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अब राजस्थान में भी होगा Live-In के लिए रजिस्ट्रेशन, HC ने दिया सरकार को वेब पोर्टल लॉन्च करने का निर्देश

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लिव-इन के लिए रिस्ट्रेशन करने के लिए एक वेब पॉर्टल लॉन्च करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा, "जब तक सरकार इस संबंध में कानून नहीं बनाती, तब तक हर जिले में एक अथॉरिटी की स्थापना की जाए, जहां कपल पंजीकरण करा सकें.

अब राजस्थान में भी होगा Live-In के लिए रजिस्ट्रेशन, HC ने दिया सरकार को वेब पोर्टल लॉन्च करने का निर्देश
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( Image Source:  canva )

Live-In Relationships: हाल ही में उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया गया था. अब राजस्थान में भी ऐसा होने जा रहा है. एक मामले की सुनवाई ने राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लिव-इन के लिए रिस्ट्रेशन करने के लिए एक वेब पॉर्टल लॉन्च करने का निर्देश दिया है. कई कपल से अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी.

जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार लिव-इन रजिस्ट्रेशन के लिए जितनी जल्दी हो वेब पोर्टल लॉन्च करे. कोर्ट ने कहा, जब तक ऐसा कानून नहीं बन जाता, लिव-इन-रिलेशनशिप को सक्षम प्राधिकारी/न्यायाधिकरण के पास रजिस्टर कराना होगा.

सुरक्षा के लिए कपल पहुंच रहे कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि कई जोड़े 'लिव-इन' रिलेशनशिप में रह रहे हैं और अपने रिश्ते की स्थिति को स्वीकार न किए जाने के कारण अपने परिवारों और समाज से खतरे का सामना कर रहे हैं. वे संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर कर अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षण की मांग करते हुए कोर्ट पहुंच रहे हैं. अदालतों में ऐसी याचिकाएं भर गई हैं. कोर्ट ने कहा, "जब तक सरकार इस संबंध में कानून नहीं बनाती, तब तक हर जिले में एक अथॉरिटी की स्थापना की जाए, जो लिव-इन-रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के मामले को देख सके, जो ऐसे जोड़ों की शिकायतों को सुनेगा और उनका समाधान करेगा. साथ ही लिव-इन में रहते हुए उनके बच्चे होने वाले हैं.

वेब पोर्टल बनाने के निर्दोश

हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि आदेश की एक कॉपी मुख्य सचिव, विधि एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव और न्याय एवं समाज कल्याण विभाग, नई दिल्ली के सचिव को भेजी जाए, जिससे वे मामले पर आवश्यक कार्रवाई कर सकें. कोर्ट ने कहा कि "उन्हें 1 मार्च, 2025 तक या उससे पहले कोर्ट को रिपोर्ट भेजने और उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों से जानकारी देनी होगी.

लिव-इन में महिला की स्थिति

अदालत ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का विचार अनोखा और आकर्षक लग सकता है, लेकिन सच में इससे होने वाली समस्याएं कई हैं, साथ ही चुनौतीपूर्ण भी हैं. ऐसे रिश्ते में महिला की स्थिति पत्नी जैसी नहीं होती. उसे सामाजिक स्वीकृति या पवित्रता का अभाव होता है.

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