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Russia से तेल खरीदने पर US को होने लगा पेट में दर्द! अमेरिका की लिस्ट में भारत के टॉप रिफाइनर्स, एक्स्ट्रा मुनाफे पर उठाए सवाल

रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर सीधा हमला बोला है. अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी ने भारतीय प्राइवेट रिफाइनरों रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया, जो रूसी तेल सस्ते में खरीदकर महंगे दाम पर यूरोप को बेच रहे हैं. अमेरिका का दावा है कि इन कंपनियों ने $16 अरब का अतिरिक्त मुनाफा कमाया है. ट्रंप प्रशासन ने अतिरिक्त टैरिफ लगाते हुए भारत पर और दबाव बढ़ाया है.

Russia से तेल खरीदने पर US को होने लगा पेट में दर्द! अमेरिका की लिस्ट में भारत के टॉप रिफाइनर्स, एक्स्ट्रा मुनाफे पर उठाए सवाल
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 20 Aug 2025 7:43 PM

रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने को लेकर अब अमेरिका ने भारत पर सीधा हमला बोला है. यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में वॉशिंगटन जहां नई दिल्ली को रूसी तेल आयात करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित कर रहा था, वहीं अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. अमेरिका का आरोप है कि भारतीय रिफाइनर सस्ते दाम पर रूस से तेल खरीदकर उसे प्रोसेस कर यूरोप और अन्य देशों को महंगे दाम पर बेच रहे हैं.

अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने साफ कहा कि भारतीय कंपनियां सिर्फ मुनाफाखोरी कर रही हैं. CNBC से बातचीत में उन्होंने कहा कि, 'वे सिर्फ मुनाफाखोरी कर रहे हैं. वे फिर से बेच रहे हैं. उन्होंने 16 अरब डॉलर का अतिरिक्त मुनाफा कमाया है, जो भारत के सबसे अमीर परिवारों में से हैं.

अमेरिकी निशाने पर भारतीय प्राइवेट रिफाइनर

अमेरिका के आरोप खासतौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी पर केंद्रित हैं। ये दोनों कंपनियां यूरोप को सबसे ज्यादा पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स सप्लाई करती हैं. ब्लूमबर्ग और Kpler के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में इन दोनों कंपनियों ने करीब 60 अरब डॉलर का पेट्रोलियम उत्पाद एक्सपोर्ट किया. सिर्फ इस साल की पहली छमाही में ही यूरोपीय संघ को 15 अरब डॉलर का ईंधन भेजा गया.

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दिसंबर 2024 में रूस की रोसनेफ्ट के साथ 10 साल का करार किया, जिसके तहत कंपनी हर दिन 5 लाख बैरल तक कच्चा तेल आयात कर सकती है. इसकी सालाना कीमत करीब 12-13 अरब डॉलर होगी. वहीं, नायरा एनर्जी, जिसमें रोसनेफ्ट की लगभग आधी हिस्सेदारी है, अपनी तेल खरीद का 72% हिस्सा रूस से पूरा कर रही है. 2022 में यह आंकड़ा सिर्फ 27% था.

रूस से तेल आयात में रिकॉर्ड उछाल

यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रोजाना सिर्फ 68,000 बैरल रूसी तेल खरीदता था. मई 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 21.5 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया. जुलाई 2025 में यह घटकर 17.8 लाख बैरल पर स्थिर हुआ. आज रूस भारत की तेल ज़रूरतों का 36% पूरा करता है, जबकि 2022 से पहले यह आंकड़ा सिर्फ 0.2% था. सरकारी कंपनियां जैसे IOC, BPCL और HPCL घरेलू मांग पूरी करने के लिए रूसी तेल खरीद रही हैं, लेकिन प्राइवेट रिफाइनर बड़े पैमाने पर इसे प्रोसेस कर एक्सपोर्ट कर रहे हैं.

ट्रंप का दबाव और नई चुनौतियां

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया है. उनका कहना है कि भारत रूसी तेल खरीदकर मॉस्को को मजबूत कर रहा है. ट्रंप ने यह भी धमकी दी कि रूस का तेल खरीदने वाले देशों पर 'secondary tariffs' भी लगाए जा सकते हैं.

चीन को फिलहाल इस सूची से बाहर रखा गया है क्योंकि वह युद्ध से पहले ही रूस का बड़ा खरीदार था। लेकिन भारत पर विशेष दबाव बनाया जा रहा है क्योंकि उसने 2022 के बाद आयात में तेजी से बढ़ोतरी की.

भारत की व्यापारिक तस्वीर

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स भारत के एक्सपोर्ट का बड़ा हिस्सा हैं. 2022-23: $97.47 अरब डॉलर, 2023-24: $84.16 अरब डॉलर, 2024-25: $63.35 अरब डॉलर. भारत के सबसे बड़े खरीदारों में नीदरलैंड, UAE और सिंगापुर शामिल हैं, इसके अलावा यूरोप और वेस्ट अफ्रीका को भी बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट होता है.

अमेरिका-भारत रिश्तों पर असर?

अमेरिकी आलोचना ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या भारत के प्राइवेट रिफाइनरों पर और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की रणनीति रूस की आय कम करने की है, लेकिन इसका असर वॉशिंगटन और नई दिल्ली के रिश्तों पर पड़ सकता है.

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