यूपी कोर्ट का बड़ा फैसला: 'लव जिहाद' को फंडिंग से जोड़ा, व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई
बरेली की एक स्थानीय अदालत ने हाल ही में "लव जिहाद" के उद्देश्य को लेकर एक बात कही है. न्यायाधीश ने यह टिप्पणी 25 वर्षीय मोहम्मद अलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए की, उसे अपनी पहचान गलत बताकर एक छात्रा के साथ बलात्कार करने और उसे धमकाने का दोषी ठहराया गया.

बरेली : बरेली की एक स्थानीय अदालत ने हाल ही में "लव जिहाद" के उद्देश्य को लेकर एक बात कही है. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट) रवि कुमार दिवाकर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दूसरे धर्म के कुछ असामाजिक तत्व इस साजिश में शामिल हैं और देश की एकता, अखंडता, और संप्रभुता को खतरा है.
उन्होंने आगे कहा कि हिंदू लड़कियों को अवैध धर्मांतरण के लिए "प्यार" के जाल में फंसाया जा रहा है. उनके अनुसार, ऐसी साजिशें पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियाँ भारत में पैदा कर सकती हैं. उन्होंने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक व्यक्ति ने झूठी पहचान के साथ शादी, संबंध और गर्भपात से जुड़े आरोपों का सामना किया था.
आजीवन कारावास की सजा
25 वर्षीय मोहम्मद अलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जिसने अपनी पहचान छिपाकर एक छात्रा से बलात्कार और धमकी देने का अपराध किया था. अलीम के 65 वर्षीय पिता को भी इस अपराध में उसकी मदद करने के लिए दो साल की सजा दी गई.
न्यायाधीश ने चेतावनी दी कि अगर समय रहते इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि साइकोलॉजिकल प्रेशर और प्रलोभनों के जरिए अवैध धर्मांतरण हो रहा है, जिसमें विदेशी फंडिंग का भी शक है.
उत्तर प्रदेश का कानून और स्वतंत्रता
कोर्ट ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2021 में उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक धर्मांतरण निषेध अधिनियम लागू किया है, ताकि "लव जिहाद" के माध्यम से होने वाले अवैध धर्मांतरण को रोका जा सके. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का इस प्रकार के अवैध धर्मांतरण से समझौता नहीं किया जा सकता.