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क्या इस बार भी मिलेगा धोखा? 5 साल बाद मिलेंगे मोदी और जिनपिंग- 2019 के बाद 20 में तोड़ दिया था भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कजान में होने वाली मुलाकात पर दुनिया की नजरें टिकी हैं. पांच साल बाद यह द्विपक्षीय वार्ता दोनों देशों के बीच LAC पर तनाव के बाद हो रही है. इन 5 वर्षों में भारत और चीन के रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं.

क्या इस बार भी मिलेगा धोखा? 5 साल बाद मिलेंगे मोदी और जिनपिंग- 2019 के बाद 20 में तोड़ दिया था भरोसा
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( Image Source:  X )
सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 23 Oct 2024 12:02 PM IST

PM Modi-Jinping Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. यह बैठक मई 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद दोनों नेताओं की पहली मुलाकात है. विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने इस बारे में जानकारी दी. यह उल्लेखनीय है कि बैठक से एक दिन पहले भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सेनाओं द्वारा गश्त करने के समझौते पर सहमति जताई थी.

इस बैठक में अमेरिका और पश्चिमी देशों समेत पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई है. बैठक में एशिया के दो दिग्गज देशों के राष्ट्र प्रमुख पांच साल बाद एक औपचारिक बातचीत करने वाले हैं. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंक की बैठक होनी जा रही है. दुनिया भर में जिस तरह के हालात बने हुए उसे देखते हुए यह बैठक कई मायनों में अहम मानी जा रही है.

5 साल बाद आज PM मोदी और जिनपिंग की होगी मुलाकात

पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आमना- सामने इससे पहले 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुआ था. इसके बाद अब 2024 में रूस में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ही दोनों नेता आपस में मुलाकात करने जा रहे हैं.

इस बीच इन दोनों देश में के बीच गौर करने वाली बात है कि जब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर भारत और चीन के बीच बात बनी है. भारत और चीन के बीच बीते कई सालों से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध अब समाप्त होता हुआ नजर आ रहा है. चीन पुष्टि की है कि पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध समाप्त करने के लिए भारत के साथ समझौता हो गया है.

भारत-चीन के बीच एलएसी पर सीमा गश्त पर सहमति पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि,'चर्चा के तहत लंबित क्षेत्रों में, गश्त और वास्तव में चराई गतिविधियां, जहां भी लागू हों, स्थिति वैसी ही हो जाएगी जैसा कि प्राप्त हुआ था 2020 में, जहां तक ​​पहले हुए विघटन समझौतों का सवाल है, इन चर्चाओं में उन समझौतों को फिर से नहीं खोला गया, जो समझौता कल हुआ था वह उन मुद्दों पर केंद्रित था जो पिछले कुछ वर्षों में लंबित रहे थे.'


भारत-चीन के बीच पेट्रोलिंग व्यवस्था का खुलासा गलवान घाटी संघर्ष के लगभग चार साल बाद हुआ है, जो इस क्षेत्र में सैनिकों की वापसी का संकेत माना जा रहा है. वर्तमान में, सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के हजारों जवान आमने-सामने मौजूद हैं. इससे उम्मीद बढ़ रही है कि इलाके में 2020 से पहले के हालात वापस आ सकते हैं. इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच विश्वास में वृद्धि और स्थिरता आने की संभावनाएं भी बढ़ी हैं.

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