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नेपाल में राजशाही की मांग का क्या है आदित्यनाथ से कनेक्शन, इस राजा की रैली में योगी के पोस्टर आने से विवाद क्यों?

9 मार्च को काठमांडू में ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत के दौरान नेपाली नागरिक प्रदीप विक्रम राणा ने योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराया, जिससे वह विवादों में घिर गए. उन्होंने दावा किया कि इस घटना के बाद नेपाल पुलिस उनके पीछे पड़ी और उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने नेपाली रैली में किसी विदेशी नेता के पोस्टर के इस्तेमाल की निंदा की थी.

नेपाल में राजशाही की मांग का क्या है आदित्यनाथ से कनेक्शन, इस राजा की रैली में योगी के पोस्टर आने से विवाद क्यों?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Published on: 12 March 2025 12:42 PM

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में काठमांडू में आयोजित राजशाही समर्थक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लहराए जाने से देश में हलचल मच गई और विवाद खड़ा हो गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 मार्च को काठमांडू में ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत के दौरान नेपाली नागरिक प्रदीप विक्रम राणा ने योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराया, जिससे वह विवादों में घिर गए. उन्होंने दावा किया कि इस घटना के बाद नेपाल पुलिस उनके पीछे पड़ी और उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने नेपाली रैली में किसी विदेशी नेता के पोस्टर के इस्तेमाल की निंदा की थी.

राजशाही समर्थकों का प्रदर्शन और आदित्यनाथ की तस्वीरें

नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) और अन्य राजशाही समर्थकों ने देश में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर रैली आयोजित की थी. जैसे ही 77 वर्षीय पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पोखरा से त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे, उनके समर्थकों ने जोरदार नारेबाजी कर स्वागत किया. सैकड़ों समर्थक राष्ट्रीय ध्वज और ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरों के साथ मोटरसाइकिलों पर नजर आए. इसी बीच, कुछ लोगों ने योगी आदित्यनाथ के पोस्टर भी लहराए, जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं. इस पर विभिन्न राजनीतिक गुटों और आम जनता ने तीखी प्रतिक्रिया दी.

भारत-नेपाल संबंधों में नया विवाद

इस विवाद के बीच, सेवानिवृत्त मेजर जनरल जीडी बख्शी ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की, 'नेपाल के पूर्व राजा का देश में भव्य स्वागत हुआ और उनकी रैलियों में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर दिखाई दिए. मैं नेपाल में हिंदू राज्य की बहाली के लिए प्रार्थना करता हूं.'

वहीं, नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने इस पूरे घटनाक्रम को ओली सरकार की साजिश बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री केपी ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल के निर्देश पर जानबूझकर यह पोस्टर प्रदर्शन में शामिल किए गए थे ताकि राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम किया जा सके. हालांकि, बिष्णु रिमल ने इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि यह "गलत सूचना फैलाने की कोशिश" है.

नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया

इस पूरे विवाद के बीच, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बिना योगी आदित्यनाथ का नाम लिए काठमांडू में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. गौरतलब है कि जनवरी में उत्तर प्रदेश की यात्रा के दौरान ज्ञानेंद्र शाह ने कथित तौर पर योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. नेपाल में राजशाही समर्थक बीते कुछ समय से देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं और 2008 में समाप्त की गई राजशाही को बहाल करने की मांग कर रहे हैं.

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