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'रिपोर्ट में न लिखें जज का नाम', पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की मीडिया को नसीहत

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मीडिया से एक अपील की है. कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही आदेशों और निर्णयों पर अपनी रिपोर्ट में जज का नाम न लें. हाईकोर्ट की इस अपील के बारे में बार एंड बेंच ने गुरुवार, 19 दिसंबर को यह जानकारी दी. यह निर्देश विशेष रूप से "संवेदनशील मामलों" के लिए दिया गया है, जिसे उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने एक नोट के जरिए इसकी जानकारी दी है.

रिपोर्ट में न लिखें जज का नाम, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की मीडिया को नसीहत
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( Image Source:  canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 20 Dec 2024 9:45 AM IST

Punjab and Haryana High Court: मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. प्रेस को अपनी बात रखने की पूरी आजादी होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में ध्यान रखना जरूरी है. अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मीडिया से एक अपील की है. कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही आदेशों और निर्णयों पर अपनी रिपोर्ट में जज का नाम न लें.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट की इस अपील के बारे में बार एंड बेंच ने गुरुवार, 19 दिसंबर को यह जानकारी दी. यह निर्देश विशेष रूप से "संवेदनशील मामलों" के लिए दिया गया है, जिसे उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने एक नोट के जरिए इसकी जानकारी दी है.

कोर्ट ने मीडिया से की अपील

पत्र में कहा गया कि "इस हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों की सुरक्षा के हित में, रिपोर्टर से कहा जाए कि वे इस न्यायालय की कार्यवाही, निर्णय और आदेशों की रिपोर्टिंग करते समय जज के नाम अपनी रिपोर्ट में प्रकाशित न करें." रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला हाल ही में हुई एक घटना को देखते हुए उठाया गया है. जिसमें एक व्यक्ति ने सितंबर में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक हाईकोर्ट के जस्टिस के निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) का हथियार छीन लिया और उसका इस्तेमाल खुदकुशी करने के लिए किया.

इसके बाद कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और संबंधित न्यायाधीश के लिए सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया. जिसमें पंजाब पुलिस को उनकी सुरक्षा से हटाना भी शामिल है. बता दें कि चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की बेंच ने घटना के बाद सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने के लिए कदम उठाए थे.

जालंधर पुलिस कमिश्नर पर लगाया जुर्माना

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर पुलिस कमिश्नर स्वपन शर्मा पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली लापरवाही और दयनीय दृष्टिकोण को दिखाती है. मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस पर ढाई सालों तक कोई सख्त कदम न उठाने का आरोप लगाया. एक व्यक्ति ने 20 जुलाई 2022 को एक एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया था कि आरोपी ने कनाडा का वर्क परमिट दिलाने के झूठे वादे पर उसके साथ फ्रॉड किया. पुलिस से बार-बार अपील करने पर भी कोई जांच नहीं की गई.

पुलिस को मिला था कोर्ट से नोटिस

इस मामले में कोर्ट ने कहा कि 22 नवंबर को नोटिस जारी होने के बाद, पुलिस ने अचानक 10 दिनों में जांच पूरी कर चालान दाखिल कर दिया. जस्टिस मौदगिल ने इसे याचिका को दबाने का जल्दबाजी में किया गया प्रयास बताया. कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष जांच के बिना चालान दाखिल करना याचिकाकर्ता के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है. साथ ही पुलिस कमिश्नर पर 1 लाख का जुर्माना लगाने का आदेश दिया और यह राशि उनकी सैलरी से काटने का निर्देश दिया.

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