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UP के बागपत में खाप पंचायत ने बच्चों के स्मार्टफोन और हाफ-पैंट पहनने पर लगाई पाबंदी, वजह कर देगी हैरान

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप पंचायत ने बड़ा फैसला लेते हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन देने और लड़के-लड़कियों के हाफ-पैंट पहनने पर रोक लगाने का ऐलान किया है. पंचायत का तर्क है कि इससे बच्चों पर पश्चिमी प्रभाव बढ़ रहा है और भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंच रहा है. साथ ही फिजूलखर्ची रोकने के लिए मैरिज हॉल में शादियों पर भी आपत्ति जताई गई है.

UP के बागपत में खाप पंचायत ने बच्चों के स्मार्टफोन और हाफ-पैंट पहनने पर लगाई पाबंदी, वजह कर देगी हैरान
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Published on: 27 Dec 2025 7:42 PM

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से एक बार फिर खाप पंचायत का सख्त सामाजिक फरमान सामने आया है. पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव और नई पीढ़ी पर पड़ रहे असर को लेकर खाप चौधरियों ने चिंता जताते हुए कई अहम प्रस्तावों पर सहमति बनाई है, जिसने इलाके के युवाओं और अभिभावकों के बीच हलचल मचा दी है.

खाप पंचायत ने साफ तौर पर कहा है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन देने पर रोक होनी चाहिए. इसके साथ ही लड़के-लड़कियों के हाफ पैंट पहनकर घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है. पंचायत का तर्क है कि ये बदलाव भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ हैं.

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18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन नहीं

बागपत जिले में हुई खाप चौधरियों की बैठक में स्मार्टफोन को नई पीढ़ी के लिए “खतरनाक” बताया गया. खाप नेताओं का मानना है कि मोबाइल की वजह से बच्चों के व्यवहार, सोच और संस्कारों पर बुरा असर पड़ रहा है. थंबा खाप के चौधरी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन नहीं रखना चाहिए और अगर डिजिटल पढ़ाई जरूरी है तो वह स्कूल में अध्यापकों की निगरानी में ही हो. “स्मार्टफोन और हाफ पैंट पहनने से बच्चों पर गलत असर पड़ता है, यह हमारी संस्कृति के खिलाफ है.”

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खाप पंचायत ने लड़के और लड़कियों दोनों के हाफ पैंट पहनने पर नाराजगी जताई है. चौधरियों का कहना है कि पहनावे में आ रहा बदलाव पश्चिमी प्रभाव का नतीजा है, जिसे रोकना जरूरी है ताकि सामाजिक मर्यादा बनी रहे.

मैरिज हॉल नहीं, अब घर या गांव में होगी शादी

बैठक में शादियों में हो रही फिजूलखर्ची पर भी गंभीर चिंता जताई गई. पंचायत ने फैसला लिया कि मैरिज हॉल में शादियां करने के बजाय घर या गांव में ही विवाह समारोह आयोजित किए जाएं. खाप चौधरी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि इससे सामाजिक दिखावे पर रोक लगेगी और खर्च भी कम होगा. खाप चौधरियों ने यह भी तय किया कि समाज में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. घर-घर जाकर नई पीढ़ी को मोबाइल के दुष्प्रभाव और सांस्कृतिक मूल्यों के बारे में समझाया जाएगा, ताकि बदलाव समाज के भीतर से आए.

युवाओं की राय भी ली जाएगी

हालांकि खाप नेताओं ने साफ किया है कि ये फैसले अंतिम नहीं हैं. खाप चौधरी सुभाष सिंह ने कहा कि युवाओं का पक्ष भी सुना जाएगा और पंचायत के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लागू किया जाएगा. “समाज के बड़ों के साथ-साथ युवाओं की राय भी जरूरी है. पंचायत के बाद ही कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा.” गौरतलब है कि इससे पहले राजस्थान के जालोर जिले में भी पंचायत ने लड़कियों के पहनावे को लेकर ऐसा ही फैसला लिया था. बागपत की खाप पंचायत का यह कदम उसी कड़ी में देखा जा रहा है.

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