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Amazing! आंख की जगह फिट कर दिया दांत और अंधे को मिल गई...

इस हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां पर आंख की रोशनी के लिए व्यक्ति के दांत का उपयोग किया है और इस ऑपरेशन को टूथ-इन-आई' या Osteo-Odonto-Keratoprosthesis कहा जा रहा है तो आइए इस खबर में जानते हैं कि दांत से किए गए आंख के ऑपरेशन में रोशनी मिल पाई है कि नहीं.

Amazing! आंख की जगह फिट कर दिया दांत और अंधे को मिल गई...
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 3 March 2025 6:28 PM IST

Amazing feat! मेडिकल साइंस लगातार तरक्की की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, और अब एक अनोखा मामला कनाडा से सामने आया है, जहां डॉक्टरों ने एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी लौटाने के लिए उसके खुद के दांत का उपयोग किया. यह दुर्लभ सर्जरी ब्रेंट चैपमैन नाम के मरीज पर की गई, जिसमें डॉक्टरों ने ‘टूथ इन आई’ तकनीक अपनाई.

यह तकनीक पहले भी दुनिया के कुछ हिस्सों में इस्तेमाल हो चुकी है, लेकिन कनाडा में इसे पहली बार सफलता मिली है. इस सर्जरी के तहत मरीज के दांत को आंख में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे दृष्टिहीन व्यक्ति की रोशनी लौटने की संभावना बढ़ जाती है. इस अनोखे प्रयोग को सुनकर कई लोग हैरान हैं और इसे चमत्कारिक चिकित्सा प्रगति के रूप में देख रहे हैं.

टूथ-इन-आई ऑपरेशन

अमेरिकी अखबार के अनुसार, डॉक्टरों ने ब्रेंट चैपमैन के एक दांत को निकालकर उसे छोटे टुकड़े में तराशा और उसमें एक ऑप्टिकल लेंस फिट किया. इसके बाद, इस संशोधित दांत को तीन महीने के लिए उनके गाल के अंदर प्रत्यारोपित किया गया ताकि उस पर सपोर्टिंग टिशू विकसित हो सके. इस प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टरों ने उनकी आंख की सतह की ऊपरी परत को हटाकर, गाल के अंदरूनी हिस्से से ली गई त्वचा से उसे कवर कर दिया.

बता दे कि तीन महीने पहले गाल से दांत को निकानलकर आंख में फिट कर दिया गया था. आंख की क्षतिग्रस्त आईरिस और लेंस हटाकर दांत में लगी ऑप्टिकल लेंस को वहां प्रत्यारोपित किया जाएगा. आंख की स्किन को फिर से सील कर दिया जाएगा सिर्फ एक छोटा छेद छोड़ा जाएगा जिससे मरीज देख सके.

इस खबर को सुनने के बाद कुछ लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर डॉक्टर ने दांत ही क्यों चुना तो बता दें कि दांत की सरंचना इसे ऑप्टिकल लेंस को सुरक्षित रखने के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है. साथ ही गाल की स्किन और दांत एक- दूसरे को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं जिससे शरीर इसे अस्वीकार नहीं करता है. जिसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि यह सर्जरी पूरी होगी तो मरीज की रोशनी लौटेगी या नहीं.

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