Noida: पैसा भरपूर लेकिन सुविधाएं बदतर...Amrapali HeartBeat City में Buyers के साथ ऐसा अन्याय क्यों?
नोएडा की अम्रपाली हार्टबीट सिटी में फ्लैट खरीदारों के साथ बड़ा अन्याय हो रहा है. करोड़ों खर्च कर मकान खरीदने वालों को अब टूटी लिफ्ट, गंदा पानी, सीवेज की बदबू और सिक्योरिटी की कमी जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर बुजुर्गों की सुरक्षा तक हर पहलू प्रभावित है। क्या सिर्फ पैसा देना ही पर्याप्त है? अधिकार कब मिलेंगे?

उत्तर प्रदेश नोएडा के सेक्टर 107 में स्थित अम्रपाली हार्टबीट सिटी में अपने सपनों का घर खरीदने वालों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, न तो फ्लैट्स की पजेशन मिली, न मूलभूत सुविधाएं. लोग हर दिन अधूरे मकानों और वादों के बीच अपने ख्वाबों को मरते देख रहे हैं. “हमारे ख्वाबों की चाबी कहाँ है? यह अब सिर्फ एक सवाल नहीं, बल्कि एक सामूहिक चीत्कार बन गया है, जो पूरे प्रोजेक्ट में गूंज रहा है.
जिस सोसायटी को कभी 'लक्ज़री प्रोजेक्ट' कहकर बेचा गया, वह अब अव्यवस्थाओं और अधूरे वादों का नमूना बन चुकी है. एनबीसीसी (NBCC) और एडहॉक AOA के रवैये को लेकर बायर्स के मन में भारी आक्रोश है. उनका आरोप है कि न जवाब मिलते हैं, न समय सीमा और न ही कोई ठोस कार्य योजना.
'हमने घर नहीं, एक सपना खरीदा था'
बायर्स का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी जमा पूंजी इस प्रोजेक्ट में लगाई, किसी ने ज़मीन बेची, तो किसी ने गहने गिरवी रखे. लेकिन आज वे न घर में हैं, न चैन में, फ्लैट्स अधूरे हैं, सुविधाएं गायब हैं और भविष्य अंधेरे में है. यह सवाल आज सिर्फ़ एक पोस्टर पर नहीं लिखा था, यह हर माँ की आँखों और हर पिता के माथे की शिकन में था.
3.95 रुपये प्रति वर्गफुट CAM चार्ज
बायर्स को सबसे अधिक परेशानी CAM चार्जेस को लेकर है. 3.95 रुपये प्रति वर्गफुट का शुल्क वसूला जा रहा है, लेकिन इसके पीछे कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, निवासियों का आरोप है कि वे न तो सुविधाएं पा रहे हैं, न जवाब, फिर यह शुल्क किस बात का?
सुविधाएं गायब, फ्लैट्स अधूरे
- OC (Occupancy Certificate) अब तक नहीं मिला.
- सिंगल पॉइंट बिजली-बिना पारदर्शिता के.
- लिफ्टें बंद, PNG गैस लाइन चालू नहीं.
- फेज़ 1 में मात्र 60 मजदूर कार्यरत विकास की गति बेहद धीमी.
- ब्याज माफी भी अब तक नहीं दी गई.
इन हालातों में बायर्स दोहरी मार झेल रहे हैं, EMI का बोझ और किराए की मजबूरी. कई लोगों ने अपने बच्चों की पढ़ाई रोकी है, तो कुछ ने शादियां टाल दी.
एडहॉक AOA की कार्यशैली पर सवाल
बायर्स का आरोप है कि एडहॉक AOA के कुछ सदस्य खुद ही अवैध निर्माण कर रहे हैं. पूरी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है. बड़े फैसलों में निवासियों की सहमति नहीं ली जाती, जिससे उनमें असंतोष गहराता जा रहा है. एडहॉक AOA की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए. NBCC एक स्पष्ट टाइमलाइन और वर्कफोर्स प्लान साझा करे. हर बड़े निर्णय में निवासियों की सहमति अनिवार्य हो. यह कहानी सिर्फ़ अम्रपाली हार्टबीट सिटी की नहीं है. यह हर उस भारतीय की कहानी है जिसने जीवन की पूंजी दांव पर लगाकर अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित घर का सपना देखा.