इजरायली मिसाइलों का कहर! हूती सरकार का पीएम और मंत्री समेत टॉप नेताओं का खात्मा
यमन की राजधानी सना से बड़ा समाचार सामने आया है. विद्रोहियों के नियंत्रण वाली सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की इज़रायली एयरस्ट्राइक में मौत हो गई है. हूती विद्रोहियों का कहना है कि यह हमला गुरुवार (24 अगस्त) को बेहद "सुनियोजित" तरीके से किया गया था, जिसमें कई अन्य मंत्री भी मारे गए या घायल हुए. यह अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि हूती नियंत्रित सरकार के किसी भी शीर्ष अधिकारी की इस स्तर पर पहली मौत हुई है.
यमन की राजधानी सना से बड़ा समाचार सामने आया है. विद्रोहियों के नियंत्रण वाली सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की इज़रायली एयरस्ट्राइक में मौत हो गई है. हूती विद्रोहियों का कहना है कि यह हमला गुरुवार (24 अगस्त) को बेहद "सुनियोजित" तरीके से किया गया था, जिसमें कई अन्य मंत्री भी मारे गए या घायल हुए. यह अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि हूती नियंत्रित सरकार के किसी भी शीर्ष अधिकारी की इस स्तर पर पहली मौत हुई है.
हमले के समय प्रधानमंत्री अल-रहावी अपनी कैबिनेट के मंत्रियों के साथ एक वर्कशॉप मीटिंग में शामिल थे, जहां बीते वर्ष की कार्यप्रणाली और उपलब्धियों की समीक्षा हो रही थी. इसी दौरान इज़रायली मिसाइलों ने बैठक स्थल को निशाना बनाया.
हूती बयान में बड़ा खुलासा
हौती विद्रोहियों के बयान के मुताबिक, “प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी को गुरुवार को सना में हुई एयरस्ट्राइक में मार दिया गया. उनके साथ कई मंत्री भी मारे गए, जबकि अन्य घायल हुए.” यह बैठक सना के दक्षिणी इलाके बेत बाउस (Beit Baws) स्थित एक ऐतिहासिक विला में हो रही थी. स्थानीय कबायली नेताओं ने पुष्टि की कि इज़रायली सेना ने बेहद सटीक तरीके से इस जगह को निशाना बनाया.
इज़रायल का दावा
इज़रायली सेना ने भी इस हमले की पुष्टि की और कहा कि, “सना क्षेत्र में हौती आतंकवादी शासन के एक सैन्य ठिकाने पर सटीक हमला किया गया. इसमें प्रधानमंत्री अल-रहावी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को मार गिराया गया. इज़रायल का आरोप है कि हमले में मौजूद कई अधिकारी उन "आतंकी कार्रवाइयों" के लिए जिम्मेदार थे जो इज़रायल और उसके सहयोगियों के खिलाफ की जा रही थीं।
अल-रहावी की पृष्ठभूमि
अहमद अल-रहावी दक्षिणी प्रांत अबयान से आते थे और पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के करीबी सहयोगी रहे थे. वर्ष 2014 में हौतियों ने सना और देश के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने हौतियों से हाथ मिला लिया. अगस्त 2024 में उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. हालांकि वे हौती संगठन के सैन्य या रणनीतिक "इनर सर्कल" का हिस्सा नहीं थे, बल्कि उनकी सरकार मुख्य रूप से सना और अन्य हौती नियंत्रित क्षेत्रों में रोज़मर्रा के प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी संभालती थी।
गाज़ा और रेड सी से जुड़ा तनाव
हमले के समय हौती टीवी चैनल पर संगठन के गुप्त नेता अब्दुल मलिक अल-हौती का भाषण प्रसारित हो रहा था. इसमें उन्होंने गाज़ा संघर्ष पर अपडेट दिया और इज़रायल से बदला लेने की धमकी दी. यह हमला उस समय हुआ जब तीन दिन पहले ही हौतियों ने इज़रायल पर क्लस्टर बम युक्त बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी। यह 2023 के बाद इस तरह का पहला हमला था.
अंतरराष्ट्रीय असर
क्राइसिस ग्रुप इंटरनेशनल के वरिष्ठ विश्लेषक अहमद नागी ने कहा कि 'हूती प्रधानमंत्री की हत्या विद्रोहियों के लिए गंभीर झटका है. यह दिखाता है कि इज़रायल अब बुनियादी ढांचे के बजाय सीधे उनके नेताओं को निशाना बना रहा है, जो उनकी कमांड संरचना के लिए बड़ा खतरा है.' इससे पहले अमेरिका और इज़रायल ने यमन में दर्जनों एयरस्ट्राइक की थीं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए.





