दिल्ली में हार के बाद अब क्या करेंगे केजरीवाल? इन पांच मुसीबतों में घिर सकते हैं AK
यह हार सिर्फ एक चुनावी हार नहीं बल्कि AAP और केजरीवाल के लिए मुश्किलों के नए दौर की शुरुआत मानी जा रही है. पहली बार AAP को दिल्ली में विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ेगी, जिससे आने वाले समय में पार्टी को कई राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी शिकस्त मिली है. पार्टी लगातार दो बार 60+ सीटें जीतने के बाद इस बार सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई. इस चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज जैसे दिग्गज नेता अपनी सीट तक नहीं बचा पाए.
यह हार सिर्फ एक चुनावी हार नहीं बल्कि AAP और केजरीवाल के लिए मुश्किलों के नए दौर की शुरुआत मानी जा रही है. पहली बार AAP को दिल्ली में विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ेगी, जिससे आने वाले समय में पार्टी को कई राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
CAG रिपोर्ट से AAP की बढ़ेंगी मुश्किलें?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी मुख्यालय से अपने भाषण में चुनावी वादों को दोहराया. उन्होंने ऐलान किया कि विधानसभा के पहले ही सत्र में CAG (कैग) रिपोर्ट्स पेश की जाएंगी. सूत्रों के मुताबिक, इन रिपोर्ट्स में कथित शराब घोटाले से लेकर शीशमहल पर हुए खर्च तक कई खुलासे हो सकते हैं. ऐसे में AAP सरकार की पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
केजरीवाल के खिलाफ जल्द शुरू हो सकती है NIA जांच
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. शराब घोटाले केस में महीनों जेल में बिता चुके केजरीवाल के खिलाफ जल्द ही NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) जांच शुरू हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल मई में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' से चंदा लेने के आरोप में NIA जांच की सिफारिश की थी. हालांकि, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के चलते सरकार ने तब इस पर तेजी नहीं दिखाई.
क्या ये होगा सबसे बड़ा डर?
दिल्ली में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भविष्य को लेकर है. इतनी बड़ी हार के बाद पार्टी और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना आसान नहीं होगा. गठन के तुरंत बाद सत्ता में आने वाली AAP को पहली बार राजधानी में विपक्ष में बैठना पड़ेगा. अब हार के बाद पार्टी के भीतर असंतोष और टूट की आशंका भी बढ़ सकती है. इसके अलावा, विधानसभा चुनाव में हार का असर MCD (दिल्ली नगर निगम) तक भी पहुंच सकता है. अगर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा और नेतृत्व पर सवाल उठे, तो MCD में भी सत्ता बचाना मुश्किल हो सकता है.
क्या दिल्ली का असर होगा पंजाब में?
दिल्ली में AAP की करारी हार का असर पंजाब में भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है. वर्तमान में पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां AAP की सरकार बची है. भले ही पंजाब विधानसभा चुनाव में अभी समय हो, लेकिन दिल्ली में हार से पार्टी के मनोबल पर असर पड़ सकता है. इससे पंजाब के कार्यकर्ताओं और नेताओं में भी असंतोष बढ़ सकता है. अगर पार्टी जल्द ही कोई ठोस रणनीति नहीं अपनाती, तो पंजाब में भी AAP की पकड़ कमजोर हो सकती है.
धीमी हो सकती है AAP की रफ्तार
दिल्ली में मिली करारी हार से AAP के राष्ट्रीय विस्तार पर फिलहाल ब्रेक लग सकता है. पार्टी ने दिल्ली मॉडल को आधार बनाकर पंजाब में सरकार बनाई थी और गुजरात, गोवा, जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों में विस्तार की कोशिश कर रही थी. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में संगठन विस्तार की योजनाओं पर भी काम चल रहा था. लेकिन दिल्ली में हार के बाद पार्टी की रणनीति पर असर पड़ सकता है, जिससे विस्तार की रफ्तार धीमी हो सकती है. अब पार्टी को पहले अपने मौजूदा गढ़ बचाने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने की चुनौती होगी.