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आज भी साफ पानी की पहुंच से दूर उत्तराखंड! बिहार और UP का क्या है हाल?

Uttarakhand News: उत्तराखंड आज भी साफ पानी की पहुंच से काफी दूर है. वहां मुश्किलों के साथ पानी के लिए भी लोगों को संघर्ष करना पड़ता है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार की हालत इस मामले में बेहतर है.

आज भी साफ पानी की पहुंच से दूर उत्तराखंड! बिहार और UP का क्या है हाल?
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( Image Source:  canva )

Uttarakhand News: पहाड़ों में जीवन बिताना बहुत ही मुश्किल होता है. वहां पर मैदानी इलाकों की तरह रहना आसान नहीं होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए लोगों को कई किलोमीटर चलकर जाना पड़ता है, तब जाकर पानी मिलता है. अब एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड में पीने का पानी का सोर्स उत्तर प्रदेश और बिहार से भी कम है.

हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में पीने का साफ पानी मिलना एक बड़ी चुनौती है. भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ. उत्तराखंड के गांव और शहर की आबादी मिला लें तो करीब 98 फीसदी लोगों की साफ पानी तक पहुंच है.

किस राज्य में कितना साफ पानी?

रिपोर्ट में सामने आया कि पानी के साफ पानी के स्तोत्र पर उत्तराखंड आज भी पीछे है. राज्य में 97.1 ग्रामीण आबादी की पहुंच साफ पानी तक है. वहीं यूपी और बिहार इस मामले में आगे है. यूपी में 99.4 और बिहार की 99.6 ग्रामीण आबादी की पीने के बेहतर पानी तक पहुंच है.

दूसरे राज्य गोवा, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिमी बंगाल, सिक्किम, तमिलनाडु और चंडीगढ़ में भी साफ पानी का सोर्स अच्छा है. वहीं केरल, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा, हिमाचल, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और नागालैंड पीछे हैं.

पहाड़ी इलाकों में पानी की दिक्कत

पानी की उपलब्धता पहाड़ी राज्यों के लिए आज भी एक बड़ी समस्या है. ऊंचाई पर घर स्थित की वजह से नल से जल निकलना मुश्किल हो जाता है. खबरों की मानें तो उत्तराखंड में ज्यादातर ऐसे गांव हैं, जहां आज भी पीने के पानी के लिए लोग 3-4 किलोमीटर चलकर जाते हैं. धीरे-धीरे प्रदेश में व्यवस्था बना जा रही हैं, लेकिन बड़े पैमाने में पानी की समस्या का समाधान करना आज भी सरकार के लिए चिंता का विषय है.

धामी सरकार की पहल

बीते महीने उत्तराखंड सरकार की ओर से पेयजल व्यवस्था के लिए बड़ा कदम उठाया गया था. जल संस्थान ग्रामीण क्षेत्र में पानी की समस्या को देखते हुए लोगों को क्यूआर कोड के जरिए पेयजल की उलब्धता की जानकारी देने का फैसला किया गया. ऐसा पहली बार देखने को मिला था, जब पानी की सूचना के लिए क्यूआर कोड का उपयोग किया गया.

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