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CM आवास समेत सरकारी भवनों पर करोड़ों का बकाया, विकास कार्य में देरी और सैलरी को तरस रहे लोग

देहरादून के गढ़ी कैंट में छावनी बोर्ड द्वारा कई सरकारी भवनों को नोटिस जारी करते हुए करोड़ों रुपये का बकाया देने की बात कही थी. लेकिन बार-बार नोटिस जारी करने के बाद भी बकाया जारी नहीं किया गया है. बोर्ड को इस कारण कई विकास कार्य और उसके साथ-साथ कर्मचारियों को सैलरी देने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

CM आवास समेत सरकारी भवनों पर करोड़ों का बकाया, विकास कार्य में देरी और सैलरी को तरस रहे लोग
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( Image Source:  Freepik- Representative Image )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 29 Nov 2024 4:22 PM

देहरादून के गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड को राजभवन CM आवास और कई सरकारी भवनों से करोड़ो रुपये का बकाया बार-बार नोटिस भेजने के बाद भी नहीं मिल रहा है. इस बकाए के वापसी न मिलने के कारण छावनी बोर्ड को बजट की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इस कमी के कारण कर्मचारियों को सैलरी मिलने में भी देरी हो रही है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब तक कई रिपोर्ट्स भेज दी गई है. लेकिन स्थिति फिर भी नहीं सुधर रही. बोर्ड को इन दिक्कतों का सामना करने के साथ- साथ विकास कार्य को पूरा करने में भी कई रूकावटें देखने को मिल रही है.

कितने रूपये का बकाया

CM आवास पर 85 लाख रुपये का टैक्स बकाया है. राजभव पर करीब 23 लाख रुपये का टैक्स था जिसमें से सिर्फ 13 लाख रुपये को जमा किआ गया था. लेकिन अभी भी 10 लाख रुपये अभी भी बकाया है. वहीं बीजापुर गेस्ट हाउस पर 20 लाख रुपये से अधिक टैक्स बकाया है. जानकारी के अनुसार जब से ये गेस्ट हाउस बना है तब से केवल 5 लाख रुपये ही जमा करवाई गए हैं.

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट FRI पर सबसे अधिक बकाया

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी FRI समेत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी पर कुल 2.63 रुपये का बकाया है. जो सबसे अधिक है. एफआरआई को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक हिस्से पर अलग-अलग कर की मांग की गई है. इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग का भी ऐसा ही कुछ हाल है. प्रेमनगर में स्वास्थ्य विभाग के अंदर आने वाले अस्पताल पर 58 लाख रुपये के कर्ज बकाया होने की जानकारी सामने आई है.

इन पैसों को यदि वसूल लिया जाता है तो बजट में सुधार होने के आसार जताए जा रहे हैं. लेकिन बार-बार विभाग को नोटिस तो जारी किया जाता है. लेकिन कुछ हल नहीं निकल पाता. जिसके कारण संकट और भी अधिक बढ़ता जा रहा है. वहीं छावनी बोर्ड ने ऐसे मामलों पर सख्ती बरतने की योजना बनाई है.

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