पांच को उम्रकैद, 33 को 7 साल की सजा... बुलंदशहर स्याना हिंसा और कोतवाल हत्याकांड में साढ़े 6 साल बाद आया फैसला
बुलंदशहर के चर्चित स्याना हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार हत्या मामले में साढ़े छह साल बाद अदालत ने फैसला सुनाया है. एडीजे-12 गोपाल जी की अदालत ने इंस्पेक्टर की हत्या के पांच दोषियों को उम्रकैद और हिंसा के 33 दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई. दोषियों में भाजपा नेता सचिन अहलावत और जिला पंचायत सदस्य योगेश राज भी शामिल हैं. यह हिंसा दिसंबर 2018 में गोकशी की अफवाह के बाद भड़की थी, जिसमें उन्मादी भीड़ ने कोतवाल सुबोध की हत्या कर दी थी. अदालत ने दोषियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है.

Bulandshahr Siyana violence verdict: साल 2018 के चर्चित स्याना हिंसा और कोतवाल सुबोध कुमार हत्याकांड मामले में करीब साढ़े छह साल बाद अदालत ने अहम फैसला सुनाया है. एडीजे-12 गोपाल जी की अदालत ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या के मामले में पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि हिंसा और उपद्रव के मामले में शामिल 33 अन्य दोषियों को सात-सात साल की कैद दी गई है.
हत्या के मामले में दोषियों में गांव चिंगरावठी के प्रशांत नट, डेविड, लोकेंद्र, जोनी और हरवानपुर गांव के राहुल शामिल हैं. सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है. वहीं, हिंसा के दोषियों में भाजपा बीबीनगर मंडल अध्यक्ष सचिन अहलावत और जिला पंचायत सदस्य योगेश राज का नाम भी शामिल है.
हिंसा कब और क्यों भड़की?
यह हिंसा उस समय भड़की थी, जब 3 दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली के महाव गांव में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद अफवाह फैल गई थी कि उन्हें इज्तिमा में ले जाया जा रहा है. इसके बाद ग्रामीणों और कुछ हिंदू संगठनों ने मिलकर स्याना-बुलंदशहर मार्ग पर भारी हंगामा और जाम लगा दिया था, जो बाद में बेकाबू हिंसा में बदल गया.
सुबोध कुमार की उनकी ही सरकारी पिस्टल से मारी गई गोली
इस दौरान तत्कालीन स्याना कोतवाल सुबोध कुमार की उनकी ही सरकारी पिस्टल से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने मामले में कुल 44 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिनमें से पांच की मौत हो चुकी है और एक बाल अपचारी पहले ही रिहा हो चुका है. अदालत के फैसले के दिन न्यायालय परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था और भारी सुरक्षा बल तैनात रहा.