
यात्रियों के लिए इसका क्या मतलब?
रेलवे विशेषज्ञों के अनुसार यदि ऐसी ही प्रगति बनी रही तो आने वाले 12–18 महीनों में देश में मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की समयपालन क्षमता 85% पार कर सकती है. इसका सीधा लाभ यात्रियों को मिलेगा. देर से पहुंचने की समस्या से निजात मिलेगी, कनेक्टिंग ट्रेनों/फ्लाइटों में परेशानी घटेगी, व्यवसाय और कामकाजी यात्रियों को समय की बचत होगी और रात में अनावश्यक ट्रेन रुकी रहने की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी. रेलवे ने आगे भी ट्रेन पंक्चुअलिटी बढ़ाने के लिए AI आधारित रूट प्लानिंग, स्वचालित सिग्नलिंग अपग्रेड, और रीयल-टाइम नेटवर्क मॉनिटरिंग जैसी तकनीकों पर ज़ोर दिया है.