टारगेट नहीं पूरा तो ग्रुप में भेजो Nude तस्वीर...बॉस छूता था प्राइवेट पार्ट्स- जानें कहां का है मामला
जापान की नियो कॉर्पोरेशन पर पांच पूर्व कर्मचारियों ने सनसनीखेज आरोप लगाए हैं कि सेल्स टारगेट पूरा न करने पर उन्हें न्यूड फोटो लेने और साझा करने के लिए मजबूर किया गया. कंपनी पर यौन उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना, वेतन कटौती और शारीरिक शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं. पीड़ितों ने 19 मिलियन येन का हर्जाना मांगा है। कंपनी ने आरोपों को खारिज किया है. जांच जारी है.

जापान की प्रतिष्ठित मानी जाने वाली पावर सेक्टर कंपनी नियो कॉर्पोरेशन अब अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का केंद्र बन चुकी है. कंपनी पर आरोप है कि वह अपने कर्मचारियों से सेल्स टारगेट न पूरा होने की स्थिति में न सिर्फ वेतन में कटौती करती थी, बल्कि उन्हें नग्न तस्वीरें लेने और बांटने के लिए मजबूर करती थी. यह खुलासा तब हुआ जब कंपनी के पांच पूर्व कर्मचारियों ने उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया और चौंकाने वाले आरोपों का सिलसिला उजागर किया.
मामले की साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट और जापान की स्थानीय मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार बहस का विषय बन गया है. पीड़ित कर्मचारियों ने कंपनी से 1.32 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 1.1 करोड़ रुपए) का हर्जाना मांगा है.
कर्मचारियों को दी जाती थी 'न्यूड सजा'
एक पूर्व कर्मचारी ने बताया, सेल्स मैनेजमेंट ने कहा था कि अगर मैं डेली टारगेट नहीं पूरा कर पाया तो मुझे अपनी न्यूड तस्वीर लेनी होगी और उसे टीम के अन्य सदस्यों से साझा करना होगा. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि उनके सीनियर ने कई बार उनके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ, जो मानसिक प्रताड़ना की हदें पार करता है.
शिकायत पर मिला 'ये सब तो होता है' जैसा जवाब
जब पीड़ित कर्मचारी ने शाखा प्रबंधक से शिकायत की तो उसे हंसी का पात्र बना दिया गया, मैनेजर ने कहा, ‘सबने यह सहा है, तुम भी झेल लो. इस जवाब के बाद कर्मचारी डिप्रेशन में चला गया. उसका कहना है कि वर्कप्लेस पर लगातार मौखिक गालियां, फिजिकल टॉर्चर, ओवरटाइम और कमीशन में कटौती अब वहां की संस्कृति बन चुकी है.
सेल्स कमीशन और वेतन की लूट
कई कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उनके सेल्स कमीशन को मनमाने ढंग से काटा गया. यहां तक कि कुछ को अपने ही वेतन का हिस्सा कंपनी को वापस लौटाने के लिए मजबूर किया गया, नियो कॉर्पोरेशन ने अब तक इन सभी आरोपों का साफ तौर पर खंडन किया है. कंपनी का कहना है, "इन दावों में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं, और हम अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे.
क्या जापानी वर्क कल्चर में है छिपी ये क्रूरता?
यह पहला मामला नहीं है जब जापान की किसी कंपनी पर वर्कप्लेस एब्यूज और टॉर्चर के आरोप लगे हों. विशेषज्ञों का मानना है कि "जापानी कॉर्पोरेट कल्चर में 'ओवरडेडिकेशन' और 'ब्लाइंड लॉयल्टी' को ही कामयाबी का पैमाना मान लिया गया है। इससे व्यक्तिगत आज़ादी और मानसिक स्वास्थ्य पर चोट होती है.