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डैम के बहाने चीन का जल-जाल! ब्रह्मपुत्र पर बन रहा सुपर प्रोजेक्ट, भारत के इलाकों पर खतरे की आहट, क्या होगा बांग्लादेश का हाल?

चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम बना रहा है, जिसकी कीमत 167 अरब अमेरिकी डॉल तक पहुंच गई है. हालांकि, यह बांध भारत और बांग्लादेश के लिए मुश्किल बन सकता है, क्योंकि इसके कारण सूखा और जल संकट की स्थिति बन सकती है.

डैम के बहाने चीन का जल-जाल! ब्रह्मपुत्र पर बन रहा सुपर प्रोजेक्ट, भारत के इलाकों पर खतरे की आहट, क्या होगा बांग्लादेश का हाल?
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( Image Source:  x-@Indianinfoguide )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 20 July 2025 1:52 PM IST

तिब्बत की बर्फीली वादियों में जहां से ब्रह्मपुत्र नदी उफान पर रहती है. वहीं न्यिंगची क्षेत्र में चीन ने एक ऐसा कदम उठाया है जो सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं, बल्कि भविष्य की भू-राजनीति को भी आकार दे सकता है. दिसंबर 2023 में चीन ने एक महत्वाकांक्षी मेगा डैम प्रोजेक्ट की नींव रख दी.

अब कुछ ही महीनों में इसकी लागत 1.2 ट्रिलियन युआन, यानी लगभग 167 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंच चुकी है, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में शुमार कर देता है. लेकिन यह कोई साधारण बांध नहीं है. इस प्रोजेक्ट के तहत पांच विशाल हाइड्रोपावर स्टेशन बनाए जाएंगे, जो न केवल बिजली पैदा करेंगे, बल्कि चीन की ऊर्जा जरूरतों को लंबे समय तक संतुलित करेंगे. इस प्रोजेक्ट की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग स्वयं इसके शिलान्यास कार्यक्रम में मौजूद रहे. यह डैम यारलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) पर बन रहा है, और इसका प्रभाव सिर्फ चीन तक सीमित नहीं रहेगा. इसके चलते भारत और बांग्लादेश पर असर पड़ेगा.

ऊर्जा उत्पादन या भूराजनीतिक चाल?

चीन का दावा है कि हम हाइड्रोपावर बना रहे हैं, जो तिब्बत की तरक्की का जरिया बनेगा. सरकारी बयानों में कहा गया कि इस डैम से पैदा होने वाली बिजली को तिब्बत से बाहर के इलाकों तक भेजा जाएगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को रफ्तार मिलेगी. लेकिन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों और रणनीतिक विशेषज्ञों की नज़र में यह डैम महज एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि चीन की एक सोची-समझी भू-राजनीतिक चाल हो सकती है. ब्रह्मपुत्र जिसे चीन में यारलुंग त्संगपो कहा जाता है. वही नदी है जो भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम से होती हुई बांग्लादेश पहुंचती है. यही नदी इन देशों के करोड़ों लोगों की पानी, कृषि और आजीविका की जीवनरेखा है.

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस डैम के ज़रिए सिर्फ ऊर्जा नहीं, बल्कि नदी के प्रवाह पर नियंत्रण चाहता है और जब कोई देश नदी के स्रोत पर नियंत्रण पा लेता है, तो वह नीचे के देशों की जल सुरक्षा, कृषि, बाढ़ नियंत्रण और यहां तक कि रणनीतिक स्वायत्तता तक को प्रभावित कर सकता है.

पूर्वोत्तर भारत के लिए क्या है खतरा?

भारत के लिए चीन का यह मेगा डैम केवल एक पावर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक गंभीर चिंता का कारण बनता जा रहा है. ब्रह्मपुत्र नदी जो भारत के अरुणाचल प्रदेश, असम और पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए न केवल पीने के पानी का स्रोत है बल्कि कृषि, पारिस्थितिकी और स्थानीय अर्थव्यवस्था का भी अहम हिस्सा है. यदि चीन इस नदी के प्रवाह को ऊपर से नियंत्रित करने लगता है, तो भारत को नीचे कई खतरनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इसके कारण अचानक आई बाढ़, लंबे समय तक सूखा और जल संकट की स्थिति बन सकती है.

भारत की सख्त प्रतिक्रिया और कूटनीतिक दबाव

जनवरी 2025 में भारत ने चीन के ब्रह्मपुत्र डैम प्रोजेक्ट पर स्पष्ट आपत्ति जताई. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने जल हितों की रक्षा के लिए सभी विकल्प खुले रखेगा और इस परियोजना पर लगातार नजर रखेगा. साथ ही, चीन से अंतरराष्ट्रीय नियमों और पारदर्शिता का पालन करने की मांग की गई ताकि निचले देशों को कोई नुकसान न हो.

चीन की सफाई 'कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा'

चीन ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सफाई दी है कि यह किसी भी डाउनस्ट्रीम देश जैसे भारत या बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक असर नहीं डालेगा. साथ ही चीन ने यह भी कहा है कि वह निचले हिस्से के देशों से संवाद बनाए रखेगा. हालांकि चीन की पारदर्शिता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, खासकर जब उसने जल प्रवाह संबंधी सूचनाएं साझा करने से इनकार किया था.

पारिस्थितिकी और जलवायु संकट की नई चेतावनी

इस प्रोजेक्ट से जुड़ी एक और बड़ी चिंता है पर्यावरणीय असंतुलन. तिब्बत का पठारी क्षेत्र पहले ही बेहद संवेदनशील है. इतनी बड़ी संरचना के निर्माण से न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ सकता है, बल्कि यह हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन को भी तेज़ कर सकता है. भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद और सैन्य तनाव के बीच इस परियोजना की शुरुआत एक नए रणनीतिक मोर्चे के खुलने का संकेत भी दे सकती है.

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