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बिना सोचे चलाया बुलडोजर, अब कोर्ट ने नगर निगम को सिखाया पाठ, आयुक्त की गाड़ी हुई ज़ब्त

राजस्थान में भरतपुर नगर निगम ने एक शख्स के घर पर बुलडोजर चला दिया, जबकि मकान पर कोर्ट ने स्टे लगाया था. इस पर पीड़ित कोर्ट पहुंचा, जहां नगर निगम को आदेश दिया गया कि व्यक्ति को घर वापस बनाकर दिया जाए या फिर मुआवजा, लेकिन दोनों ही काम नहीं किए गए. जहां अब इस मामले में कोर्ट ने अफसरों की गाड़ियां कुर्क कर ली हैं.

बिना सोचे चलाया बुलडोजर, अब कोर्ट ने नगर निगम को सिखाया पाठ, आयुक्त की गाड़ी हुई ज़ब्त
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 5 Aug 2025 6:18 PM IST

कहते हैं जब इंसान का घर टूटता है, तो सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं गिरते सपने बिखरते हैं. भरतपुर के कुम्हेर गेट इलाके में रहने वाले पूरन सिंह के साथ यही हुआ. साल 2017 में नगर निगम ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया और उसी दौरान पूरन सिंह का मकान भी ध्वस्त कर दिया गया.

मगर फर्क ये था कि पूरन सिंह के मकान पर कोर्ट का स्टे पहले से ही लगा हुआ था. उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया, जहां अदालत ने मुआवजा देने और मकान बनाने का आदेश दिया था, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया. अब कोर्ट ने इस मामले में अधिकारियों की गाड़ियां जब्त कर ली हैं.

नगर निगम ने आदेश को किया अनदेखा

पूरन सिंह ने हार नहीं मानी. उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की और न्याय की मांग करते हुए कहा कि या तो उनका मकान यथावत बनवाया जाए या उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाए. मई 2022 में कोर्ट ने आदेश दिया कि तत्कालीन नगर निगम आयुक्त को हर्जाना भरना होगा. लेकिन नगर निगम ने आदेशों को अनदेखा किया. न मुआवज़ा मिला, न मकान.

अधिकारियों की गाड़ियां कुर्क

वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (रेंट) के आदेश पर सेल अमीन विकास कुमार ने नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई सहित दो अन्य अधिकारियों की गाड़ियां कुर्क कर दीं. इन गाड़ियों पर साफ-साफ लिखा गया है कि ये न्यायालय के आदेश से कुर्क की गई हैं और इनका किसी भी तरह का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. साथ ही, ये गाड़ियां बदली या डैमेज नहीं की जा सकती हैं.

नगर निगम की सफाई

नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई का कहना है कि यह 2017 का मामला है, जब CCFD योजना के तहत अतिक्रमण तोड़ा गया था. उन्होंने बताया कि हमने हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील की है, लेकिन अब तक स्टे नहीं मिला है, इसलिए कुर्की की कार्रवाई हुई.

पूरन सिंह की कहानी सिर्फ एक घर की नहीं, बल्कि उस हिम्मत की पहचान है जो आम व्यक्ति को सच्चा न्याय दिलाती है. जब सिस्टम अपने फैसले भूल जाता है, तब अदालतें साबित करती हैं कि कानून सबके लिए एक समान होता है.

RAJASTHAN NEWS
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