भर्ती आयोग की भूल का खामियाजा, SC ने झारखंड के शिक्षक राजेश कुमार को फिर से नौकरी देने का आदेश दिया, जानें पूरा मामला
Supreme Court: झारखंड के एक शिक्षक राजेश कुमार, को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सरकार की तरफ से बतौर कुमार को ट्रेनी ग्रेजुएट टीचर की नौकरी दी गई थी, लेकिन बाद में उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई. कोर्ट ने आदेश दिया कि कहा है कि राजेश कुमार को दोबारा नौकरी पर रखा जाए.

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के एक शिक्षक राजेश कुमार की भर्ती मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. दरअसल उन्हें 5 साल का एक्सपीरियंस होने के बाद भी ट्रेनी ग्रेजुएट टीचर की पोस्ट से हटा दिया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि राजेश कुमार को दोबारा नौकरी पर रखा जाए. अदालत ने राजेश की सैलरी और पोस्ट से हटाने के आयोग के फैसले को रद्द कर दिया. इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की बेंच ने की.
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क्या है मामला?
राजेश कुमार साल 2008 से दुमका के सेंट टेरेसा गर्ल्स मिडिल स्कूल में पढ़ा रहे थे. साल 2019 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने उनकी सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर नियुक्ति की और इसके 24 अक्टूबर 2019 को उन्हें ज्वाइनिंग लेटर भी दे दिया.
एक साल बाद सरकार ने राजेश कुमार से कहा कि उनका सरकारी स्कूल में पढ़ाने का अनुभव नहीं था, बल्कि सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूल में पढ़ाने का अनुभव था. इसलिए वे इस पद के योग्य नहीं थे. साथ ही कुमार से उनकी सैलरी भी वापस मांग ली थी.
कोर्ट का फैसला
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर चयन आयोग और जिला शिक्षा समिति ने उन्हें योग्य मानकर नौकरी दी थी, तो अब गलती की सजा राजेश कुमार को नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने साफ कहा कि यह गलती अधिकारियों की थी न कि राजेश कुमार की. इसलिए उन्हें तुरंत वापस नौकरी पर बहाल किया जाए.
हालांकि कोर्ट ने यह भी बताया कि वे जिस समय नौकरी से बाहर थे, उस दौरान की सैलरी उन्हें नहीं दी जाएगी. लेकिन बाकी सभी सुविधाएं मिलेंगी.
25 फीसदी आरक्षण
जांच में सामने आया कि 25 प्रतिशत कोटा सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत पांच साल का एक्सपीरियंस रखने वाले शिक्षकों के लिए आरक्षित था, जिससे राज्य सरकार की ओर से लिए गए फैसला अहम है. मामले की जांच के बाद, अदालत ने स्पष्ट किया कि, सख्ती से कहें तो, कुमार इस पोस्ट शर्तों को पूरा नहीं कर रहे थे.
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने न केवल कुमार को योग्य पाया, बल्कि जिला शिक्षा स्थापना समिति ने 19 अक्टूबर, 2019 को अपनी बैठक में कुमार को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश भी दिया. 24 अक्टूबर, 2019 को उन्हें नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया. इसमें कुमार की कोई गलती नहीं है फिर सजा उन्हें क्यों मिले.