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शादी के बाद पत्नी के साथ जबरन ओरल या एनल सेक्स करना अपराध नहीं: कोर्ट ने क्यों ठुकराया पति के खिलाफ केस?

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने पति पर जबरन ओरल और एनल सेक्स का आरोप लगाया था. कोर्ट ने कहा कि भारतीय कानून में पति द्वारा पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाना "मैरिटल रेप" की श्रेणी में नहीं आता. इस आधार पर पति के खिलाफ रेप का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

शादी के बाद पत्नी के साथ जबरन ओरल या एनल सेक्स करना अपराध नहीं: कोर्ट ने क्यों ठुकराया पति के खिलाफ केस?
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 26 May 2025 3:39 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि यदि वैवाहिक जीवन में यौन संबंध सहमति से बने हों और किसी प्रकार की जबरदस्ती, हिंसा या धमकी का कोई उल्लेख न हो, तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता. पत्नी ने आरोप लगाए थे कि शादी के बाद हनीमून के दौरान ओरल सेक्स हुआ, लेकिन बयान में कहीं भी असहमति का उल्लेख नहीं था. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नवतेज सिंह जौहर केस के बाद सहमति प्रमुख तत्व है.

न्यायमूर्ति स्वरना कांता शर्मा ने इस मामले में पति की पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए कहा, 'शिकायतकर्ता (पत्नी) की ओर से ऐसा कोई स्पष्ट आरोप नहीं लगाया गया है कि ओरल सेक्स (मुखमैथुन) उसकी सहमति के बिना किया गया. न तो विरोध का कोई ज़िक्र है, न शारीरिक बल, धमकी या डराने-धमकाने जैसी कोई बात कही गई है जो सहमति को अमान्य ठहराए. ऐसे में यह स्पष्ट है कि सहमति की अनुपस्थिति- जो धारा 377 के तहत अपराध बनने की मुख्य शर्त है - यहां मौजूद नहीं है. इस कारण न केवल प्राथमिक दृष्टि से कोई मामला नहीं बनता, बल्कि संदेह की बुनियादी सीमा भी पार नहीं होती.'

यह मामला एक पत्नी की शिकायत पर आधारित था जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसका पति शादी के बाद भी शारीरिक संबंध नहीं बना पाया, जबकि वह दवाइयां भी ले रहा था. जब महिला ने यह बात अपने ससुराल वालों को बताई तो उसके साथ मारपीट की गई. बाद में मायके में रहने के दौरान महिला ने आरोप लगाया कि उसके ससुर ने उसके साथ बलात्कार की कोशिश की. महिला का दावा था कि शादी एक साजिश थी जिससे पति और ससुर मिलकर उसका यौन और आर्थिक शोषण करना चाहते थे. इसके बाद आईपीसी की धारा 354, 354B, 376, 377 और 323 के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

कोर्ट में क्या हुआ खुलासा?

महिला ने अपनी धारा 164 CrPC के तहत दिए गए बयान में बताया कि हनीमून के दौरान मनाली में उसके और पति के बीच ओरल सेक्स हुआ था. ट्रायल कोर्ट ने इसे सहमति के बिना मानकर धारा 377 के तहत आरोप तय कर दिए. लेकिन पति की ओर से पेश हुए वकील मोहम्मद मुस्तफा ने कहा कि कहीं भी महिला ने जबरदस्ती या असहमति की बात नहीं की है. उन्होंने यह भी बताया कि महिला के बयान विरोधाभासी हैं – एक ओर वह पति पर नामर्द होने का आरोप लगाती है और दूसरी ओर गैर-सहमति से यौन संबंध की बात करती है.

कोर्ट ने क्यों ठुकराया केस?

हाई कोर्ट ने 2018 के नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत सरकार के ऐतिहासिक फैसले का हवाला दिया जिसमें दो वयस्कों के बीच सहमति से हुए यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था. साथ ही, अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि 2013 के संशोधन के बाद भी आईपीसी की धारा 375 में 'वैवाहिक बलात्कार' को अपराध की श्रेणी में नहीं डाला गया है - जब तक पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक हो. अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक जबरदस्ती या असहमति का कोई आरोप न हो, तब तक धारा 377 के तहत मुकदमा नहीं चल सकता. सिर्फ चार्ज फ्रेम करने के लिए भी जो न्यूनतम संदेह चाहिए, वह भी इस मामले में नहीं पाया गया.

DELHI NEWS
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