कश्मीर की जेल, आतंकी साजिश और रिहाई की पटकथा - अब 1990 की उस घटना को क्यों दोहरा रहा है मसूद अजहर?
1990 के दशक की शुरुआत में मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था. फिर वो जैश ए मोहम्मद का प्रमुख बना. अब वही सरगना मसूद अजहर ने 1990 के दशक की जम्मू-कश्मीर जेल की एक पुरानी घटना का जिक्र किया है. जानिए जम्मू-कश्मीर जेल ब्रेक की क्या है पृष्ठभूमि, उसका मकसद, उस दौर में क्या हुआ था और आखिर मसूद अजहर कौन है?
भारत सहित दुनिया भर में आतंक का पर्याय जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का सरगना मसूद अजहर एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार उसने 1990 के दशक की जम्मू-कश्मीर से जुड़ी एक पुरानी घटना को याद किया है, जिसे वह अपने 'संघर्ष' और 'आंदोलन' से जोड़कर पेश कर रहा है. उसकी ये हरकत सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यह वही दौर था जब कश्मीर में आतंकवाद अपने शुरुआती और सबसे हिंसक चरण में था और आतंक का बड़ा चेहरा बनकर उभरा था.
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आतंकवादी मसूद अजहर ने जम्मू में जेल से 1990 में भागने की नाकाम कोशिश. अब उसके बाद हुई पिटाई को उसने याद किया है. कानून को धोखा देने की कोशिश के नतीजे खासकर मसूद अजहर जैसे बेरहम, खूनी आतंकवादी के लिए बहुत बुरे साबित हुए थे. पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर ने माना है कि 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर की जेल से भागने की कोशिश करने पर उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी थी.
ऑडियो में मसूद अजहर को भावुक होते हुए सुना गया, जब उन्होंने याद किया कि कैसे जम्मू-कश्मीर की कोट भलवाल जेल से सुरंग खोदकर भागने की उनकी कोशिश उसी दिन नाकाम हो गई, जिस दिन उन्होंने भागने का प्लान बनाया था. आज भी उसे जेल अधिकारियों से डर लगता है, उन्होंने भागने का प्लान बनाने के लिए उसे और दूसरे आतंकवादियों को पीटा था.
क्या है 1990 के दशक की वो घटना?
दरअसल, 1990 के दशक की शुरुआत में मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था. इसी दौरान उसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर में गिरफ्तार कर जेल में बंद किया. उस समय घाटी में आतंकी संगठनों द्वारा जेल ब्रेक, अपहरण और सौदेबाजी जैसी घटनाएं आम होती जा रही थीं.
मसूद अजहर ने अब जिस घटना का जिक्र किया है, वह उसे जेल में रहने के अनुभव और उस दौर की आतंकी गतिविधियों से जुड़ी है. जब आतंकी संगठन अपने कैडर को छुड़ाने के लिए अपहरण और दबाव की रणनीति अपनाते थे.
मसूद अजहर ने क्यों किया घटना को याद?
मसूद अजहर ने यह काम आतंकी नेटवर्क के भीतर अपने समर्थकों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा किया है. वह खुद को 'संघर्ष से निकला नेता' दिखाना चाहता है. इसके पीछे उसका मकसद भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा को हवा देना भी है. वह यह जताना चाहता है कि वो भी भारतीय जेल रह चुका है और वहां से बच निकला था. तीन दशक बाद पुराने किस्सों को दोहराना उसके कट्टरपंथी भर्ती (Radicalisation) की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
क्या हो सकता है मकसद?
1990 के दशक में आतंकियों का मुख्य मकसद था, जम्मू कश्मीर की जेल में बंद आतंकियों की रिहाई कराना. कश्मीर में डर और अराजकता का माहौल बनाना. अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कश्मीर की आजादी की ओर ध्यान खींचना. भारत सरकार पर दबाव बनाना. मसूद अजहर बाद में इसी रणनीति का सबसे बड़ा लाभार्थी साबित हुआ.
उस घटना के बाद क्या हुआ?
मसूद अजहर आतंक की दुनिया में और मजबूत हुआ. उसने बाद में जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन की नींव रखी. भारत में कई बड़े आतंकी हमलों की साजिशों से उसका नाम जुड़ा. 1999 में हुए कंधार विमान अपहरण के बाद उसकी रिहाई ने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात बना दिया. भारत के सबसे वांछित आतंकवादी ने 2001 में संसद पर, 2008 में मुंबई पर और कई अन्य हमलों की साजिश रची थी.
कौन है मसूद अजहर?
आतंकी सरगना मसूद अजहर का जन्म पाकिस्तान (बहावलपुर) में हुआ थ. उसने भारत के खिलाफ आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की स्थापना की. वह भारत में कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित है. वर्तमान में उसका ठिकाना पाकिस्तान है.
मसूद अजहर फरवरी 1994 में एक नकली पहचान और पुर्तगाली पासपोर्ट के साथ भारत आया था. उसी साल उसे अनंतनाग में गिरफ्तार कर लिया गया. वह 1994 से 1999 तक जेल में रहा. दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के हाईजैक के दौरान सरकार ने बंधकों के बदले मसूद अजहर को रिहा कर दिया. इसके बाद उसने आतंकी संगठन JeM बनाया.
आतंकी मसूद अजहर ने भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के एक दिन बाद एक कहा था कि जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में JeM आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के जवाब में, पाकिस्तान के अंदर आतंकी ठिकानों पर भारत के क्रूज मिसाइल हमलों में उसके परिवार के कम से कम 10 सदस्य मारे गए. भारत के इस हमले में चार आतंकवादी भी मारे गए, जिन्हें उसने करीबी सहयोगी बताया था.





