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Saif Ali Khan की 15,000 करोड़ की पैतृक संपत्ति पर छाया 'शत्रु संपत्ति' का साया

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि निचली अदालत द्वारा दिया गया उत्तराधिकार संबंधी फैसला कानूनी प्रक्रिया और सबूतों की पूरी समीक्षा के बिना लिया गया था.

Saif Ali Khan की 15,000 करोड़ की पैतृक संपत्ति पर छाया शत्रु संपत्ति का साया
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( Image Source:  Instagram : saifalikhan_online )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 6 July 2025 3:51 PM

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान और उनका परिवार इन दिनों एक बेहद कॉम्प्लिकेटेड और संवेदनशील कानूनी लड़ाई का सामना कर रहा है, जो सीधे तौर पर उनके पैतृक विरासत से जुड़ा हुआ है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में भोपाल रियासत से जुड़ी एक विवादित संपत्ति मामले में अहम फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें सैफ, उनकी बहनों सोहा अली खान और सबा अली खान, तथा मां शर्मिला टैगोर को संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी माना गया था.

भोपाल के अंतिम शासक नवाब हमीदुल्ला खान की मृत्यु के बाद से ही यह संपत्ति विवादित रही है. नवाब की तीन बेटियां थी साजिदा सुल्तान, राबिया सुल्तान और आबिदा सुल्तान. आबिदा सुल्तान ने विभाजन के बाद पाकिस्तान जाना चुना था, जबकि साजिदा भारत में ही रही. सैफ अली खान, साजिदा सुल्तान के पोते हैं और इसी नाते भोपाल की पैतृक संपत्ति पर दावा करते हैं.

ट्रायल कोर्ट में याचिका

पूर्व में हुए उत्तराधिकार के फैसले में नवाब हमीदुल्ला खान की अधिकांश संपत्ति साजिदा सुल्तान के नाम की गई थी. लेकिन बाद में हमीदुल्ला खान के अन्य उत्तराधिकारियों ने इसे चुनौती दी और 1999 में ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने संपत्ति के बंटवारे की मांग मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के तहत की थी जो नवाब की मृत्यु के समय लागू था.

हाईकोर्ट का नया आदेश

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि निचली अदालत द्वारा दिया गया उत्तराधिकार संबंधी फैसला कानूनी प्रक्रिया और सबूतों की पूरी समीक्षा के बिना लिया गया था. कोर्ट ने मामले को दोबारा ट्रायल कोर्ट में भेजते हुए आदेश दिया है कि मामले की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी की जाए और सभी पक्षों को पर्याप्त रूप से सुना जाए. इस फैसले ने सैफ अली खान और उनके परिवार की स्थिति को अस्थिर कर दिया है, क्योंकि उनका उत्तराधिकार फिलहाल मान्य नहीं माना गया है.

संपत्ति पर दूसरा झटका

सिर्फ उत्तराधिकार विवाद ही नहीं, बल्कि शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत भी सैफ अली खान की संपत्तियों को चुनौती मिल रही है. शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 भारत सरकार को उन संपत्तियों पर नियंत्रण देने की अनुमति देता है जो ऐसे लोगों की थीं जिन्होंने 1947 के बाद पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली. सरकार के अनुसार, चूंकि नवाब हमीदुल्ला खान की बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गईं, इसलिए परिवार की भोपाल स्थित संपत्तियां 'शत्रु संपत्ति' मानी जाएंगी. 2014 में एक आधिकारिक नोटिस जारी हुआ, जिसमें सैफ और उनके परिवार की कई प्रमुख संपत्तियों को इस केटेगिरी में शामिल किया गया, जिनमें शामिल हैं- फ्लैग स्टाफ हाउस (सैफ का बचपन का घर), नूर-उस-सबा पैलेस, दार-उस-सलाम, हबीबी का बंगला, अहमदाबाद पैलेस और कोहेफिज़ा की संपत्ति आदि.

सैफ की याचिका खारिज

सैफ अली खान ने 2015 में इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने संपत्ति को 'शत्रु संपत्ति' घोषित किए जाने को चुनौती दी थी. उन्हें कुछ समय के लिए इस पर अस्थायी रोक भी मिल गई थी. लेकिन, 13 दिसंबर 2024 को कोर्ट ने यह रोक हटा ली, और सैफ तथा उनके परिवार को 30 दिनों की समयसीमा दी कि वे कानूनी रूप से अपना दावा दाखिल करें। हालांकि, निर्धारित समयसीमा में कोई दावा दाखिल नहीं हुआ, जिसके कारण सरकारी कार्यवाही अब वैध मानी जा रही है.

सैफ का वर्क फ्रंट

काम की बात करें तो सैफ अली खान को हाल ही में नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ में देखा गया था. आने वाले समय में वो दो बड़ी फिल्मों में नजर आने वाले हैं. पहली फिल्म है ‘रेस 4’, जो उनकी हिट एक्शन फिल्म सीरीज़ की अगली कड़ी है. दूसरी फिल्म है ‘हैवान’, जिसे मशहूर डायरेक्टर प्रियदर्शन बना रहे हैं. इस फिल्म में सैफ के साथ अक्षय कुमार भी नजर आएंगे. हालांकि सैफ का फिल्मी करियर अब भी अच्छा चल रहा है और वे लगातार एक्टिव हैं, लेकिन भोपाल की विरासत और संपत्ति विवाद उनके लिए एक बड़ी पारिवारिक और कानूनी परेशानी बन गया है.

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