अब दिल्ली नहीं लखनऊ से तय होगा डीजीपी! बदल गए नियम, पहले से कितनी अलग होगी प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में नए डीजीपी को नियुक्त करने के लिए नए नीयमों को मंजूरी दी है. इन नए नियमों के अनुसार अब सरकार अपनी पसंद के अधिकारी को नियुक्त कर सकती है. इन नियम के अनुसार डीजीपी का कार्यकाल 2 साल तक का होगा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में नए डीजीपी को नियुक्त करने के लिए नए नीयमों को मंजूरी दी है. वहीं जारी हुए इन नए नियमों के अनुसार सरकार अपनी पसंद के अधिकारी को डीजीपी के पद पर नियुक्त कर सकती है. वहीं इस पद पर नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए की जाएगी. अब रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता वाली पांच सदस्य कमेटी डीजीपी का सिलेक्शन करेगी.
इस नए नियम के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति उसी उसी समय होगी जब अधिकारी को केवल सेवा में सिर्फ 6 महीने तक का ही समय बचा होगा. इसी के साथ सरकार की ओर से अधिकारी के नाम का प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) पैनल को अपॉइंट करने के लिए नहीं भेजना पड़ेगा.
क्या होगी चयन प्रक्रिया?
डीजीपी के पद पर नियुक्ति के लिए अफसर के पास केवल 6 महीने की सर्विस का समय शेष होना चाहिए. उन्हीं अफसरों की नियुक्ती इस पद पर दी जाए जो मौजूदा समय में डीजी के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे होंगे. वहीं डीजीपी का कार्यकाल दो साल तक का होगा. वहीं इस दौरान डीजीपी को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास किए गए दिशा निर्देशों का पालन किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशानुसार यदि किसी आपराधिक मामले में या भ्रष्टाचार के मामले में या यदि वह अन्यथा अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन करने में विफल हैं, तो ऐसे मामले में राज्य सरकार उन्हें दो साल के कार्यकाल पूरा होने से पहले भी इस जिम्मेदारी से मुक्त कर सकती है. वहीं सरकार द्वारा जारी इन नियमों को लेकर सपा अध्यक्ष ने तंज कसा है.
सरकार को नहीं रहना पड़ेगा निर्भर
डीजीपी की नियुक्ति के लिए अब सरकार को संघ लोक सेवा आयोग यानी (UPSC) पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं होगी. दरअसल इससे पहले तक अधिकारियों की नियुक्ति के लिए पैनल को नाम का प्रस्ताव भेजना होता था. यूपीएससी इनमें से तीन सीनियर अधिकारियों के नाम का चयन करता है और राज्य सरकार को इनमें से किसी 1 अधिकारी को चुनने का ऑप्शन देता है. इसके बाद तीन में से किसी एक अधिकारी के नाम पर राज्य सरकार मुहर लगाती है.
स्थायी पद देने के लिए बनाई गई व्यवस्था
कैबीनेट बैठक में मिली मंजूरी पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वार किया. सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि सुना है बड़े अधिकारी को स्थायी पद देने और उसका कार्यकाल 2 साल तक बढ़ाने की स्थायी व्यवस्था बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि व्यवस्था बनानेवाले ख़ुद 2 साल रहेंगे या नहीं. कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है. दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0